Desi Cow: गांवों में अक्सर किसान कहते हैं कि अगर घर में एक अच्छी गाय हो, तो आधी कमाई तो यूं ही हो जाती है. यह बात आज भी पूरी तरह सच है. खेती में मौसम का जोखिम, लागत और अनिश्चितता हमेशा बनी रहती है. लेकिन यदि किसान खेती के साथ एक ऐसी गाय पाल लें, जो कम खर्च में ज्यादा दूध देती हो, तो उनकी आमदनी हर महीने स्थिर और दोगुनी हो सकती है. आज हम आपको इसी खास देसी गाय के बारे में बता रहे हैं, जिसे पालकर किसान लाखों रुपये तक की कमाई कर रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, खास देसी नस्ल की यह गाय देशभर के किसानों की पसंद बनी हुई है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसका मजबूत शरीर, सुडौल आकार और लंबे लटकते कान, जो इसे एक अलग पहचान देते हैं. यह गाय साधारण नस्लों की तुलना में कम बीमार पड़ती है और हर मौसम में आसानी से खुद को ढाल लेती है. यही वजह है कि किसान इसे अपनी कमाई बढ़ाने वाली गाय कहते हैं. इस गाय का रंग लाल, भूरा, चॉकलेट या सफेद धब्बों वाला होता है, और इसका शरीर बाकी गायों से ज्यादा ताकतवर माना जाता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी दमदार होती है कि यह गाय छोटे-मोटे संक्रमण से आसानी से लड़ लेती है.
अधिक दूध देने वाली गाय
इस देसी गाय को दुधारू नस्लों यानी साहीवाल, गिर, लाल सिंधी, थारपारकर और देवनी में सबसे बेहतर माना जाता है. यह रोजाना लगभग 10 से 15 लीटर दूध देती है. सबसे खास बात यह है कि इसके दूध में 4.5 फीसदी तक फैट पाया जाता है, जो इसे बाकी दूधों से अधिक पौष्टिक बनाता है. कम चारे में भी लगातार अच्छा दूध देना इस नस्ल की सबसे बड़ी खूबी है. कई किसान बताते हैं कि इस गाय को पालकर न सिर्फ दूध मिलता है, बल्कि रोज की आमदनी भी पक्की हो जाती है. इनका कहना है कि खेती के साथ यह गाय एक “सुरक्षित इनकम का दूसरा स्रोत” बन जाती है.
देसी गाय का दूध क्यों है इतनी कीमती
इस गाय के दूध की मांग शहरों से लेकर गांवों तक बहुत ज्यादा रहती है. इसका दूध जितना पौष्टिक है, उतना ही स्वादिष्ट भी माना जाता है. बाजार में इसका दूध 75 रुपये से 150 रुपये प्रति लीटर तक बिकता है. यही नहीं, इस गाय के दूध से बनने वाला देसी घी तो बेहद महंगा बिकता है. पारंपरिक तरीके से बनाए गए शुद्ध घी की कीमत 2500 रुपये से 3000 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती है. इसलिए किसान केवल दूध ही नहीं, बल्कि घी बेचकर भी शानदार मुनाफा कमा लेते हैं.
देखभाल आसान, खर्च कम और फायदा ज्यादा
इस नस्ल की गाय को पालना मुश्किल नहीं है. यह कम चारे में भी अच्छे से रह लेती है और गर्मी-सर्दी दोनों मौसम में आसानी से अनुकूल हो जाती है. बीमारियां भी बहुत कम लगती हैं, जिससे दवा का खर्च भी लगभग न के बराबर होता है. किसान बताते हैं कि अगर घर में 1-2 ऐसी गायें भी हों, तो रोजमर्रा की जरूरतें दूध, दही, छाछ से पूरी हो जाती हैं, और बचा हुआ दूध बेचकर अच्छी कमाई होती है. कई किसान तो बताते हैं कि उन्होंने सिर्फ गाय के दूध और घी की बदौलत खेती की लागत निकाल ली.
खेती के साथ क्यों जरूरी है पशुपालन
खेती मौसम पर निर्भर होती है, लेकिन गाय से होने वाली कमाई मौसम पर नहीं, बल्कि उसकी क्षमता पर निर्भर रहती है. यही वजह है कि किसान अब खेती के साथ पशुपालन को एक सुरक्षित बिजनेस मानने लगे हैं. जब किसान दूध, दही, छाछ और घी जैसी चीजें बेचते हैं, तो उन्हें रोजाना नकद आमदनी मिलती है. इससे खेती के जोखिम कम हो जाते हैं और सालभर कमाई का रास्ता खुला रहता है. यह गाय खासकर उन किसानों के लिए वरदान मानी जाती है जो खेती के साथ अतिरिक्त आय का मजबूत और स्थिर तरीका चाहते हैं.