कपास पर गुलाबी सुंडी का हमला, फसल नुकसान की बढ़ी संभावना.. एडवाइजरी जारी

कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी के हमले और आदमपुर क्षेत्र में भारी बारिश से फसल को नुकसान की शिकायतों पर कृषि मंत्रालय की टीम ने निरीक्षण किया. कीट प्रकोप कम है लेकिन सतर्कता जरूरी है. विधायक ने खेतों से पानी निकालने और किसानों को राहत देने की मांग की.

Kisan India
नोएडा | Published: 22 Jul, 2025 | 04:28 PM

केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय की एक टीम ने हरियाणा के हिसार जिले में कपास की फसल का निरीक्षण किया. यह दौरा किसानों की शिकायतों के बाद किया गया, जिसमें गुलाबी सुंडी (Pink Bollworm) जैसे कीटों के हमले की आशंका जताई गई थी. टीम ने मंगाली झारा गांव में खेतों का दौरा किया और कपास की फसल में गुलाबी सुंडी के कुछ निशान पाए. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों ने कहा कि कीट का प्रकोप फिलहाल आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने वाले स्तर से कम है. किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, निरीक्षण टीम में फरीदाबाद स्थित रीजनल इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट सेंटर (RIPMC) के असिस्टेंट प्लांट प्रोटेक्शन ऑफिसर लक्ष्मीकांत, केपी शर्मा और सुरज बेनीवाल शामिल थे. इनके साथ हरियाणा कृषि विभाग के प्लांट प्रोटेक्शन ऑफिसर डॉ. अरुण कुमार यादव और एग्रीकल्चर डिवेलपमेंट ऑफिसर (ADO) रविंद्र अंतिल भी मौजूद थे.

2.1 लाख एकड़ में कपास का रकबा

डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि गांव से गुलाबी सुंडी की सूचना मिलने के बाद इसकी जानकारी चंडीगढ़ मुख्यालय और केंद्र सरकार को दे दी गई है. किसान नरसी राम खीचर ने कहा कि उन्होंने कुछ दिन पहले फसल में कीट देखे और कृषि विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना दी. हिसार में पिछले तीन सालों में कपास की खेती लगातार कम हो रही है. इसकी बड़ी वजह बार-बार कीटों का हमला है. इस बार करीब 2.1 लाख एकड़ में कपास बोई गई है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 2.5 लाख एकड़ था. लगातार नुकसान की वजह से किसानों की दिलचस्पी कम होती जा रही है.

पुराने बचे पौधों को खेत से हटाने की सलाह

डॉ. यादव ने कहा कि जब तक हर पौधे पर कम से कम चार या उससे ज्यादा कीड़े न दिखें, तब तक दवा का छिड़काव नहीं करना चाहिए. किसानों को सलाह दी गई है कि वे नियमित रूप से अपने खेतों की निगरानी करें. टीम ने यह भी देखा कि कई खेतों में पिछले साल की कपास के सूखे पौधे (बंचट्टी) अभी भी पड़े हैं. अधिकारियों ने कहा कि इन्हीं में से कीट पनप सकते हैं और दोबारा फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसलिए किसानों को पुराने बचे पौधे खेत से हटाने की सलाह दी गई है.

कपास की फसल को भारी नुकसान

वहीं दूसरी ओर, जिले के आदमपुर इलाके के कुछ गांवों में ज्यादा बारिश की वजह से कपास की फसल को भारी नुकसान हुआ है. सिशवाल, आदमपुर, लाडवी, महलसरा और कोहली जैसे गांवों में खेतों में पानी भरने से फसल खराब हो गई है और ‘पैरा वॉल्टि’ (para wilt) बीमारी का खतरा बढ़ गया है. आदमपुर के विधायक चंद्र प्रकाश ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया और सिंचाई विभाग के अधिकारियों को साथ लेकर हालात का जायजा लिया. उन्होंने अधिकारियों को तुरंत खेतों से पानी निकालने और फसल को और नुकसान से बचाने के निर्देश दिए. कांग्रेस विधायक ने सरकार से नुकसान का सर्वे कराने और प्रभावित किसानों को तुरंत आर्थिक मदद देने की मांग भी की है.

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