Bihar Election 2025: बिहार चुनाव से पहले बड़ा ऐलान, GI टैग वाली 7 खास फसलें ई-नाम प्लेटफॉर्म पर शामिल
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के अनुसार, यह कदम किसानों को बेहतर बाजार, उचित मूल्य और गुणवत्ता आधारित व्यापार का अवसर देगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.
बिहार चुनाव से पहले किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. अब उनकी खास और परंपरागत फसलें भी देश के सबसे बड़े डिजिटल मंडी प्लेटफॉर्म ई-नाम (e-NAM) पर बिकेंगी. केंद्र सरकार ने बिहार की 7 अनोखी और प्रसिद्ध फसलों को ई-नाम पर जोड़ने का फैसला किया है, जिससे इन उत्पादों को ऑनलाइन बाजार में बेहतर दाम और बड़ा खरीदार वर्ग मिलेगा. यह कदम न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि बिहार की स्थानीय और GI टैग वाली फसलों को देशभर में पहचान भी दिलाएगा.
कौन-कौन सी फसलें जोड़ी गईं?
ई-नाम पर जोड़ी गईं ये 7 फसलें बिहार की पहचान हैं:
मर्चा चावल- पश्चिम चंपारण का छोटा, सुगंधित चावल जिसे स्थानीय लोग मिर्चा चावल भी कहते हैं.
कटारनी चावल- भागलपुर और बांका जिलों में उगाई जाने वाली एक और खुशबूदार, GI टैग वाली चावल की किस्म.
जर्दालु आम- भागलपुर का प्रसिद्ध आम, जिसका स्वाद और खुशबू इसे बाकी आमों से अलग बनाती है.
शाही लीची- मुजफ्फरपुर की बेहद रसदार और मीठी लीची, जिसे GI टैग भी मिला है.
मगही पान- मगध क्षेत्र (गया, नवादा, जहानाबाद आदि) में उगाया जाने वाला कोमल, रसीला पान.
बनारसी पान- जो मगही पान से तैयार होता है और अपने स्वाद के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है.
गन्ना- बिहार का पारंपरिक और व्यापक रूप से उगाया जाने वाला नकदी फसल.
ई-नाम से क्या मिलेगा किसानों को फायदा?
ई-नाम यानी National Agriculture Market, एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो किसानों को उनके उत्पादों के लिए पारदर्शी बोली, सही दाम और बड़े बाजार तक पहुंच प्रदान करता है. इन 7 फसलों को इसमें जोड़ने से किसानों को अपने उत्पादों के लिए बाजार खोजने की जरूरत नहीं पड़ेगी, वे डिजिटल तरीके से व्यापार कर सकेंगे, और उन्हें बिचौलियों की कटौती से बचकर सीधा लाभ मिलेगा.
बिहार में मंडी नहीं, फिर भी ई-नाम से जुड़ाव
बिहार में APMC कानून सालों पहले हटा दिया गया था, इसलिए वहां पारंपरिक मंडी प्रणाली नहीं है. लेकिन राज्य सरकार ने खास प्रावधान बनाकर 20 मंडियों को ई-नाम से जोड़ा है, जिससे राज्य के किसान भी इस डिजिटल व्यवस्था से लाभ उठा सकें.
क्यों है यह फैसला खास?
इन उत्पादों में से कई को GI टैग (भौगोलिक संकेतक) मिला हुआ है, जिससे उनकी गुणवत्ता और क्षेत्रीय पहचान प्रमाणित होती है. अब जब ये उत्पाद देश के डिजिटल मंच पर आएंगे, तो इनके दाम भी बेहतर होंगे और इनकी ब्रांडिंग को भी बल मिलेगा.
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के अनुसार, यह कदम किसानों को बेहतर बाजार, उचित मूल्य और गुणवत्ता आधारित व्यापार का अवसर देगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.
गुणवत्ता के लिए तय होंगे मानक
ई-नाम में जोड़ने से पहले कृषि मंत्रालय के निदेशालय (DMI) ने इन उत्पादों के लिए मानक और गुणवत्ता संबंधी पैमाने तय किए हैं. साथ ही, अन्य फसलों जैसे सिंघाड़ा आटा, बेबी कॉर्न और ड्रैगन फ्रूट के मानकों को भी अपडेट किया गया है.