खेतों में सड़ रही टमाटर की फसल, दामों में गिरावट ने बढ़ाई किसानों की मुश्किल

मध्य प्रदेश में टमाटर की बंपर पैदावार के बावजूद, किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. थोक बाजारों में टमाटर के दाम गिरकर मात्र 2 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए हैं, जिससे किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है.

Noida | Published: 26 Mar, 2025 | 02:06 PM

मध्य प्रदेश में टमाटर की बंपर पैदावार के बावजूद, किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. हालात ये हो गए हैं कि किसान खेत से फसल भी नहीं उठा रहे हैं. थोक बाजारों में टमाटर के दाम गिरकर मात्र 2 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए हैं, जिससे किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है. किसान संगठनों ने सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य और भंडारण सुविधाओं की मांग की है.

बंपर पैदावार के बावजूद किसानों को भारी नुकसान

मध्य प्रदेश में इस बार टमाटर की अच्छी फसल हुई है, लेकिन कीमतें इतनी गिर गई हैं कि किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. थोक मंडियों में टमाटर के दाम 2-3 रुपये प्रति किलो तक लुढ़क गए हैं, जिससे लागत भी नहीं निकल पा रही है.

लागत से कम दाम मिलने से किसान निराश

राज्य के इंदौर, धार, उज्जैन, देवास और खरगोन जैसे जिलों में टमाटर की भरपूर आवक हो रही है, लेकिन मांग कमजोर होने के कारण कीमतें लगातार गिर रही हैं. किसान खेती में लगाए गए खर्च और मेहनत के मुकाबले बेहद कम दाम मिलने से निराश हैं. मजदूरी, खाद, बीज और परिवहन का खर्च तक नहीं निकल पा रहा है.

खेतों में ही सड़ रहे हैं टमाटर

थोक बाजार में टमाटर के दाम इतने गिर गए हैं कि किसान उन्हें मंडी ले जाने की बजाय खेत में ही सड़ने के लिए छोड़ने को मजबूर हैं. फसल की तुड़ाई और परिवहन में होने वाला खर्च भी पूरा नहीं हो पा रहा है. हालात ये हैं कि एक कैरेट (25 किलो) टमाटर को तुड़वाने में जहां करीब 35 रुपये का खर्च आ रहा है, वहीं मंडियों में उसे 40-50 रुपये में बेचना पड़ रहा है. यानी किसानों को प्रति कैरेट महज 5-10 रुपये का मुनाफा हो रहा है, जो लागत के सामने बेहद कम है. कई किसानों ने मंडी में औने-पौने दाम मिलने के कारण फसल को खेत में ही छोड़ दिया है.

भंडारण सुविधाओं की कमी बढ़ा रही परेशानी

टमाटर जैसी जल्दी खराब होने वाली फसलों के लिए कोल्ड स्टोरेज और प्रोसेसिंग सुविधाओं की कमी किसानों की मुश्किलें बढ़ा रही है. किसान फसल को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं.

सरकार से राहत की मांग

किसान संगठनों का कहना है कि टमाटर जैसी जल्दी खराब होने वाली फसलों के लिए भंडारण और प्रसंस्करण सुविधाओं की कमी सबसे बड़ी समस्या है. किसान सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग कर रहे हैं, ताकि उन्हें घाटे से बचाया जा सके.