कहां से आता है कैवियार? जानिए दुनिया के सबसे लग्जरी खाने के पीछे का सच!

“ब्लैक गोल्ड” यह कोई आम खाना नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे महंगी डिशों में से एक है, जो सुनने में जितनी शानदार लगती है, बनने में उतनी ही जटिल भी.

नई दिल्ली | Updated On: 3 Jul, 2025 | 12:57 PM

अगर आप लग्जरी फूड की दुनिया में रुचि रखते हैं, तो आपने “कैवियार” का नाम जरूर सुना होगा. यह कोई आम खाना नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे महंगी डिशों में से एक है, जो सुनने में जितनी शानदार लगती है, बनने में उतनी ही जटिल भी. पर क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ये आता कहां से है? इसे कैसे बनाया जाता है? और इसके लिए मछलियों को मारना क्यों पड़ता है? तो, आइए जानते हैं इस “ब्लैक गोल्ड” की पूरी कहानी.

क्या है कैवियार?

कैवियार असल में स्टर्जन मछली के अंडे होते हैं, जिन्हें नमक से पकाया जाता है. यह अंडे बिना फर्टिलाइज किए (unfertilized roe) होते हैं, और बिना किसी खास तकनीकों से निकाले जाते हैं. दुनिया के कई देशों में इसे शाही भोजन माना जाता है और इसकी कीमत लाखों रुपये प्रति किलो तक हो सकती है.

कैवियार देने वाली मछलियां

असल कैवियार सिर्फ स्टर्जन (Sturgeon) नामक मछली की प्रजातियों से ही आता है, जैसे:

  • बेलुगा स्टर्जन
  • रशियन स्टर्जन
  • व्हाइट स्टर्जन
  • सिबेरियन स्टर्जन
  • कालुगा स्टर्जन

ये मछलियां बहुत दुर्लभ होती हैं और कुछ तो लुप्तप्राय की श्रेणी में भी आती हैं.

कैसे निकाला जाता है कैवियार?

1. पारंपरिक तरीका

इसमें मछली को मारकर उसके पेट से अंडे निकाले जाते हैं. मछली को पहले बर्फ के ठंडे पानी में रखा जाता है ताकि वह शांत हो जाए, फिर उसके पेट को चीरकर अंडे की थैलियां निकाली जाती हैं. इन थैलियों को जालीदार छन्नी पर रगड़कर अंडे अलग किए जाते हैं. इसके बाद उन्हें धोकर, नमक मिलाकर पैक किया जाता है.

यह तरीका सैकड़ों साल से चला आ रहा है और आज भी सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है क्योंकि इससे गुणवत्ता (texture, flavor) बनी रहती है.

2. नो-किल तरीका

यह आधुनिक और मानवीय तरीका है जिसमें मछली को मारे बिना अंडे निकाले जाते हैं. इसमें दो विधियां होती हैं:

सी-सेक्शन (C-Section): मछली के पेट में चीरा लगाकर अंडे निकाले जाते हैं, फिर सिलाई करके मछली को वापस पानी में डाल दिया जाता है.

विवाचे या मिल्किंग (Vivace): इसमें मछली को हल्के हॉर्मोन इंजेक्शन दिए जाते हैं जिससे अंडे ढीले हो जाते हैं और फिर पेट को दबाकर अंडे बाहर निकाल लिए जाते हैं.

हालांकि ये तरीका जानवरों के लिए बेहतर है, लेकिन इससे कैवियार का स्वाद और बनावट (texture) उतनी अच्छी नहीं बनती, और मछली के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

क्या मछलियों को मारना जरूरी है?

अब भी दुनिया में लगभग 90 फीसदी कैवियार पारंपरिक तरीके से बनता है यानी मछली को मारकर. नो-किल तरीका अभी पूरी तरह सफल नहीं हो पाया है. मुख्य वजह ये है कि ग्राहकों को स्वाद और बनावट में वही क्लासिक कैवियार पसंद आता है. इसके अलावा नो-किल तरीके में लागत ज्यादा आती है.

टिकाऊ खेती का बढ़ता चलन

अच्छी बात ये है कि अब जंगली मछलियों की जगह फार्म में पाली गई मछलियों से कैवियार बनाया जा रहा है जिससे प्राकृतिक प्रजातियां सुरक्षित रहती हैं. एक मछली कई बार अंडे दे सकती है, इसलिए किसान उन्हें जिंदा रखकर लंबे समय तक लाभ उठाते हैं.

सबसे महंगा कैवियार

दुनिया का सबसे महंगा कैवियार “अल्मास कैवियार” (Almas Caviar) है, जो ईरान में पाई जाने वाली दुर्लभ अल्बिनो बेलुगा स्टर्जन मछली के अंडों से तैयार किया जाता है. इसकी कीमत करीब 25 लाख रुपये प्रति किलोग्राम होती है. यह कैवियार सफेद-सुनहरे रंग का होता है और इसे 24 कैरेट गोल्ड के टिन में पैक किया जाता है, जिससे इसकी लग्जरी और बढ़ जाती है. स्वाद, दुर्लभता और पैकेजिंग, तीनों मिलकर इसे दुनिया के सबसे एक्सक्लूसिव फूड्स में शामिल करते हैं.

Published: 3 Jul, 2025 | 12:55 PM