अगर आप बागवानी से जुड़े हैं या इस क्षेत्र में कुछ नया सीखना चाहते हैं, तो राष्ट्रीय बागवानी मेला आपके लिए खास होने वाला है. इस साल यह मेला 27 फरवरी से 1 मार्च तक बेंगलुरु में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) – भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR) के परिसर में आयोजित किया जाएगा. इस मेले में लेटेस्ट बागवानी तकनीकों और खोजों का प्रदर्शन किया जाएगा, जिससे किसानों और उद्यमियों को सीधे लाभ मिलेगा.
इस साल की थीम: “विकसित भारत के लिए बागवानी”
इस बार मेले की थीम “विकसित भारत के लिए बागवानी – पोषण, सशक्तिकरण और आजीविका” रखी गई है. इसका मकसद बागवानी फसलों की उत्पादकता बढ़ाना, किसानों की कमाई में सुधार लाना और नई तकनीकों को बढ़ावा देना है.
ICAR-IIHR के निदेशक तुषार कांति बेहरा के अनुसार, यह कार्यक्रम खासतौर पर सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए मददगार साबित होगा. उन्होंने बताया कि बागवानी क्षेत्र की उन्नत तकनीकें न केवल कृषि उत्पादन को बढ़ाने में मदद करेंगी, बल्कि ये तकनीकें पर्यावरण के अनुकूल और आर्थिक रूप से फायदेमंद भी होंगी.
भारत में बागवानी का बढ़ता योगदान
क्या आप जानते हैं कि भारत में बागवानी उत्पादन 35 करोड़ टन को पार कर गया है, जो देश के कुल कृषि उत्पादन (33 करोड़ टन) से भी अधिक है? इसका मतलब यह है कि बागवानी क्षेत्र न केवल पोषण सुरक्षा में योगदान दे रहा है, बल्कि अन्य देशों को निर्यात करने में भी मदद कर रहा है.
मेले में दिखेंगी नई तकनीकें और फसलें
इस बार के मेले में कई आधुनिक बागवानी तकनीकों और नई फसल किस्मों का प्रदर्शन किया जाएगा. इनमें प्रमुख हैं:
–अरका श्रेयस लौकी: यह किस्म गम्मी स्टेम ब्लाइट (GSB) रोग प्रतिरोधी है और प्रति हेक्टेयर 48 टन तक की उपज दे सकती है.
–रेड ड्रैगन फ्रूट पाउडर: यह पोषण से भरपूर और बाजार में उच्च मांग वाली फसल है.
–अरका कटहल के जमे हुए पैटीज़ और कबाब: कटहल को अधिक लोकप्रिय बनाने और फूड प्रोसेसिंग उद्योग में इनोवेशन लाने के लिए एक नई पहल.
250 संस्थानों और 75,000 किसानों की भागीदारी
इस बार राष्ट्रीय बागवानी मेले में लगभग 250 बागवानी संस्थान अपने इनोवेशन का प्रदर्शन करेंगे, और 75,000 से अधिक किसान और विशेषज्ञ इस मेले का हिस्सा बनेंगे.
अगर आप खेती, बागवानी या कृषि व्यवसाय से जुड़े हैं, तो यह मेला आपके लिए नई संभावनाओं और सीखने के अनगिनत अवसर लेकर आ रहा है.