बीते कई साल से धुएं और प्रदूषण से दिल्ली गैस चेंबर बनती आ रही है. आईआईटी समेत पर्यावरण संरक्षण पर काम करने वाली संस्थाओं ने इसके लिए स्थानीय कारणों को प्रमुख वजह माना है. ऐसे में हवा को साफ और शुद्ध करने के लिए लोगों के बीच पौधों के साथ-साथ कई तरह की डिवाइसेस ने जगह बना ली है. लेकिन, डिवाइसेज की एक्यूरेसी को लेकर लोग आश्वस्त नहीं हैं, पौधों को लेकर पुरानी मान्यता है. लेकिन, बाजार में पौधों से हवा साफ करने के बढ़ते दावों और उसके नतीजों ने लोगों को उलझन में डाल दिया है और विश्वास को झटका लगा है. यहां आज हम इसी सवाल का जवाब ढूंढने जा रहे हैं कि क्या पौधे वाकई हवा को साफ करते हैं या ये सिर्फ एक मिथ है.
पौधे अपनी जीवन प्रक्रिया में प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) करते हैं. इस दौरान वे हवा से कार्बन डाइऑक्साइड खींचते हैं और सूर्य की रोशनी और पानी की मदद से अपना खाना बनाते हैं. बदले में वे ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिसे हम इंसान और जानवर सांस लेने के लिए इस्तेमाल करते हैं. यही कारण है कि पौधों को धरती के फेफड़े कहा जाता है.
अगर इसे आसान भाषा में समझें तो जितने ज्यादा पौधे होंगे, उतनी ज्यादा CO₂ हवा से कम होगी और वातावरण उतना ही शुद्ध बनेगा. यही प्रोसेस प्रदूषण घटाने और ग्लोबल वार्मिंग को धीमा करने में मदद करती है.
एक पेड़ कितना CO₂ कम करता है?
साइंटिफिक रिसर्च बताते हैं कि एक पका हुआ पेड़ सालभर में लगभग 20–22 किलो CO₂ को सोखा सकता है. अगर हम 50 पेड़ लगाते हैं, तो वे मिलकर एक कार के सालाना CO₂ डिस्चार्ज को बैलेंस कर सकते हैं. यह आंकड़ा इस बात का सबूत है कि पौधे प्रदूषण (Pollution) को कंट्रोल करने में कारगर हैं.
कौन से पौधे ज्यादा असरदार हैं?
हर पौधा समान मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड नहीं खींचता. कुछ पेड़ और पौधे दूसरों की तुलना में ज्यादा असरदार होते हैं.
- नीम और पीपल – लगातार ज्यादा CO₂ अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं.
- बांस – बहुत तेजी से बढ़ने वाला पौधा है और अधिक CO₂ सोखता है.
- आंवला और अर्जुन – हवा को शुद्ध करने और वातावरण संतुलित करने में मददगार हैं.
- बरगद – बड़ा आकार होने के कारण इसकी कार्बन कैप्चर क्षमता अधिक होती है.
Plants That Reduce CO2 – PC: Canva
केस स्टडी: दिल्ली का मियावाकी जंगल
दिल्ली के ITO इलाके में 2019 में Miyawaki तकनीक से एक मिनी जंगल बनाया गया. इसमें करीब 59 तरह की स्थानीय प्रजातियों के पौधे लगाए गए.
तीन साल के भीतर ही इसके नतीजे साफ दिखे:
- इस क्षेत्र का तापमान 2–3 डिग्री तक कम हो गया.
- हवा में नमी 40% तक बढ़ी.
- लोगों ने महसूस किया कि वातावरण पहले से ज्यादा ताज़ा और स्वच्छ हो गया.
यह केस स्टडी साबित करती है कि सही तकनीक और सही प्रजाति के पौधे लगाने से CO₂ स्तर को काफी हद तक घटाया जा सकता है.
क्या सिर्फ पौधे ही काफी हैं?
हालांकि पौधे CO₂ कम करने का आसान तरीका हैं, लेकिन यह इस समस्या का एक केला हल नहीं है. फैक्ट्रियां, गाड़ियां और कोयला आधारित ऊर्जा सबसे ज्यादा कार्बन छोड़ते हैं. अगर पेड़ लगाए जाएं लेकिन जंगलों की कटाई जारी रहे, तो इसका फायदा आधा रह जाता है. यानी पौधे जरूरी हैं, लेकिन इसके साथ हमें प्रदूषण के सोर्स पर भी कंट्रोल रखना होगा.
क्या करना जरूरी है?
CO₂ कम करने के लिए पौधों के साथ हमें और कदम भी उठाने होंगे:
- सूर्य और हवा पर निर्भर एनर्जी का इस्तेमाल बढ़ाना.
- इलेक्ट्रिक गाड़ियों और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को अपनाना.
- प्लास्टिक और कोयले के इस्तेमाल को घटाना.
- बड़े पैमाने पर पेड़ लगाना और जंगलों की रक्षा करना.
ऐसे में इस पूरी जानकारी के बाद ऊपर पूछे गए सवाल का जवाब है हां, पौधे सच में CO₂ कम करते हैं. वे प्राकृतिक “कार्बन फिल्टर” हैं जो हमारी धरती को सुरक्षित बनाते हैं. लेकिन सिर्फ पेड़ लगाना ही पर्याप्त नहीं है. हमें अपनी जीवनशैली बदलनी होगी और प्रदूषण के सोर्स पर भी कंट्रोल करना होगा. अगर हर इंसान साल में एक पौधा लगाए और उसकी देखभाल करे, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए हवा साफ और जीवन स्वस्थ रह सकता है.