कृषि ढांचे को आधुनिक बनाने की दिशा में महाराष्ट्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. अब खेतों तक जाने वाले पारंपरिक संकरे रास्तों को 12 फीट चौड़ा किया जाएगा, ताकि किसानों को कृषि उपकरण खेत तक ले जाने में कोई समस्या न हो. अधिकारियों ने कहा कि किसानों के हित में लिया गया यह एक ऐतिहासिक कदम है. करीब 60 साल बाद यह बदलाव किया गया है. इससे पहले खेत रास्तों के नियम 1966 के महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता में तय हुए थे.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्व विभाग ने इस संबंध में एक सरकारी आदेश (GR) भी जारी कर दिया है. इसके तहत पुराने खेत रास्तों को अब इतना चौड़ा किया जाएगा कि ट्रैक्टर, रोटावेटर और हार्वेस्टर जैसे भारी कृषि यंत्र आसानी से आ-जा सकें. सबसे अहम बात यह है कि इन रास्तों को अब जमीन के आधिकारिक रिकॉर्ड (7/12 दस्तावेज) में दर्ज किया जाएगा, ताकि भविष्य में जमीन को लेकर कोई विवाद या अतिक्रमण न हो सके.
मशीनें लाने-ले जाने में होगी आसानी
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि इस फैसले से किसानों के लिए मशीनें लाना-ले जाना आसान होगा और उनकी उपज समय पर मंडियों तक पहुंच सकेगी. उन्होंने कहा कि किसानों की ओर से अक्सर शिकायतें आती थीं कि संकरे रास्तों से मशीन ले जाने में विवाद होते हैं. उन्होंने कहा कि नई नीति से ऐसे झगड़े कम होंगे और कृषि से जुड़ी ढुलाई व्यवस्था काफी बेहतर होगी. उनके मुताबिक, सरकार ने यह भी तय किया है कि खेत रास्तों को चौड़ा करने के लिए किए गए आवेदन 90 दिनों के भीतर निपटाए जाएं, ताकि काम तेजी से पूरा हो सके.
जमीन की खरीदी-बिक्री में दिक्कत
सरकार की नई गाइडलाइन (GR) में राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि किसी भी खेत रास्ते को चौड़ा करने से पहले उसकी जरूरत का आकलन करें और आसपास के जमीन मालिकों के अधिकार, आपत्तियां और उम्मीदों को ध्यान में रखें. राजस्व मंत्री बावनकुले ने कहा कि मशीनीकरण जरूरी है, लेकिन बिना जरूरत के रास्ते चौड़े नहीं करने चाहिए. जैसे-जैसे खेती में मशीनों का इस्तेमाल बढ़ा है, किसान पारंपरिक संकरे रास्तों से परेशान हो गए हैं. इन रास्तों को कानूनी मान्यता नहीं मिलने के कारण जमीन की खरीदी-बिक्री में भी दिक्कत होती थी.
रिकॉर्ड को बेहतर बनाने में मिलेगी मदद
नई नीति से खेतों तक पहुंच और जमीन के रिकॉर्ड दोनों को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. सरकार के मुताबिक, यह नीति कई दौर की सलाह-मशविरा और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मार्गदर्शन में बनाई गई है. इसका मकसद 21वीं सदी की खेती की जरूरतों के हिसाब से ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है.