भारत कैसे बना अमेरिका का सबसे बड़ा झींगा सप्लायर? जानिए क्यों इस पर बढ़ाया गया टैरिफ

इस टैरिफ का असर सीधे-सीधे भारतीय किसानों और झींगा उद्योग पर पड़ा है. हजारों छोटे-बड़े फार्म अब बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं. प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और निर्यात से जुड़े लाखों मजदूरों की नौकरियां भी खतरे में हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 27 Aug, 2025 | 09:08 AM

भारत में झींगा पाल पिछले दो दशकों में किसानों की कमाई का बड़ा जरिया बना है. खासकर आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में हजारों किसान अपनी जीविका झींगा पालन पर ही चलाते हैं. अमेरिकी बाजार की भारी डिमांड ने भारतीय किसानों को समृद्धि की राह दिखाई थी. लेकिन अब अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ ने इस सफलता की कहानी पर ब्रेक लगा दिया है. यह फैसला लाखों किसानों और कामगारों की रोजी-रोटी को सीधा प्रभावित कर रहा है.

अमेरिका में झींगा की दीवानगी

अमेरिका में झींगा सबसे पसंदीदा सीफूड है. झींगा गंबो, श्रिम्प कॉकटेल से लेकर श्रिम्प फ्राई तक, वहां की थाली में यह हर जगह मौजूद है. आज अमेरिका की सीफ़ूड खपत का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा झींगा है. इतना ही नहीं, अमेरिका में खपत होने वाले झींगे का करीब 40 प्रतिशत भारत से आता है. इसमें आंध्र प्रदेश का योगदान सबसे ज्यादा है, जहां देश का लगभग 70 प्रतिशत झींगा उत्पादन होता है.

भारत कैसे बना बड़ा निर्यातक?

शुरुआत में अमेरिका झींगा आयात के लिए थाईलैंड और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों पर निर्भर था. लेकिन वहां श्रम शोषण और उत्पादन की गुणवत्ता से जुड़ी समस्याओं के बाद भारत तेजी से उभरा. भारतीय किसानों ने आधुनिक तकनीक और बड़े पैमाने पर उत्पादन से खुद को एक भरोसेमंद सप्लायर साबित किया. इसी वजह से 2010 के बाद भारत अमेरिका का सबसे बड़ा झींगा सप्लायर बन गया.

टैरिफ का झटका क्यों?

अमेरिका के स्थानीय झींगा पालकों का कहना है कि भारतीय झींगा सस्ता होने की वजह से उनका कारोबार चौपट हो रहा है. स्थानीय मछुआरे और किसान संघों ने सरकार पर दबाव बनाया. इसी कारण अमेरिकी प्रशासन ने भारतीय झींगे पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगा दिया है. अमेरिकी संघ “सदर्न श्रिम्प एलायंस” का दावा है कि भारतीय झींगा की वजह से उनके किसानों को घाटा उठाना पड़ रहा है और कई नावें बंद पड़ी हैं.

भारतीय किसानों पर असर

इस टैरिफ का असर सीधे-सीधे भारतीय किसानों और झींगा उद्योग पर पड़ा है. हजारों छोटे-बड़े फार्म अब बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं. प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और निर्यात से जुड़े लाखों मजदूरों की नौकरियां भी खतरे में हैं. किसान अब जापान, चीन और ब्रिटेन जैसे देशों की ओर रुख करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि अपने नुकसान की भरपाई कर सकें.

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन जैसे देशों में झींगे की खपत तेजी से बढ़ रही है. अगर भारत इन नए बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत करता है तो अमेरिकी टैरिफ का असर कम हो सकता है. इंडोनेशिया पहले ही चीन की ओर शिफ्ट हो चुका है. भारत को भी निर्यात के नए रास्ते तलाशने होंगे, तभी यह संकट अवसर में बदल सकेगा.

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Published: 27 Aug, 2025 | 09:06 AM

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