ईरान-इसराइल संघर्ष से बासमती कारोबार प्रभावित, व्यापारियों को भुगतान में हो रही देरी

ईरान-इसराइल संघर्ष से भारत का बासमती चावल व्यापार प्रभावित हुआ है, खासकर पंजाब-हरियाणा के किसानों और निर्यातकों पर असर पड़ा है. ईरान भुगतान में देरी कर रहा है, जिससे व्यापार में अनिश्चितता बढ़ी है.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 20 Jun, 2025 | 12:08 PM

ईरान-इसराइल संघर्ष का असर भारत के बासमती चावल के व्यापार पर भी पड़ा है. खासकर पंजाब और हरियाणा के किसान और निर्यातक इस संघर्ष से ज्यादा प्रभावित हुए हैं. क्योंकि ईरान, भारत के बासमती चावल का सबसे बड़ा खरीदार देशों में शामिल है. 2024 से 25 में उसने 8.55 लाख मीट्रिक टन बासमती खरीदा, जिसकी कीमत लगभग 6,374 करोड़ रुपये है. अगर दोनों देशों के बीच संघर्ष इसी तरह से चलता रहा, तो आने वाले दिनों में बासमती का निर्यात बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है.

कहा जा रहा है कि बासमती निर्यातकों को ईरान को लेकर चिंता है. इसराइल-ईरान संघर्ष बढ़ने के बाद उन्हें शिपमेंट में देरी और भुगतान रुकने का डर सता रहा है. ईरान पिछले कई सालों से सऊदी अरब, इराक और यूएई के साथ भारत के बासमती चावल का सबसे बड़ा खरीदार रहा है. हरियाणा के एक बड़े चावल निर्यातक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि ईरान को बासमती चावल भेजने के बाद भुगतान मिलना एक जटिल प्रक्रिया है. सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल ईरान के आयातक दुबई समेत दूसरे देशों में स्थित व्यापारियों के अकाउंट के जरिए भुगतान कर रहे हैं.

पेमेंट में देरी होने से व्यापारी परेशान

निर्यातकों को उम्मीद है कि इसराइल-ईरान तनाव जल्द शांत होगा. उन्होंने भारत सरकार से अपील की है कि व्यापार को सुरक्षित बनाने के लिए कोई भरोसेमंद तरीका निकाला जाए. जैसे रुपया-रियाल में ट्रेड या बैंक गारंटी सिस्टम, ताकि उनके हित सुरक्षित रह सकें. निर्यातकों का कहना है कि अभी निजी कंपनियों को भुगतान मिलने में 6 से 8 महीने तक लग जाते हैं. वहीं, ईरान की सरकारी एजेंसियों जैसे GTC (गवर्नमेंट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ ईरान), Itka, कृषि मंत्रालय (MAJ) और उद्योग मंत्रालय (MIMT) के जरिए होने वाले भुगतान 90 से 180 दिन में मिलते हैं.

इतने करोड़ रुपये का चावल निर्यात

पंजाब बासमती राइस मिलर्स और एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रंजीत सिंह जोसन ने कहा है कि कभी ईरान भारत का सबसे बड़ा बासमती खरीदार था, लेकिन बीते कुछ सालों में खासकर अमेरिका के प्रतिबंधों की वजह से व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021 से 22 में भारत के बासमती चावल निर्यात में ईरान की हिस्सेदारी करीब 23 फीसदी थी, जिसकी कुल कीमत 0.81 अरब डॉलर यानी 6,723 करोड़ रुपये थी. उस साल कुल निर्यात 3.54 अरब डॉलर यानी 29,382 करोड़ रुपये रहा था.

किन देशों को कितना निर्यात

2024 से 25 में भारत के कुल बासमती चावल निर्यात में सऊदी अरब (20.25 फीसदी), इराक (14.3 फीसदी), ईरान (12.67 फीसदी), संयुक्त अरब अमीरात (6.13 फीसदी) और यमन (6.03 फीसदी) ने मिलकर लगभग 60 फीसदी हिस्सा लिया.

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Published: 20 Jun, 2025 | 12:02 PM

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