Sikkim News: आज के समय में खेती केवल भोजन उत्पादन का ही साधन नहीं है बल्कि रोजगार, नवाचार और आर्थिक विकास का बड़ा जरिया बन चुकी है. खासतौर पर सिक्किम जैसे पहाड़ी इलाकों के लिए जहां जैविक खेती और बागवानी की संभावनाएं कई गुना ज्यादा हैं. इन्हीं संभावनाओं को नई दिशा देने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयासरत है. इसी कड़ी में आज केंद्रीय एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिक्किम के बर्मीओक में बने बागवानी महाविद्यालय के प्रशासनिक और शैक्षणिक भवन का उद्घाटन किया. बता दें कि, इस भवन का निर्माण 52 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है. इसके साथ ही उन्होंने कृषि विद्यार्थियों से भी खेती से जुड़े स्टार्टअप्स और इनोवेशन करने की भी अपील की.
जैविक खेती से बढ़ेगी कमाई
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिक्किम को जैविक खेती (Organic Farming) के लिए आदर्श राज्य बताया है. उन्होंने कहा कि यहां के किसान केमिकल खेती से दूर रहकर शुद्ध और प्राकृतिक खेती से जैविक उत्पादन कर रहे हैं. जो कि केवल सिक्किम ही नहीं,पूरे देश में अपनी पहुंच बना रहे हैं. कृषि मंत्री ने बताया कि सिक्किम की जलवायु एवोकाडो, कीवी, बड़ी इलायची, ऑर्किड, अदरक, हल्दी, टमाटर और पत्तागोभी जैसी फसलों के लिए सही है और साथ ही प्रदेश में मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, बांस और औषधीय पौधों की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र का भी विस्तार होगा.
कृषि विद्यार्थियों से खास अपील
शिवराज सिंह ने कृषि विद्यार्थियों से अपील करते हुए कहा कि वे कृषि से संबंधित शिक्षा लेने के बाद खेती से जुड़ें कामों से ही जुड़े रहें, या तो खेती करें या खेती से संबंधित स्टार्टअप्स की शुरुआत करें. उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपनी जानकारी के आधार पर खेती में नए इनोवेशन करें, नई तकनीक का इस्तेमाल करके कैसे हम खेती को और आगे बढ़ा सकते हैं इस पर काम करें क्योंकि आज के समय में खेती के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि आज भी कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा. देश की 46 प्रतिशत आबादी को खेती ही रोजगार दे रही है.
किसानों से प्राकृतिक खेती की अपील
अपने संबोधन के दौरान कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से प्राकृतिक खेती (Natural Farming) करने की अपील की. उन्होंने कहा कि केमिकल उर्वरकों के इस्तेमाल से फसल के उत्पादन और किसानों के स्वास्थ्य दोनों पर ही बुरा असर पड़ता है. इसलिए जैविक खेती को बढ़ावा देना आज की जरूरत है. उन्होंने किसानों से ये भी कहा कि अगर समय रहते प्राकृतिक खेती की तरफ कदम नहीं बढ़ाया गया को आने वाली पीढ़ी को इसके परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.