लीची के दुश्मन हैं दहिया समेत ये 3 कीट, किसान इन उपायों से बचा लें फसल

लीची के पौधों में भी गर्मियों में कुछ कीड़ों का आक्रमण हो जाता है. जो कि लीची के पौधे को बर्बाद कर देते हैं और साथ ही लीची की फसल लगाने वाले किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 30 Apr, 2025 | 09:00 AM

लीची गर्मियों में मिलने वाला फल है जो कि सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद होता है. लीची पोषक तत्वों से भरपूर होती है. लेकिन सभी फलों की तरह लीची के पौधों में भी गर्मियों में कुछ कीड़ों का आक्रमण हो जाता है. जो कि लीची के पौधे को बर्बाद कर देते हैं और साथ ही लीची की फसल लगाने वाले किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है. अपनी खबर में आज हम ऐसे ही 3 कीटों के बारे में बात करेंगे जो लीची के पौधे को खराब करते हैं और साथ ही बात करेंगे कि कैसे इन कीटों से बचाव किया जा सकता है.

लीची में लगने वाले 3 कीट

  • लीची स्टिंक बग: स्टिंक बग एक ऐसा कीट है जो कि लीची के पौधे में लगकर , पौधे के कोमल हिस्सों और कोमल शाखाओं से रस चूस लेते हैं. इस कीट के कारण पहले फल काले होते हैं , बाद में फल पौधों से गिर जाता है.
  • ऐसे करें बचाव: स्टिंक बग से लीची के पौधे को बचाने के लिए बुप्रोफेजिन 25 प्रतिशत एसएल दवा का 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर पौधे पर छिड़काव करें. इसके अलावा किसान  इमिडाक्लोप्रीड 17.8 प्रतिशत एसएल दवा का 1 मिली 3 लीटर पानी में मिलाकर इसका छिड़काव पौधे पर कर सकते हैं.
  • दहिया कीट: दहिया कीट लगने से लीची के पौधे की कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं क्योंकि ये कीट कोशिकाओं से रस चूसते हैं. जिससे मुलायम तने और मंजर सूख जाते हैं जिसके बाद पौधे से फल टूटकर गिर जाते हैं.
  • ऐसे करें बचाव: बता दें कि बाग की मिट्टी की निराई-गुड़ाई करने से दहिया कीट के अंडे नष्ट होते हैं. किसान लीची के पौधे के तने के नीचे वाले हिस्से में 30 सेमी चौड़ी अल्काथीन या प्लास्टिक की पट्टी लपेट दें और उसपर ग्रीस या कोई चिकना पदार्थ लगा दें. ऐसा करने से कीट पेड़ पर ऊपर नहीं चढ़ सकेंगे.इसके अलावा पौधे की जड़ से 3 से 4 फीट ऊपर भार की चूने से पुताई कर दें. किसान चाहें तो इमिडाक्लोप्रीड 17.8 प्रतिशत एसएल दवा का 1 मिली 3 लीटर पानी में मिलाकर या थायोमेथाक्साम 25 प्रतिशत WG का 1 ग्राम 5 लीटर पानी में मिलाकर पौधे पर इसका छिड़काव कर सकते हैं.
  • लीची माईट: यह कीड़े सबसे पहले पत्तियों पर आक्रमण करते हैं. ये पत्तियों के निचले भाग से रस चूसते हैं.जिसके कारण पत्तियां भूरे रंग के मखमल की तरह होकर सिकुड़कर सूख जाती हैं.
  • ऐसे करें बचाव : किसान को जब भी ये कीट पौधे पर नजर आए तो जिस टहनी या पत्ती पर ये कीट हों उन्हें काट कर जला देना चाहिए. किसान इस कीट से बचाव के लिए सल्फर 80 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण का 3 ग्राम या इथियॉन 50 प्रतिशत का 2 मिली का या प्रोपरजाईट 57 प्रतिशक ईसी का 1 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर इसका घोल बनाकर पौधे पर इसका छिड़काव कर सकते हैं.

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Published: 30 Apr, 2025 | 09:00 AM

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