कृषि निर्यात में छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक सफलता, कोस्टा रिका को भेजी गई 12 मीट्रिक टन चावल की खेप

भारत सरकार पहले से ही “कुपोषण मुक्त भारत अभियान” चला रही है, जिसमें फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों को बढ़ावा दिया जा रहा है. अब जब यही विचार और उत्पाद विदेशों में भी जा रहे हैं, तो यह दिखाता है कि भारत सिर्फ अपने नागरिकों के पोषण की चिंता नहीं कर रहा, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य में भी योगदान देना चाहता है.

नई दिल्ली | Published: 5 Nov, 2025 | 08:28 AM

fortified rice export: भारत ने कृषि निर्यात के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है. पहली बार छत्तीसगढ़ से 12 मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल कर्नेल की खेप लैटिन अमेरिकी देश कोस्टा रिका भेजी गई है. यह सिर्फ एक निर्यात नहीं, बल्कि भारत के किसानों, मिल मालिकों और कृषि क्षेत्र के लिए गौरव का क्षण है. इस पहल से न केवल भारत के कृषि उत्पादों को नए अंतरराष्ट्रीय बाजार मिले हैं, बल्कि देश की पोषण नीति को भी वैश्विक पहचान मिली है.

क्या है फोर्टिफाइड चावल?

फोर्टिफाइड चावल एक ऐसा विशेष प्रकार का चावल होता है जिसमें पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाई जाती है. इसे चावल के आटे में आयरन (लोहा), फोलिक एसिड, और विटामिन बी12 जैसे जरूरी पोषक तत्व मिलाकर तैयार किया जाता है. इस मिश्रण को मशीनों की मदद से दोबारा चावल के दानों के रूप में बनाया जाता है. इसके बाद इसे सामान्य चावल में एक तय अनुपात में मिलाया जाता है.

ऐसा करने से यह चावल न सिर्फ स्वादिष्ट रहता है, बल्कि इससे कुपोषण जैसी गंभीर समस्या से निपटने में भी मदद मिलती है. भारत में पिछले कुछ सालों में इस तकनीक को स्कूलों, आंगनबाड़ियों और सरकारी योजनाओं में शामिल किया गया है ताकि हर जरूरतमंद व्यक्ति को पौष्टिक भोजन मिल सके.

एपीडा की भूमिका रही अहम

इस निर्यात में एपीडा (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) की अहम भूमिका रही. यह संस्था भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत काम करती है और भारतीय कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देती है.

एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ से फोर्टिफाइड चावल का निर्यात भारत के कृषि क्षेत्र की मजबूती का प्रतीक है. यह कदम न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि भारत की पोषण मिशन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाएगा.

किसानों और निर्यातकों में खुशी की लहर

छत्तीसगढ़ के किसानों और मिल मालिकों में इस खबर से काफी उत्साह है. छत्तीसगढ़ चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष मुकेश जैन ने बताया कि यह शुरुआत सिर्फ एक देश तक सीमित नहीं रहेगी. आने वाले समय में भारत अन्य लैटिन अमेरिकी, अफ्रीकी और एशियाई देशों को भी फोर्टिफाइड चावल भेजने की योजना बना रहा है. उन्होंने कहा कि इससे राज्य के किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.

कुपोषण मुक्त भारत से विश्व तक

भारत सरकार पहले से ही “कुपोषण मुक्त भारत अभियान” चला रही है, जिसमें फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों को बढ़ावा दिया जा रहा है. अब जब यही विचार और उत्पाद विदेशों में भी जा रहे हैं, तो यह दिखाता है कि भारत सिर्फ अपने नागरिकों के पोषण की चिंता नहीं कर रहा, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य में भी योगदान देना चाहता है.

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