चीन की ओर से दुर्लभ पृथ्वी खनिजों (Rare Earth Minerals) के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों का असर अब ग्लोबल खेती पर पड़ने लगा है. ये खनिज न केवल इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा इंडस्ट्री के लिए, बल्कि खेती मशीनरी, फर्टिलाइजर प्रोडक्शन और इंडस्ट्रियल प्रक्रियाओं के लिए भी महत्वपूर्ण हैं. चीन, जो दुनिया के 90 फीसदी दुर्लभ खनिजों का प्रोडक्शन करता है, उसके प्रतिबंध के फैसले से सप्लाई चेन में समस्याएं पैदा होने लगी हैं, जिससे खेती की लागत बढ़ने और फूड सिक्योरिटी को खतरा पैदा होने की आशंका जताई जा रही है. तो चलिए जानते हैं चाइना के इस कदम से कैसे खेती की दुनिया पर असर पड़ेगा.
1. खेती उपकरणों पर असर
दुर्लभ पृथ्वी मैग्नेट्स (जैसे नियोडिमियम), खेती मशीनरी जैसे ट्रैक्टर, हार्वेस्टर और सिंचाई सिस्टम्स के मोटर्स व इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स में इस्तेमाल होते हैं. चीन के निर्यात प्रतिबंधों के कारण इन मैग्नेट्स की कमी और कीमतें बढ़ रही हैं, जिससे खेती के उपकरणों का निर्माण महंगा हो गया है. भारत जैसे देश, जो इन मैग्नेट्स के लिए चीन पर निर्भर हैं, इससे छोटे किसानों को मशीनों की मरम्मत या खरीद में दिक्कतें आने लगी हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे खेती की लागत बढ़ेगी और किसानों की कमाई प्रभावित होगी.
2. फर्टिलाइजर प्रोडक्शन
खेती में कुछ दुर्लभ खनिज तत्व (जैसे लैंथेनम और सेरियम) फॉस्फेट उर्वरकों के उत्पादन में इस्तेमाल किए जाते हैं. चीन के जरिए इन खनिजों की सप्लाई सीमित करने से उर्वरक निर्माण की प्रक्रिया धीमी हुई है और उनकी कीमतें बढ़ी हैं. भारत में यूरिया के बाद फॉस्फेट उर्वरकों की मांग तेजी से बढ़ रही है, लेकिन महंगे उर्वरकों के कारण किसान कम मात्रा में इनका इस्तेमाल कर पा रहे हैं. इससे फसल प्रोडक्टिविटी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है.
3. इंडस्ट्रियलाइजेशन प्रोसेस में रुकावच
दुर्लभ खनिज तेल रिफाइनरी, केमिकल प्रोडक्शन और ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री में भी इस्तेमाल होते हैं. चीन के प्रतिबंधों से इन क्षेत्रों में सप्लाई सीरीज प्रभावित होने से खेती प्रोडक्शन के ट्रांसपोर्ट और प्रोसेसिंग में देरी हो सकती है. उदाहरण के लिए, डीजल इंजनों में इस्तेमाल होने वाले उत्प्रेरक (Catalytic Converters) के लिए दुर्लभ खनिजों की कमी से ट्रांसपोर्ट की लागत बढ़ सकती है, जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ेगा.
4. ग्लोबल फूड सिक्योरिटी को खतरा
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, खेती उपकरणों और उर्वरकों की बढ़ती लागत से ग्लोबल फूड उत्पादन में 2-4 फीसदी तक की कमी आ सकती है. यह संकट विकासशील देशों में अधिक गहरा होगा, जहां किसान पहले से ही ऊंचे कर्ज और जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे हैं. भारत जैसे देश, जहां 50 फीसदी से अधिक आबादी खेती पर निर्भर है, वहां यह स्थिति महंगाई और पोषण संकट को बढ़ा सकती है.
भारत की चुनौतियां और संभावित सॉल्यूशन
भारत ने हाल ही में दुर्लभ खनिजों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए “क्रिटिकल मिनरल्स मिशन” शुरू किया है. इसके तहत ओडिशा, झारखंड और राजस्थान में खनन प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता दी जा रही है. साथ ही, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों के साथ दुर्लभ खनिजों के आयात के लिए लॉन्गटर्म समझौतों पर बातचीत चल रही है.