GM food Ban: राजस्थान उच्च न्यायालय ने आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थों (GM FOOD) के निर्माण, बिक्री, वितरण और आयात पर तत्काल रोक लगा दी है. यह रोक तब तक लागू रहेगी जब तक कि केंद्र सरकार द्वारा इन खाद्य पदार्थों के लिए स्पष्ट नियम और सुरक्षा मानक नहीं बनाए जाते. न्यायालय ने इस आदेश के साथ भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (FSSAI) और पर्यावरण मंत्रालय की आनुवंशिक अभियांत्रिकी मूल्यांकन समिति (GEAC) को निर्देश दिया कि वे बिना नियमों के किसी भी जीएम फूड को मंजूरी न दें.
क्या है आदेश का कारण
यह रोक एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दी गई. याचिकाकर्ताओं ने मानव स्वास्थ्य पर जीएम फसलों के संभावित दुष्प्रभावों और नियमों की अनुपस्थिति पर चिंता जताई थी. न्यायालय ने कहा कि बिना वैज्ञानिक शोध और मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव का आकलन किए जीएम फूड का आयात करना अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन है.
उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और FSSAI को निर्देश दिया कि वे छह महीने के भीतर GM FOOD के लिए आवश्यक नियम बनाए. अधिनियम की धारा 22 के अनुसार, इन नियमों के बिना किसी भी व्यक्ति को जीएम फूड का निर्माण, वितरण, बिक्री या आयात करने की अनुमति नहीं है.
नियमों का महत्व और सुरक्षा उपाय
न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी जीएम फूड के आयात की अनुमति तब तक नहीं दी जाएगी, जब तक कि उसे निर्यातक देश द्वारा “GM मुक्त” प्रमाणित और लेबल न किया गया हो. इसके अलावा, राज्य भर के सीमा शुल्क और बंदरगाह अधिकारियों को इन निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है.
न्यायालय ने यह भी कहा कि भारत ने कार्टाजेना प्रोटोकॉल और संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता कन्वेंशन (UNCBD) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे जीएम फूड के संबंध में वैधानिक व्यवस्था बनाना सरकार की जिम्मेदारी है.
वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी कारण
वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि जीएम फूड का मानव स्वास्थ्य पर लंबी अवधि में असर हो सकता है. हालांकि अभी तक कोई निश्चित निष्कर्ष नहीं आया है, लेकिन ऐसे खाद्य पदार्थों के कारण एलर्जी, प्रतिरक्षा प्रणाली में बदलाव और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना बताई गई है. इसलिए, न्यायालय ने यह कदम उठाया ताकि लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा पहले सुनिश्चित की जा सके.
आगे क्या होगा
उच्च न्यायालय की इस रोक का मतलब है कि अब जीएम फूड का निर्माण, बिक्री और आयात बिना नियमों के नहीं हो सकेगा. केंद्र सरकार को छह महीने के भीतर नियम बनाने होंगे, जिसके बाद ही जीएम फूड के संबंध में कोई अनुमति दी जाएगी. इस निर्णय से न केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि जीएम फूड को लेकर पारदर्शिता और जवाबदेही भी बढ़ेगी.