किसान ने 9 बीघा खेत में अरहर की नई वैराइटी बोई, खूबियों के चलते अधिकारी और किसान फसल देखने पहुंच रहे

मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के खेड़ी गांव में किसान मांगीलाल परमार ने अरहर की नई किस्म पूसा-16 की खेती कर सभी का ध्यान खींचा है. इस किस्म की खासियत है कि यह जल्द पक जाती है.

नोएडा | Updated On: 10 Jul, 2025 | 03:04 PM

मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के खेड़ी गांव में किसान मांगीलाल परमार ने अरहर की एक नई किस्म पूसा-16—की खेती करके सभी का ध्यान खींच लिया है. उन्होंने 9 बीघा खेत में इस वैरायटी को अपनाया और इसके बेहतर परिणाम देखकर अफसरों से लेकर आसपास के किसान तक उनकी फसल देखने पहुंच रहे हैं. यह अरहर जल्दी पकती है, दाने मोटे होते हैं और समय पर कटाई होने से खेत में तीसरी फसल लेना भी संभव हो जाता है. यही वजह है कि झाबुआ की कलेक्टर नेहा मीना खुद मांगीलाल के खेत पर पहुंचीं और उनसे पूसा-16 के फायदे और खेती के तरीके पर विस्तार से बातचीत की.

110 दिन में तैयार हो जाती है इस किस्म की अरहर

किसान मांगीलाल परमार के अनुसार, पूसा-16 अरहर की सबसे बड़ी खासियत  इसका जल्दी तैयार होना है. यह किस्म सिर्फ 110 से 120 दिन में पक जाती है. इसके दाने आम अरहर से बड़े होते हैं, जिससे बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. मध्य प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के मुताबिक, मांगीलाल ने पिछले साल इस किस्म को अपनाकर उन्होंने अच्छी आमदनी कमाई. इतना ही नहीं, जल्दी पकने के कारण वे तीसरी फसल भी ले पाए, जिससे सालभर खेत से कमाई होती रही.

एक साथ तैयार कर रहे हैं दो फसल

इतना ही नहीं, इस साल मांगीलाल परमार ने पूसा-16 अरहर के साथ मक्का की अंतरवर्ती फसल भी लगाई है. उनका कहना है कि पिछली बार अरहर जल्दी तैयार हो गई थी, जिससे उसी खेत में समय रहते चना बोने का मौका मिला और तीसरी फसल भी ली जा सकी. यही वजह है कि अब जिले के कई किसान इस किस्म में रुचि दिखा रहे हैं. कृषि विभाग के अधिकारी भी इस मॉडल को अन्य किसानों तक पहुंचाने की तैयारी कर रहे हैं.

झाबुआ में पूसा-16 अरहर का रकबा पांच गुना बढ़ा

झाबुआ जिले में पूसा-16 अरहर की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है. पिछले साल जिले में इस वैरायटी का रकबा 200 हेक्टेयर था, लेकिन इस बार इसे बढ़ाकर 1000 हेक्टेयर से ज्यादा करने का लक्ष्य रखा गया है. कृषि विभाग का मानना है कि यह किस्म  110–120 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे किसान उसी खेत में दूसरी या तीसरी फसल भी ले सकते हैं. यही वजह है कि विभाग इसे जिलेभर में बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रहा है.

शेडनेट फार्मिंग अपनाने की सलाह

कलेक्टर नेहा मीना ने किसान मांगीलाल परमार को परंपरागत खेती से आगे बढ़कर शेडनेट पद्धति अपनाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि शेडनेट में खीरा और शिमला मिर्च जैसी फसलें ली जा सकती हैं, जिससे आमदनी बढ़ाई जा सकती है. किसान ने भी इस तकनीक में रुचि दिखाई, जिस पर कलेक्टर ने उद्यानिकी विभाग को जरूरी प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए.

जे फार्म पोर्टल और खाद की स्थिति पर चर्चा

कलेक्टर नेहा मीना ने किसान मांगीलाल परमार को जे फार्म पोर्टल की जानकारी दी और बताया कि इस पर रजिस्ट्रेशन कर किसान आसानी से कृषि यंत्र किराए पर ले सकते हैं. इस पर किसान मांगीलाल ने बताया कि उन्हें सोसायटी से खाद मिल गई है और वे नैनो यूरिया का भी उपयोग कर रहे हैं. इस दौरान कृषि और उद्यानिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहे.

Published: 10 Jul, 2025 | 03:04 PM