2026 से बदल जाएंगे ट्रैक्टर-ट्रेलर के नियम, GPS, EDR और RFID होंगे अनिवार्य
अब ट्रेलरों में भी RFID टैग लगाना अनिवार्य किया जाएगा. यह टैग इलेक्ट्रॉनिक पहचान के तौर पर काम करेगा, जिससे ट्रेलर को ट्रैक्टर से डिजिटल रूप से जोड़ा जा सकेगा. यह व्यवस्था लॉजिस्टिक्स सेक्टर में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ाएगी.
देश में ढुलाई और माल परिवहन का बड़ा हिस्सा ट्रैक्टर-ट्रेलरों से होता है. गांव से मंडी तक अनाज हो या ईंट-पत्थर की सप्लाई, इन ट्रैक्टरों की अहम भूमिका होती है. लेकिन अब यह पूरा सिस्टम और भी स्मार्ट बनने जा रहा है. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक अहम फैसला लिया है, अब 1 अक्टूबर 2026 से सभी ढुलाई ट्रैक्टरों में ट्रैकिंग डिवाइस लगाना अनिवार्य होगा.
इस बदलाव का मकसद है ट्रैक्टरों की लोकेशन की निगरानी करना, जिससे चोरी, गलत इस्तेमाल और हादसों को रोका जा सके. साथ ही 1 अप्रैल 2027 से ‘इवेंट डेटा रिकॉर्डर’ (EDR) भी सभी ढुलाई ट्रैक्टरों में जरूरी कर दिया जाएगा.
क्या होता है ट्रैकिंग सिस्टम और यह कैसे करेगा काम?
वाहन लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (VLTD) एक ऐसा उपकरण है जो ट्रैक्टर की रीयल-टाइम लोकेशन यानी कहां है, कितनी स्पीड से चल रहा है, जैसी जानकारी मोबाइल नेटवर्क के जरिए कंट्रोल सेंटर तक पहुंचाता है. यह सिस्टम खासकर लॉजिस्टिक्स और बड़े-बड़े गोदामों के लिए बहुत फायदेमंद होगा.
VLTD के साथ-साथ RFID ट्रांसीवर को भी ट्रैक्टर में लगाया जाएगा, जो ट्रेलर में लगे RFID टैग से कनेक्ट होगा. इससे यह पता चलेगा कि कौन-सा ट्रेलर किस ट्रैक्टर से जुड़ा है और वह कहां तक पहुंचा है.
ट्रेलर में भी होगा बदलाव
अब ट्रेलरों में भी RFID टैग लगाना अनिवार्य किया जाएगा. यह टैग इलेक्ट्रॉनिक पहचान के तौर पर काम करेगा, जिससे ट्रेलर को ट्रैक्टर से डिजिटल रूप से जोड़ा जा सकेगा. यह व्यवस्था लॉजिस्टिक्स सेक्टर में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ाएगी.
2027 से जरूरी होगा इवेंट डेटा रिकॉर्डर (EDR)
इवेंट डेटा रिकॉर्डर (EDR) एक डिजिटल डिवाइस होता है, जो ट्रैक्टर की ब्रेकिंग, टर्निंग, स्पीड जैसी सारी गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है. अगर कोई दुर्घटना होती है तो EDR से यह पता लगाया जा सकता है कि उस समय वाहन की स्थिति क्या थी. इससे बीमा कंपनियों और प्रशासन को सच्चाई जानने में मदद मिलेगी.
कब से लागू होंगे ये नियम?
- VLTD (ट्रैकिंग सिस्टम) अनिवार्य- 1 अक्टूबर 2026
- EDR (इवेंट डेटा रिकॉर्डर) अनिवार्य- 1 अप्रैल 2027
- सभी ट्रेलरों में RFID टैग- IS 16722:2018 मानकों के अनुसार
- फीडबैक और सुझाव का समय- मंत्रालय ने 30 दिन का समय दिया है हितधारकों के सुझावों के लिए
यह बदलाव क्यों है जरूरी?
- चोरी की घटनाओं पर लगाम
- दुर्घटनाओं के कारणों का सही विश्लेषण
- ट्रैक्टर ऑपरेटरों की जवाबदेही तय होगी
- बीमा दावों की प्रक्रिया आसान और पारदर्शी होगी
- लॉजिस्टिक्स में समय की बचत और विश्वसनीयता बढ़ेगी
ट्रैक्टर-ट्रेलर ऑपरेटर्स क्या करें?
ट्रैक्टर या ट्रेलर चलाने वालों को चाहिए कि वे अभी से इस दिशा में तैयारी शुरू करें. नया ट्रैक्टर खरीदते समय ये सुनिश्चित करें कि उसमें ट्रैकिंग डिवाइस और RFID टैग लगाने की सुविधा हो. इससे न केवल नियमों का पालन होगा, बल्कि आपके व्यवसाय में भी फायदा होगा.
नया नियम
सड़क परिवहन मंत्रालय का यह कदम भारत की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था को सुरक्षित, स्मार्ट और डिजिटल बनाने की ओर बड़ा कदम है. ट्रैकिंग और निगरानी के इस नए दौर में देश का ट्रैक्टर उद्योग और भी आधुनिक बनकर उभरेगा.