Animal Husbandry: महाराष्ट्र कैबिनेट ने एक बड़ा फैसला लेते हुए पशुपालन को कृषि का दर्जा दे दिया है. अब डेयरी, मुर्गीपालन, बकरी और सूअर पालन जैसे काम करने वाले किसानों को खेती से जुड़ी सुविधाएं और फायदे मिल सकेंगे. पशुपालन मंत्री पंकजा मुंडे ने शुक्रवार को विधानसभा में इस फैसले की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इसका मकसद ग्रामीण इलाकों में छोटे पशुपालकों को मदद देना है, न कि बड़े कमर्शियल फार्म या हैचरी को फायदा पहुंचाना. इसके साथ ही महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है जिसने पशुपालन को कृषि का दर्जा दिया है. इससे पहले मछली पालन को कृषि का दर्जा दिया गया था.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पंकजा मुंडे ने विधानसभा में कहा कि इस फैसले से 76.41 लाख पशुपालक परिवारों को फायदा मिलेगा और पशुपालन से किसानों की आमदनी में करीब 7,700 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि जहां खेती राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) में 12 फीसदी का योगदान देती है, वहीं पशुपालन क्षेत्र का योगदान 24 फीसदी है. अब पशुपालकों को भी खेती की तरह सस्ती बिजली मिलेगी. जिनके पास 25,000 तक ब्रॉयलर या 50,000 तक लेयर मुर्गियां हैं, 45,000 क्षमता तक की हैचरी, 100 पशुओं तक की डेयरी, 500 बकरी या भेड़ और 200 सूअरों तक के फार्म हैं, उन्हें कृषि बिजली दरों का लाभ मिलेगा.
पशुपालकों को मिलेगी सब्सिडी की सुविधा
इसके साथ ही, ये पशुपालक अब सोलर पंप और सोलर उपकरणों पर कृषि क्षेत्र के समान सब्सिडी के हकदार होंगे. मुंडे ने यह भी कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए प्रोजेक्ट लोन लेने वाले पशुपालकों को अब पंजाबराव देशमुख ब्याज सब्सिडी योजना के तहत 4 फीसदी तक ब्याज में राहत मिलेगी. इसके अलावा, अब ग्राम पंचायतें भी पशुपालन और पोल्ट्री फार्म पर कृषि टैक्स दरें ही लगाएंगी, जिससे किसानों पर लगने वाला स्थानीय टैक्स कम हो जाएगा.
पशुपालन क्षेत्र में आएगा बड़ा बदलाव
मंत्री पंकजा मुंडे ने कहा कि इस फैसले से टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिलेगा, गांवों में रोजगार के मौके बढ़ेंगे और पशुपालन क्षेत्र में आर्थिक स्थिरता आएगी. महाराष्ट्र में पशुपालन क्षेत्र में यह एक बड़ा बदलाव साबित होगा. उन्होंने 2021 की नीति आयोग की रिपोर्ट का भी जिक्र किया, जिसमें बताया गया था कि पशुपालन क्षेत्र में योजनाबद्ध और वैज्ञानिक प्रबंधन की कमी है. रिपोर्ट में पशुपालकों के आर्थिक जोखिम को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाने की सिफारिश की गई थी.
मछली पालन को भी मिल चुका है कृषि का दर्जा
बता दें बीते अप्रैल महीने में महाराष्ट्र कैबिनेट ने मछली पालन को कृषि का दर्जा दिया था. इस फैसले से मछुआरों और मछली संरक्षण से जुड़े लोगों को पानी, बिजली और दूसरी बुनियादी सुविधाओं का फायदा मिल रहा है. राज्य के मत्स्य मंत्री नितेश राणे ने इस फैसले को “ऐतिहासिक और क्रांतिकारी” बताया था. उन्होंने कहा था कि इससे करीब 4.83 लाख मछुआरों को सीधा फायदा मिलेगा.