गांव की दीदियों ने कर दिखाया कमाल, यूपी में 17 लाख महिलाएं बनीं लखपति

लखपति दीदी बनने की इस राह में महिलाओं को सिर्फ आर्थिक मदद नहीं मिली, बल्कि उन्हें तरह-तरह के कामों से जोड़ा गया है. कोई मधुमक्खी पालन कर रही है, कोई रेशम उत्पादन में जुटी है, तो कोई सौर ऊर्जा परियोजनाओं से जुड़कर अपने गांव को रोशन कर रही है.

नई दिल्ली | Published: 10 Jun, 2025 | 01:56 PM

कभी चूल्हा-चौका और खेत-खलिहान तक सीमित रहने वाली महिलाएं अब गांवों में कारोबार चला रही हैं और सालाना लाखों रुपये कमा रही हैं. ये कोई सपना नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की 17.09 लाख ‘लखपति दीदी’ की हकीकत है. राज्य सरकार के ‘लखपति दीदी कार्यक्रम’ का असर अब जमीन पर दिखने लगा है. महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने और उनके परिवार की सालाना आमदनी 1 लाख रुपये से ज्यादा करने का ये बड़ा कदम माना जा रहा है.

बैठक में पेश की गई बड़ी उपलब्धियां

इस बदलाव को लेकर राज्य सरकार ने हाल ही में एक राज्य स्तरीय समन्वय समिति (SLCC) की बैठक की, जिसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने की. उन्होंने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम बताया. बैठक में मिशन निदेशक दीपा रंजन ने बताया कि अब तक लाखों महिलाओं को स्वरोजगार, खेती, उद्यमिता और सेवा क्षेत्र से जोड़ा जा चुका है.

महिलाएं सिर्फ गृहिणी नहीं, अब उद्यमी हैं

लखपति दीदी बनने की इस राह में महिलाओं को सिर्फ आर्थिक मदद नहीं मिली, बल्कि उन्हें तरह-तरह के कामों से जोड़ा गया है. कोई मधुमक्खी पालन कर रही है, कोई रेशम उत्पादन में जुटी है, तो कोई सौर ऊर्जा परियोजनाओं से जुड़कर अपने गांव को रोशन कर रही है. प्रदेशभर में हजारों महिलाएं विद्युत सखी और बीसी सखी बनकर बिजली और बैंकिंग सेवाएं घर-घर पहुंचा रही हैं. वहीं कई महिलाएं ‘दीदी की रसोई’ और ‘प्रेरणा कैंटीन’ जैसे मॉडल से जुड़े भोजनालय भी चला रही हैं.

बैंकिंग और निवेश से मिली मजबूती

सरकार ने महिलाओं को रिवॉल्विंग फंड, सामुदायिक निवेश निधि, और बैंक ऋण भी उपलब्ध कराए हैं. इससे उन्हें छोटे-मोटे काम शुरू करने में बड़ी मदद मिली है. खुद का दूध व्यवसाय, खाद्य प्रसंस्करण इकाई, या ग्राम उद्यम खोलकर ये महिलाएं अब आत्मनिर्भर बन चुकी हैं.

2026 तक 28.92 लाख महिलाओं को बनाना है लखपति

सरकार का अगला लक्ष्य और भी बड़ा है. वित्तीय वर्ष 2026-27 तक राज्य सरकार की योजना है कि 28.92 लाख महिलाएं लखपति दीदी बनें. यानी हर महिला की सालाना आमदनी कम से कम 1 लाख रुपये हो.

महिलाएं किस-किस काम में जुटीं हैं?

बदल रहा है गांवों का चेहरा

लखपति दीदी कार्यक्रम की सबसे बड़ी ताकत यह है कि इसका असर सिर्फ एक महिला तक सीमित नहीं रहता. जब कोई दीदी आर्थिक रूप से सक्षम होती है, तो उसका पूरा परिवार और पूरा गांव आगे बढ़ता है. यह सिर्फ एक योजना नहीं, गांव की सोच बदलने वाली क्रांति है.

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