भारत-पाकिस्तान टेंशन के बीच सीमा से लगते राजस्थान और पंजाब के 10 जिलों के किसानों का मनोबल हाई है. इन जिलों के किसानों का कहना है कि भारत-पाक तनाव को लेकर वे चिंतित नहीं हैं. उनके लिए फसल से ज्यादा देश की सुरक्षा अहम है. हालांकि, अब जब युद्धविराम की घोषणा हो चुकी है, तो किसानों को उम्मीद है कि मॉनसून आने के साथ इस साल खेती सामान्य तरीके से हो सकेगी. तो आइए आज जानते हैं इन सीमावर्ती जिलों के किसान किस-किस फसल की खेती करते हैं.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब-राजस्थान के सीमावर्ती 10 जिलों के किसान खरीफ की फसल में बासमती और गैर-बासमती धान, मूंग और बाजरा करीब 30 लाख हेक्टेयर में उगाते हैं और हर साल करीब 43 लाख टन अनाज पैदा करते हैं. जैसलमेर जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा से सिर्फ 30 किलोमीटर दूर खेती करने वाले पूर्व सैनिक नायक मल सिंह ने कहा कि अगर युद्ध चलता रहता, तो एक सीजन की फसल की बलि देने को तैयार थे. पाकिस्तान को स्थाई सबक मिलना चाहिए था. सीमावर्ती इलाकों के किसान देशहित को प्राथमिकता देते हैं और वहां के ज्यादातर लोग इस सोच से सहमत हैं.
क्या बोले बॉर्डर इलाके के किसान
पंजाब के तरनतारन जिले के किसान हरनाम सिंह ने भी यही भावनाएं जाहिर कीं. उन्होंने कहा कि इस साल उन्हें गेहूं की कटाई जल्दी करने को कहा गया था, लेकिन समय पर बुवाई की वजह से कोई दिक्कत नहीं हुई. उन्होंने कहा कि सीमा पर पुलिस और सेना की नियमित गश्त से उन्हें सुरक्षा का भरोसा है और वे खेती करने या रोकने का फैसला उन्हीं की सलाह पर करते हैं. पंजाब के फाजिल्का जिले के किसान छिंदर पाल, जिनकी 60 एकड़ जमीन सीमा से सटी हुई है (जहां तारबंदी लगी है), ने कहा कि वे खेती से ही अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं. इसलिए किसी युद्ध से डरने का सवाल ही नहीं उठता. उन्होंने कहा कि जब तक सरकार हमें खेत खाली छोड़ने को नहीं कहती, तब तक फसल छोड़ने का कोई कारण नहीं है. हम तो यहीं पले-बढ़े हैं, डरने की कोई बात नहीं है.
15 दिनों में शुरू करेंगे धान की बुवाई
पाल ने कहा कि उनके खेत वाले इलाके में इस बार किसी बड़ी गोलीबारी की खबर नहीं है. बस शुक्रवार रात को कुछ हल्की घटनाएं हुई थीं. उन्होंने कहा कि फिलहाल वे खेतों की सिंचाई कर रहे हैं और अगले 15 दिनों में ‘पूसा 1121’ और अन्य बासमती किस्में सीधे बीज बोने की तकनीक (DSR) से उगाएंगे, जिसमें नर्सरी की जरूरत नहीं होती. पंजाब के फाजिल्का, फिरोजपुर, तरनतारन, अमृतसर, गुरदासपुर और पठानकोट जिलों के किसानों ने 2023-24 में कुल 8.77 लाख हेक्टेयर में खेती करके 34.03 लाख टन अनाज पैदा किया. वहीं, राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर (जिसमें अब नया बना अनूपगढ़ भी शामिल है) जिलों में 20.83 लाख हेक्टेयर में खेती करके 8.84 लाख टन उत्पादन हुआ.
20 लाख हेक्टेयर में इन फसलों की खेती
इन 10 सीमावर्ती जिलों में राजस्थान के 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मुख्य रूप से दालें (मूंग और मोठ) और बाजरा उगाया जाता है, जबकि पंजाब में धान की हिस्सेदारी 98 फीसदी से ज्यादा है. 10 मई को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुजरात, राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिलों में खेती की स्थिति की समीक्षा की. उन्होंने उर्वरक, बीज जैसे कृषि इनपुट्स की उपलब्धता का जायजा लिया और मंत्रालय के अधिकारियों को किसानों के लिए जरूरी इंतजाम करने के निर्देश दिए.