नवजात बछड़ा बचाना है तो ये 8 काम जरूर करें! एक भी गलती हुई तो जान पर बन सकती है बात

डेयरी फार्मिंग से मुनाफा तभी मिलेगा जब नवजात बछड़े जिंदा और तंदुरुस्त रहें. एक भी लापरवाही पशुपालक को भारी पड़ सकती है.

नोएडा | Published: 11 Jul, 2025 | 11:52 AM

डेयरी फार्मिंग से मुनाफा तभी मिलेगा जब गाय-भैंस के बछड़े जन्म के बाद जिंदा, स्वस्थ और मजबूत रहें. लेकिन कई बार मामूली लापरवाही भारी पड़ जाती है और नवजात बछड़े की जान चली जाती है. खासकर ब्याने के बाद का शुरुआती समय बेहद संवेदनशील होता है. यही वो वक्त होता है जब सही देखभाल और पोषण से बछड़े को न सिर्फ बीमारियों से बचाया जा सकता है, बल्कि वह आगे चलकर एक उत्पादक और ताकतवर पशु भी बनता है. इसलिए हर पशुपालक को चाहिए कि इस नाजुक समय में एक भी गलती न करें.

1. नाक-मुंह की सफाई से मिलेगी बछड़े को सही सांस

गाय या भैंस के ब्याने के तुरंत बाद बछड़े के नाक और मुंह में जमी झिल्ली और गंदगी (श्लेष्मा) को साफ करें. ऐसा करने से बछड़ा आसानी से सांस ले सकेगा और उसके शरीर में ऑक्सीजन ठीक से पहुंचेगी. अगर यह सफाई न की जाए तो बछड़े को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, जिससे उसकी जान को खतरा भी हो सकता है.

2. आयोडीन जरूरी वरना हो सकता है संक्रमण

मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्याने के बाद बछड़े की नाभि को ऊपर से करीब आधा इंच छोड़कर साफ और कीटाणु रहित कैंची से सावधानी से काटें. इसके तुरंत बाद नाभि पर टिंचर आयोडीन लगाना जरूरी है, जिससे संक्रमण न फैले. अगर नाभि की सही देखभाल न की जाए तो वहां से बैक्टीरिया शरीर में घुस सकते हैं, जिससे बछड़ा बीमार हो सकता है और उसकी जान को खतरा हो सकता है.

3. दो घंटे के अंदर पिलाएं मां का दूध वरना खतरा तय

बछड़े को जन्म के दो घंटे के भीतर उसकी मां का पहला दूध यानी खीस जरूर पिलाना चाहिए. खीस में सामान्य दूध की तुलना में ज्यादा पोषक तत्व और रोगों से लड़ने वाले गुण होते हैं. यह नवजात बछड़े को शुरुआती संक्रमण से बचाता है और पेट की सफाई भी करता है. खीस पिलाने से बछड़ा मजबूत बनता है, लेकिन मात्रा का ध्यान रखें, ज्यादा देने से उसे दस्त लग सकते हैं.

4. अगर मां का खीस न मिले तो ये करें उपाय

अगर किसी वजह से बछड़े की मां मर जाए या उसका खीस न बने तो किसी दूसरी गाय या भैंस का खीस पिलाया जा सकता है. अगर वो भी न मिले तो घर पर एक आसान घोल बनाकर बछड़े को दिया जा सकता है. इसके लिए उबला और ठंडा किया पानी लें, उसमें एक अंडा, 600 मि.ली. दूध, आधा चम्मच अंडी का तेल, एक चम्मच फिश लिवर ऑयल और 80 मि.ग्रा. ओरियोमायसीन पाउडर मिलाएं. इससे थोड़ा फायदा तो मिलेगा, लेकिन उतना नहीं जितना की मां के दूध से फायदा मिलता है.

अगर खीस पिलाने के दो घंटे बाद भी बछड़ा मल (गोबर) न करे तो 1 लीटर गुनगुने पानी में 1 चम्मच सोडियम बाईकार्बोनेट मिलाकर एनिमा देना चाहिए. इससे पेट साफ होने में मदद मिलती है.

5. जन्म से मल द्वार न हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं

कई बार कुछ बछड़ों में जन्म से ही मल द्वार नहीं होता, जिसे एट्रेसिया एनी कहा जाता है. ऐसे बछड़े मल नहीं कर पाते और कुछ ही दिनों में उनकी जान जा सकती है. लेकिन चिंता की बात नहीं है, इसका इलाज संभव है. पशु डॉक्टर एक छोटी सर्जरी करके नया मल द्वार बना सकते हैं. ध्यान दें कि यह सर्जरी नजदीकी पशु चिकित्सालय में ही करवाएं. इसे कभी भी खुद करने की कोशिश न करें, वरना जान का खतरा बढ़ सकता है.

6. बछिया के अतिरिक्त थन को समय रहते हटा दें

कई बार बछिया के थन चार से ज्यादा होते हैं, जिन्हें अतिरिक्त थन कहा जाता है. ये थन दूध नहीं देते लेकिन बाद में गाय बनने पर दूध निकालते समय परेशानी पैदा करते हैं. इसलिए जन्म के कुछ दिन बाद ही इन्हें साफ और कीटाणु रहित कैंची से काटकर हटा देना चाहिए. यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जिससे बच्छी को कोई तकलीफ नहीं होती और न ही खून निकलता है. समय पर ये काम करना आगे की दिक्कतें कम कर देता है. हालांकि ये काम खुद न करें, बल्कि डॉक्टर सहायता लें.

7. मां से अलग पालें तो सफाई का रखें पूरा ध्यान

कुछ पशुपालक बछड़े को मां से अलग रखकर पालते हैं और बर्तन से दूध पिलाते हैं. अगर आप भी ऐसा करना चाहते हैं तो बछड़े को जन्म के बाद से ही बर्तन से दूध पीने की आदत डालें. साथ ही, साफ-सफाई का खास ख्याल रखें. दूध के बर्तन से लेकर बछड़े की जगह तक सब कुछ साफ होना चाहिए. जरा सी लापरवाही से बछड़ा बीमार हो सकता है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

8. बछड़े को अलग और सुरक्षित जगह पर रखें

नवजात बछड़ों को कभी भी बड़े पशुओं के साथ नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें चोट लगने का खतरा रहता है. छोटे बछड़े कमजोर होते हैं और बड़े जानवरों की हलचल से उन्हें नुकसान हो सकता है. साथ ही, उन्हें ठंड, गर्मी और बारिश से बचाने के लिए साफ, सूखी और गर्म जगह पर रखना जरूरी है. अगर शुरुआत से ही उनकी सही देखभाल हो तो वे जल्दी तंदुरुस्त होते हैं और आगे चलकर मजबूत पशु बनते हैं.

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