ईरान- इजराइल संघर्ष से चावल का कारोबार प्रभावित, बंदरगाहों पर फंसा 1 लाख टन बासमती

अमेरिका के ईरान पर सैन्य कार्रवाई से मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ा है, जिससे भारत का बासमती चावल निर्यात प्रभावित हुआ है. करीब 1 लाख टन चावल कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों पर फंसा है.

नोएडा | Published: 23 Jun, 2025 | 05:11 PM

22 जून को अमेरिका ने ईरान और इजराइल के बीच चल रहे संघर्ष में औपचारिक रूप से प्रवेश कर लिया. अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने के लिए सात B-2 स्टील्थ बॉम्बर भेजे. इससे पहले से ही तनावपूर्ण मिडिल ईस्ट (मध्य पूर्व) इलाका और ज्यादा अस्थिर हो गया है. इस बढ़ते तनाव का असर भारत की बासमती चावल के निर्यात पर भी पड़ा है. आलम यह है कि अभी भारी मात्रा में बासमती चावल बंदरगाहों फंसा पड़ा है.

ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश गोयल का कहना है कि करीब 1 लाख मीट्रिक टन बासमती चावल बंदरगाहों पर फंसा हुआ है. उन्होंने कहा कि कोई भी इंश्योरेंस कंपनी जहाजों को युद्ध क्षेत्र में जाने का कवर नहीं देती, इसलिए जहाज ईरान की ओर नहीं जा रहे हैं और कांडला और मुंद्रा पोर्ट पर अटके हुए हैं. सतीश गोयल ने आगे कहा कि एक्सपोर्टर्स भारत सरकार के संपर्क में हैं. फिलहाल हम ‘वेट एंड वॉच’ मोड में हैं. हम कुछ दिन तक हालात सुधरने का इंतजार करेंगे. लेकिन अगर स्थिति नहीं सुधरी, तो हमें अगला कदम तय करना पड़ेगा.

इन देशों में बासमती की होती है सप्लाई

हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य के बंद होने की आशंका और उसके असर पर बोलते हुए गोयल ने कहा कि अगर हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य बंद हो गया, तो इसका हमारे ऊपर बहुत बुरा असर पड़ेगा. इससे गल्फ देशों में हमारा निर्यात रुक जाएगा. उन्होंने कहा कि भारतीय एक्सपोर्टर्स गल्फ के कई देशों जैसे सऊदी अरब, ईरान, इराक, यमन, जॉर्डन, कतर और ओमान को बासमती और नॉन-बासमती चावल भेजते हैं.

80 फीसदी गल्फ देशों में निर्यात

भारत के कुल बासमती चावल के एक्सपोर्ट का 80 फीसदी गल्फ देशों में जाता है और अकेले ईरान को 35 फीसदी चावल एक्सपोर्ट होता है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, साल 2024-25 में भारत ने ईरान को 753 मिलियन डॉलर यानी 6,024 करोड़ रुपये का बासमती चावल एक्सपोर्ट किया. साल 2023-24 में यह आंकड़ा 681 मिलियन डॉलर यानी 5,448 करोड़ रुपये था, जबकि 2022-23 में भारत ने 980 मिलियन डॉलर यानी 8,506 करोड़ रुपये का बासमती चावल ईरान को भेजा था.

1,000-1,200 करोड़ रुपये का बकाया

वहीं, व्यापार से जुड़े अनुमान बताते हैं कि ईरान के साथ बासमती चावल व्यापार में 1,000-1,200 करोड़ रुपये तक की राशि बकाया है. एक्सपोर्टर राजेश पहाड़िया ने कहा कि हम ईरान के साथ व्यापार में 20 फीसदी का भुगतान एडवांस में लेते हैं और बाकी रकम 180 दिनों की क्रेडिट पर होती है.