झींगा और प्रॉन्स में आखिर क्या है अंतर, कौन बिकता है महंगा?
भारत, बांग्लादेश, थाईलैंड और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में झींगा और प्रॉन्स की विभिन्न किस्में पाई जाती हैं. इन क्षेत्रों में इन्हें प्राकृतिक जलाशयों और तालाबों में पाला जाता है, जिससे यह स्थानीय किसानों और मछुआरों के लिए आय का मुख्य स्रोत बन गया है.
समुद्री भोजन की बात हो और उसमें झींगा (Shrimp) और प्रॉन्स (Prawns) का जिक्र न आए, ऐसा मुश्किल है. दुनिया भर में इन दोनों को बड़े चाव से खाया जाता है. चाहे तला हुआ हो, ग्रिल किया हुआ, करी में डाला गया हो या फिर सूप में झींगा और प्रॉन्स हर डिश का स्वाद बढ़ा देते हैं. अक्सर लोग इन्हें एक ही मान लेते हैं और कहते हैं कि बस नाम का फर्क है, अमेरिका में “श्रिम्प” और ब्रिटेन व ऑस्ट्रेलिया में “प्रॉन्स” कहा जाता है. लेकिन क्या यह सच है? बिल्कुल नहीं! झींगा और प्रॉन्स दोनों अलग प्रजातियां हैं और इनमें कई महत्वपूर्ण फर्क हैं. तो चलिए समझते हैं दोनों में फर्क.
आकार और शरीर की संरचना
प्रॉन्स: प्रॉन्स आकार में बड़े होते हैं और ज्यादातर मीठे पानी में पाए जाते हैं. इनके शरीर में ज्यादा मोड़ (bend) नहीं होता और पैरों की तीन जोड़ियों पर छोटे-छोटे पंजे होते हैं. इनके अंडे पानी में छोड़ दिए जाते हैं, जिससे वे खुद ही विकसित होते हैं.
झींगा: झींगा आमतौर पर खारे पानी में रहते हैं और आकार में छोटे होते हैं. इनके शरीर में हल्का झुकाव (bend) होता है और इनके पैरों की केवल दो जोड़ियों पर पंजे होते हैं. झींगा अपने अंडों को शरीर के निचले हिस्से में चिपकाकर रखते हैं.
कौन है ज्यादा महंगा
आम तौर पर प्रॉन्स (Prawns), झींगा (Shrimp) से महंगे होते हैं. इसके कुछ कारण हैं:
आकार और मांस- प्रॉन्स बड़े और मांसदार होते हैं, इसलिए कुछ लोगों को ये ज्यादा पसंद आते हैं.
उपलब्धता- प्रॉन्स आसानी से नहीं मिलते और इन्हें पकड़ना या उगाना झींगा की तुलना में मुश्किल होता है.
मांग- अमेरिका और यूरोप में प्रॉन्स को खास समुद्री भोजन माना जाता है, इसलिए इनकी कीमत ज्यादा होती है. इसकी कीमत इलाके, मौसम और प्रजाति के हिसाब से बदल सकती है.
पोषण में कितना फर्क है?
- झींगा और प्रॉन्स दोनों ही सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हैं.
- इनमें कैलोरी कम होती है लेकिन प्रोटीन बहुत ज्यादा होता है.
- दोनों ही ओमेगा-3 फैटी एसिड, सेलेनियम, फॉस्फोरस, विटामिन B12 और आयरन के अच्छे स्रोत हैं.
- हां, इन पर अक्सर कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होने का आरोप लगता है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि इनमें मौजूद हेल्दी फैट दिल और दिमाग दोनों के लिए फायदेमंद होता है.
स्वाद और पकाने का तरीका
- झींगा और प्रॉन्स के स्वाद और टेक्सचर में बहुत फर्क नहीं है.
- कुछ लोग कहते हैं कि प्रॉन्स थोड़ा मीठे और मांसल (meaty) होते हैं, जबकि झींगा का स्वाद हल्का होता है.
- दोनों को फ्राई, ग्रिल, स्टीम, सॉटे (saute), करी या स्टर-फ्राई में इस्तेमाल किया जा सकता है.
- इन्हें पकाने में ज्यादा समय नहीं लगता, बस कुछ ही मिनट में तैयार हो जाते हैं. अगर इन्हें ज्यादा देर तक पकाया जाए तो ये रबर जैसे सख्त हो सकते हैं.
दुनिया भर में लोकप्रियता और आर्थिक महत्व
झींगा और प्रॉन्स न केवल स्वाद में लाजवाब हैं, बल्कि इनका वैश्विक बाजार में बहुत बड़ा आर्थिक महत्व भी है. भारत, बांग्लादेश, थाईलैंड और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में झींगा और प्रॉन्स की विभिन्न किस्में पाई जाती हैं. इन क्षेत्रों में इन्हें प्राकृतिक जलाशयों और तालाबों में पाला जाता है, जिससे यह स्थानीय किसानों और मछुआरों के लिए आय का मुख्य स्रोत बन गया है.
अमेरिका और यूरोप में झींगा की खपत बेहद ज्यादा है. अमेरिकी बाजार में झींगा समुद्री भोजन का लगभग 90 फीसदी हिस्सा बनाता है, और यहां की रेस्टोरेंट और घरेलू रसोई में इसका नियमित इस्तेमाल होता है. इसी वजह से ये निर्यातकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. यूरोप में भी झींगा और प्रॉन्स का क्रेज बहुत है और इनका निर्यात हर साल बढ़ रहा है.
भारत दुनिया के प्रमुख झींगा निर्यातक देशों में शामिल है. विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में झींगा की खेती और निर्यात बड़े पैमाने पर होता है. भारत से निर्यातित झींगा न केवल अमेरिका और यूरोप को जाता है, बल्कि जापान, चीन, सिंगापुर और मध्य पूर्व के बाजारों में भी इसकी मांग बहुत अधिक है. सालाना करोड़ों डॉलर का व्यापार होने के कारण यह भारतीय अर्थव्यवस्था और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भी एक महत्वपूर्ण आय स्रोत है.
इस प्रकार, झींगा और प्रॉन्स न सिर्फ स्वादिष्ट समुद्री भोजन हैं, बल्कि ये वैश्विक व्यापार और आर्थिक अवसरों में भी अपना विशेष स्थान रखते हैं. सही ढंग से खेती और निर्यात करने पर यह लाखों लोगों की आजीविका सुनिश्चित कर सकता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान को मजबूत बनाता है.
नाम का नहीं, प्रजाति का फर्क है
अगर अगली बार आप बाजार से झींगा या प्रॉन्स खरीदें, तो यह जरूर ध्यान रखें कि ये दोनों एक जैसे नहीं हैं. हां, पोषण और स्वाद में दोनों लगभग बराबर हैं, इसलिए आपको किसी एक को चुनने की जरूरत नहीं. बस इन्हें सही तरह से पकाएं और स्वाद का मजा लें.