World No Tobacco Day 2025: धूम्रपान से भी ज्यादा खतरनाक है ये आदत, युवाओं को बना रहा शिकार!
World No Tobacco Day 2025: विश्व नो टॉबैको डे 2025 पर विशेषज्ञों ने वेपिंग को धूम्रपान से भी ज्यादा खतरनाक बताया है. सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स द्वारा इसे ग्लैमरस दिखाकर, खासकर युवाओं को फंसाने की कोशिशें बढ़ गई हैं. बावजूद इसके भारत में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट्स पर बैन लागू है, लेकिन नए-नए तरीकों से इसका प्रचार जारी है. इस बढ़ते खतरे को समझना और रोकना आज बेहद जरूरी हो गया है. इसी कड़ी में आइए जानते हैं वेपिंग के असली नुकसान और इससे बचाव के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं.
विश्व नो टॉबैको डे 2025 के मौके पर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि वेपिंग धूम्रपान से कहीं ज्यादा खतरनाक है, खासकर युवाओं के लिए. भारत में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट्स और वेप्स पर 2019 में प्रतिबंध (PECA) लगाया गया है.
ऐसे में निर्माता और विक्रेता नए-नए तरीके अपनाकर इस कानून को चकमा रहे हैं और युवाओं को लुभाने के लिए लगातार नए प्रचार कर रहे हैं. ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्कूलों में जागरूकता अभियान शुरू किया है, शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए हैं.
इसी बीच डिजिटल क्रिएटर्स के साथ मिलकर भी वेपिंग के खतरों को सामने लाने का काम जारी है. कंपनियां वेपिंग को धूम्रपान छोड़ने का आसान तरीका बताती हैं, लेकिन हकीकत में इसका मकसद सिर्फ युवाओं को इसकी लत लगाना होता है, ताकि वो इसे हमेशा इस्तेमाल करते रहें.
विशेषज्ञों ने बताया कि वेपिंग उपकरणों का इस्तेमाल न सिर्फ निकोटीन के लिए, बल्कि हार्ड ड्रग्स के सेवन के लिए भी हो रहा है, जो इस समस्या को और गंभीर बनाता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि वेपिंग से स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव होते हैं, जो न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं.
इस खतरे को रोकने के लिए व्यापक जागरूकता फैलाना, कड़े नियम लागू करना और उनके सही तरीके से काम करने पर ध्यान देना जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ी इस नशे से बच सके.