सांगली में खुलेगा किशमिश रिसर्च सेंटर, किसानों को मिलेंगे ये बड़े फायदे
सांगली और इसके आसपास के इलाकों में बड़ी संख्या में किसान अंगूर और किशमिश की खेती से जुड़े हुए हैं. यहां उत्पादित किशमिश की मांग देश के साथ-साथ विदेशों में भी रहती है. इसके बावजूद अब तक राज्य में ऐसा कोई विशेष केंद्र नहीं था, जो सिर्फ किशमिश पर शोध, गुणवत्ता सुधार और नई तकनीकों पर काम करे.
Maharashtra News: महाराष्ट्र का सांगली जिला लंबे समय से अंगूर और किशमिश उत्पादन के लिए देशभर में पहचान रखता है. यहां की मिट्टी, जलवायु और किसानों की मेहनत ने इस क्षेत्र को किशमिश का बड़ा केंद्र बना दिया है. अब इसी पहचान को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है. सांगली में जल्द ही एक समर्पित किशमिश अनुसंधान केंद्र खोले जाने की तैयारी है, जिससे न सिर्फ किसानों को फायदा मिलेगा बल्कि प्रोसेसिंग उद्योग और निर्यातकों को भी नई दिशा मिलेगी.
क्यों जरूरी था किशमिश अनुसंधान केंद्र
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, सांगली और इसके आसपास के इलाकों में बड़ी संख्या में किसान अंगूर और किशमिश की खेती से जुड़े हुए हैं. यहां उत्पादित किशमिश की मांग देश के साथ-साथ विदेशों में भी रहती है. इसके बावजूद अब तक राज्य में ऐसा कोई विशेष केंद्र नहीं था, जो सिर्फ किशमिश पर शोध, गुणवत्ता सुधार और नई तकनीकों पर काम करे. इसी कमी को दूर करने के लिए यह अनुसंधान केंद्र बेहद जरूरी माना जा रहा है.
विश्वविद्यालय के तहत होगा केंद्र का संचालन
इस प्रस्ताव को हाल ही में शिवाजी विश्वविद्यालय के सीनेट की बैठक में सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है. विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सांगली जिले में यह केंद्र स्थापित किया जाएगा. इससे शिक्षा, शोध और प्रशिक्षण को एक साथ जोड़ने का मौका मिलेगा और स्थानीय स्तर पर तकनीकी ज्ञान को बढ़ावा मिलेगा.
किसानों और प्रोसेसरों को कैसे मिलेगा फायदा
यह अनुसंधान केंद्र किसानों और किशमिश प्रोसेसिंग से जुड़े लोगों के लिए एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा. यहां किशमिश की गुणवत्ता बढ़ाने, उत्पादन लागत कम करने और प्रोसेसिंग के बेहतर तरीकों पर काम किया जाएगा. इसके साथ ही किसानों और कामगारों को आधुनिक तकनीक की ट्रेनिंग भी दी जाएगी, ताकि वे बदलते बाजार की मांग के अनुसार खुद को तैयार कर सकें.
निर्यात की चुनौती से निपटने में मदद
पिछले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ गई है. कई देशों से सस्ती किशमिश का आयात होने के कारण स्थानीय उत्पादकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में यह अनुसंधान केंद्र निर्यात मानकों के अनुसार गुणवत्ता सुधार, पैकेजिंग और वैल्यू एडिशन पर काम करेगा. इससे सांगली की किशमिश को वैश्विक बाजार में बेहतर पहचान और मजबूती मिल सकेगी.
चरणबद्ध तरीके से शुरू होगा केंद्र
शुरुआती दौर में इस अनुसंधान केंद्र को अस्थायी स्थान पर शुरू किया जाएगा. धीरे-धीरे इसे एक स्थायी और आधुनिक परिसर में शिफ्ट करने की योजना है. इसके साथ ही केंद्र के संचालन के लिए जरूरी स्टाफ और संसाधनों की व्यवस्था भी चरणबद्ध तरीके से की जाएगी. इससे कामकाज में किसी तरह की जल्दबाजी नहीं होगी और केंद्र मजबूत आधार पर आगे बढ़ सकेगा.
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा
किशमिश अनुसंधान केंद्र के खुलने से सिर्फ खेती ही नहीं, बल्कि स्थानीय रोजगार और अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा. ट्रेनिंग, प्रोसेसिंग और शोध से जुड़े नए अवसर पैदा होंगे. युवाओं को कृषि क्षेत्र में ही आधुनिक और सम्मानजनक रोजगार मिलने की संभावना बढ़ेगी.