ट्रंप टैरिफ कांड के बाद अमेरिकी किसानों का क्या हाल, जानना चाहेंगे आप?
चीन की तल्खी ने अमेरिकी किसानों को दरअसल चिंता में डाल दिया है. अब वे उम्मीद कर रहे हैं कि किसी तरह लागत जितनी कमाई कर सकें.

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफ कार्ड वाले कांड का भारत में क्या असर हो रहा है, इसे लेकर लगातार चर्चाएं चल रही हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि किस सेक्टर पर क्या असर होगा. खेती के असर को लेकर भी अलग-अलग राय सामने आ रही है. लेकिन क्या आप जानना चाहते हैं कि अमेरिकी किसानों पर इसका क्या असर पड़ रहा है? खासतौर पर अमेरिकी फैसले के बाद चीन ने जिस तरह का रुख अपनाया है.
सोयाबीन और ज्वार किसान चिंतित
चीन की तल्खी ने अमेरिकी किसानों को दरअसल चिंता में डाल दिया है. अब वे उम्मीद कर रहे हैं कि किसी तरह लागत जितनी कमाई कर सकें. अगर यह लागत से थोड़ा बेहतर हो तो बहुत ही अच्छा. एमएसएन में छपी एपी की खबर के मुताबिक सोयाबीन और ज्वार के किसान खासतौर पर चिंतित हैं. इन फसलों का निर्यात होता है और चीन इसका सबसे बड़ा बाजार है. इसके साथ, चीन के बाजार में कॉर्न, बीफ, चिकन और कुछ अन्य फसलों की जरूरत होती है. पिछले साल चीन ने लगभग 25 बिलियन डॉलर अमेरिकी कृषि उत्पादों पर खर्च किए थे. चीन ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि सभी अमेरिकी प्रॉडक्ट्स पर 34 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा. यह 34 फीसदी इस साल की शुरुआत में लगाए टैक्स के अलावा हैं.
एक तिहाई रह गई है फसल की कीमत
इस सप्ताह ट्रंप की घोषणा के बाद स्टॉक मार्केट की तरह कृषि उत्पादों की कीमतों में भी खासी गिरावट देखी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक एक किसान टिम ड्यूफॉल्ट ने कहा कि सोयाबीन पर प्रति एकड़ 50 से 75 डॉलर कमाई हो जाती थी, जो पिछले दो दिन में कम होकर करीब 25 डॉलर रह गई है. यहां के किसानों को डर है कि जो बाजार पहले उनके लिए था, अब उस पर ब्राजील सहित कुछ और देशों का दबदबा हो जाएगा. चीन में ज्वार का इस्तेमाल बहुत होता है. इसे वे एक लोकप्रिय व्हिस्की बनाने में इस्तेमाल करते हैं. लेकिन अब ज्वार के लिए वे दूसरे देशों का रुख कर सकते हैं.
अमेरिकी किसानों को सरकारी मदद का इंतजार
अमेरिकी किसान अब सरकारी मदद का इंतजार कर रहे हैं. 2020 में सरकार की तरफ से करीब 46 बिलियन डॉलर की मदद मिली थी. लेकिन एग्रीकल्चर सेक्रेटरी ब्रुक रॉलिंस ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा था कि अभी ऐसी मदद देने की जरूरत नहीं लग रही. कुछ किसानों का यह भी मानना है कि अभी जो टैरिफ लगाया गया है, यह लंबे समय तक लागू नहीं रहेगा. ब्रायंट कैगै ने कहा कि जिस तरह टैरिफ लगा है, उसका लंबे समय तक रहना मुमकिन नहीं लग रहा. उन्हें सरकार से भी मदद की उम्मीद है. किसानों को उम्मीद है कि तमाम देश अमेरिका के साथ बातचीत करेंगे और टैरिफ कम किया जाएगा.