यूपी का वो इलाका जहां दिवाली पर नहीं जलते दीये, इस दिन लोग मनाते हैं शोक.. जानें क्या है इसकी वजह

क्या आपने कभी सुना है कि भारत के ही एक हिस्से में लोग दिवाली पर दीये नहीं जलाते बल्कि शोक मनाते हैं. ये परंपरा सैंकड़ों साल पुरानी है और यहां के लोग आज भी इस परंपरा का पालन करते हैं. खास बात ये है कि दिवाली पर शोक मनाने की परंपरा उत्तर प्रदेश के एक हिस्से में मनाई जाती है. आइए जानते हैं कि क्या है ये परंपरा.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 18 Oct, 2025 | 11:07 AM

Uttar Pradesh News: दिवाली.. हिंदुओं को सबसे बड़ा त्योहार है. पांच दिन के इस त्योहार में चारों ओर रोशनी और दीयों से लोगों के घर जगमगाते हैं. यह पर्व अंधेरे को दूर करने का पर्व है, बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है. इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं और भगवान से सुख, शांति और समृद्धि का कामना करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में सालों से एक अनोखी परंपरा निभाई जा रही है, और वो है दिवाली न मनाने की पंरपरा. जी हां, मिर्जापुर के करीब आधा दर्जन गांवों में लोग दिवाली के दीये नहीं जलाते बल्कि इस दिन शोक मनाते हैं. दरअसल, चौहान वंश के क्षत्रिय परिवार इस दिन शोक दिवस मनाते हैं. यही कारण है कि वे इस दिन दिवाली न मनाकर एकादशी को दीपावली मनाते हैं और घरों में रोशनी करते हैं.

दीवाली के दिन मनाते हैं शोक दिवस

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के राजगढ़ इलाके के आधा दर्जन गांवों में लोग सैंकड़ों सालों से एक अनोखी परंपरा को निभाते आ रहे हैं. ये लोग दिवाली वाले दिन शोक दिवस मनाते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस दिन इन गांवों में रहने वाले चौहान वंश के क्षत्रिय परिवार के लोग पृथ्वी राज चौहान की मृत्यु का शोक मनाते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस इसी दिन चौहान वंश के राजा पृथ्वी सिंह चौहान की हत्या मुहम्मद गोरी ने की थी, और तभी से ये लोग दिवाली पर खुशियां नहीं बल्कि शोक मनाते हैं. हालांकि, इस दिन गांव के लोग मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं और पूजन करने के बाद शोक मनाते हैं.

एकादशी को मनाते हैं दीवाली

मीडिया रिपोर्टेस के अनुसार, मिर्जापुर के राजगढ़ इलाके के आधा दर्जन गांवों में शोक मनाने वाले ये लोग दिवाली का त्योहार एकादशी के दिन मनाते हैं. स्थानीय लोगों बताते हैं कि स दिन उनके घरों में भरपूर रोशनी होती है और खुशियां मनाई जाती हैं. इस दिन वे बड़ी धूमधाम से दिवाली का त्योहार मनाते हैं.

राजा को सम्मान देने का अनोखा तरीका

इलाके के इन गांवों में दिवाली पर शोक मनाने की पंरपरा चौहान वंश में सैंकड़ों सालों से चली आ रही है. यहां के लोगों का कहना है कि ये परंपरा उनके राजा पृथ्वी सिंह चौहान को सम्मान देने का एक अनोखा तरीका है. राजगढ़ के लोगों की सैंकड़ों साल पुरानी ये परंपरा हमें अपने जीवंत इतिहास की अहसास कराती है.

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Published: 18 Oct, 2025 | 06:45 AM

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