गुप्त नवरात्रि 2025 की शुरुआत 26 जून (गुरुवार) यानी की आज से हो गई है और इसका समापन 4 जुलाई (शुक्रवार) को होगा. नवमी तिथि 3 जुलाई दोपहर 2:06 से शुरू होकर 4 जुलाई शाम 4:31 तक रहेगी, जिसके बाद पारण विधि होती है.
गुप्त नवरात्रि को ‘गुप्त’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी पूजा और साधना प्रकट रूप में नहीं, बल्कि एकांत और ध्यानमग्न स्थिति में की जाती है. यह नवरात्रि तांत्रिक और गूढ़ साधनाओं के लिए जानी जाती है, जहां साधक आंतरिक शक्ति और मां दुर्गा से आत्मिक जुड़ाव पाते हैं.
इस दौरान योगी, तांत्रिक और साधक ‘दुर्गा सप्तशती’, ‘देवी भागवत’ और ‘देवी महात्म्य’ जैसे ग्रंथों का पाठ करते हैं. साथ ही विशेष मंत्र-साधना, हवन और ध्यान के जरिए देवी की कृपा पाने का प्रयास करते है.
हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है जैसे शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा आदि. हर स्वरूप शक्ति, साहस, ज्ञान और रक्षा का प्रतीक होता है. ये रूप साधकों को मन, वाणी और आत्मा में संतुलन देते हैं.
गुप्त नवरात्रि के दौरान की गई साधना से नकारात्मकता, डर, मानसिक अशांति और बाधाएं दूर होती हैं. यह एक ऐसा समय होता है जब साधक आत्मिक उन्नति, धन, सफलता और मानसिक शक्ति प्राप्त कर सकते हैं.
शारदीय और चैत्र नवरात्रि की तुलना में, गुप्त नवरात्रि कम चर्चित पर बेहद ही प्रभावशाली मानी जाती है. यह उन लोगों के लिए है जो साधना के माध्यम से जीवन को भीतर से बदलना चाहते हैं. यह पर्व आत्मनिरीक्षण, रहस्य और शक्ति का संगम है.