अलविदा ही-मैन: फिल्मों से किसानों तक, हर दिल में अपनी जगह बना गए धर्मेंद्र

धर्मेंद्र की बीमारी के चलते अक्सर अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता था. कुछ ही समय पहले वह हॉस्पिटल से घर लौटे थे और चाहत थी कि अपने परिवार के साथ समय बिताएं. लेकिन तकदीर को कुछ और ही मंजूर था. उनकी सेहत लगातार गिरती गई और आखिर में वह जिंदगी की जंग हार गए.

नई दिल्ली | Updated On: 24 Nov, 2025 | 02:19 PM

Dharmendra death news: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और करोड़ों दिलों के चहेते धर्मेंद्र अब हमारे बीच नहीं रहे. 89 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली और इसी के साथ हिंदी सिनेमा के एक सुनहरे अध्याय का अंत हो गया. उनकी सेहत पिछले कुछ समय से लगातार खराब चल रही थी और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती भी किया गया था. परिवार के साथ बिताए कुछ दिनों के बाद अचानक उनकी हालत बिगड़ी और सभी प्रार्थनाओं के बावजूद “ही-मैन ऑफ बॉलीवुड” इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए. उनकी विदाई ने न सिर्फ उनके परिवार और चाहने वालों को गहरे दुख में डुबो दिया है, बल्कि पूरे देश को शोक से भर दिया है.

जहां मौजूदगी ही खुशियां बांट देती थी

धर्मेंद्र की बीमारी के चलते अक्सर अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता था. कुछ ही समय पहले वह हॉस्पिटल से घर लौटे थे और चाहत थी कि अपने परिवार के साथ समय बिताएं. लेकिन तकदीर को कुछ और ही मंजूर था. उनकी सेहत लगातार गिरती गई और आखिर में वह जिंदगी की जंग हार गए. बाहर खड़ी एम्बुलेंस और परिजनों का भारी मन… जैसे सब बता रहा था कि एक युग का अंत हो चुका है.

सनी देओल, बॉबी देओल, उनकी बेटियां, पोते-पोतियां… पूरा परिवार उनकी अंतिम विदाई के लिए एकजुट दिखा. जिस घर में कभी हंसी-खुशी गूंजती थी, आज वहीं सन्नाटा पसरा हुआ है.

स्क्रीन पर हीरो, दिल से इंसान

धर्मेंद्र का फिल्मी सफर 1960 में शुरू हुआ था. दर्शकों ने उन्हें “शोले”, “धर्मवीर”, “मेरा गांव मेरा देश”, “यादों की बारात”, “ड्रीम गर्ल” जैसी अनगिनत फिल्मों में सिर आंखों पर बिठाया. वह ऐसे अभिनेता थे जिनकी आंखों में भी अभिनय बोलता था. चाहे एक्शन हो, रोमांस हो या भावनाओं से भरी भूमिकाएं, धर्मेंद्र हर फ्रेम में सच्चाई उतार देते थे. वह सिर्फ बड़े पर्दे के हीरो नहीं थे, बल्कि पूरे भारत के दिलों के “ही-मैन” थे.

खुद को कहते किसान का बेटा

अपनी पहचान भले ही उन्होंने बॉलीवुड में बनाई हो, लेकिन दिल से धर्मेंद्र हमेशा एक किसान ही रहे। फिल्मों की चमक-दमक से दूर, वह खेतों की मिट्टी में अपना सुकून तलाशते थे। उन्होंने उम्र के इस पड़ाव में भी खेती और ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर को अपनाया और युवाओं को भी खेती की ओर लौटने की प्रेरणा दी। अपने लोनावला वाले फार्महाउस में वह खुद पौधों को पानी देते, सब्जियों की फसल उगाते और गायों की सेवा में खुश रहते थे। धर्मेंद्र का कहना था कि किसान के हाथों की मिट्टी ही उसका असली गहना है। खेती-बाड़ी से उनका जुड़ाव सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि अपने देश की जड़ों से जुड़ने का एक सुंदर संदेश था कि प्रगति का असली आधार भूमि और किसान ही हैं। उनकी यह सोच और ग्रामीण जीवन के प्रति प्रेम हमेशा किसानों के दिल में एक प्रेरणा बनकर जीवित रहेगा।

धर्मेंद्र कहते थे— “मैं किसान का बेटा हूं, और मिट्टी ही मेरी पहचान है.” उन्होंने कहा था कि खेत की मिट्टी उन्हें किसी भी फिल्म सेट से ज्यादा खुशी देती है.

जैविक खेती के बने सच्चे ब्रांड एंबेसडर

अपने फार्म पर वह जैविक तरीके से सब्जियां उगाते थे. टमाटर, लौकी, शिमला मिर्च हर फसल को अपने हाथों से सींचते. सोशल मीडिया पर उनके खेत-खलिहानों वाले वीडियो देखते ही देखते वायरल हो जाते थे.

उनका मानना था— “पौधों की देखभाल करना, जैसे खुद को फिर से जिंदा करना है.” उनकी प्रेरणा से कई युवाओं ने भी खेती-बाड़ी की तरफ रूचि दिखानी शुरू की.

Published: 24 Nov, 2025 | 02:18 PM

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