इस योजना से बढ़ेगी किसानों की कमाई, 11 करोड़ अन्नदाताओं को डिजिटल ID देने की तारीख तय
हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब भी जल्द ही किसानों को डिजिटल आईडी देने की प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं. इन आईडी के जरिए किसानों की जनसंख्या से जुड़ी जानकारी, उनकी जमीन और फसलों का रिकॉर्ड एकत्र किया जा रहा है.
भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर करीब 70 फीसदी आबादी की आजीविका कृषि पर ही निर्भर है. ऐसे में केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए तरह-तरह की योजनाएं चला रही हैं. साथ ही खेती में डिजिटलीकरण को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. यहां तक किसानों की डिजिटल आईडी बनाई जा रही है, ताकि उनको सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके. डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के तहत डिजिटल ढांचे को मजबूत करने के लिए अब तक 7 करोड़ से ज्यादा यूनिक किसान ID बनाई गई हैं, जो जमीन के रिकॉर्ड से जुड़ी हुई हैं. जबकि, साल 2027 तक 11 करोड़ किसानों के पास डिजिटल आईडी होगी.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि मंत्रालय का लक्ष्य है कि इस वित्तीय वर्ष के अंत तक 90 लाख किसानों को ID दिए जाएं. इस ID को ‘किसान पहचान पत्र’ कहा जाता है. इस पहचान पत्र में किसान की जमीन, उसमें बोई गई फसलें और दूसरी जरूरी जानकारी दर्ज होगी. वित्त वर्ष 2026-27 के अंत तक देशभर में करीब 11 करोड़ किसानों को डिजिटल आईडी मिल जाएगी. आईडी की माध्यम से ही किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा.
किस राज्य में कितने किसानों के पास डिजिटल आईडी
खास बात यह है कि इस समय 14 राज्य अपने किसानों डिजिटल आईडी दे रहे हैं. उत्तर प्रदेश में 1.4 करोड़, महाराष्ट्र में 1.1 करोड़, मध्य प्रदेश में 87 लाख, राजस्थान में 78 लाख, गुजरात में 56 लाख, आंध्र प्रदेश में 45 लाख, तमिलनाडु और तेलंगाना दोनों में 31 लाख किसानों को किसान ID दी गई है. इसके अलावा कर्नाटक में 45 लाख, छत्तीसगढ़ में 25 लाख, केरल में 23 लाख, ओडिशा में 9 लाख), असम में 7 लाख) और बिहार में 5 लाख अन्नदाता को किसान ID मिली है.
ये राज्य भी शुरू करेंगे डिजिटल आईडी की प्रक्रिया
जबकि, अधिकारियों का कहना है कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब भी जल्द ही किसानों को डिजिटल आईडी देने की प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं. इन आईडी के जरिए किसानों की जनसंख्या से जुड़ी जानकारी, उनकी जमीन और फसलों का रिकॉर्ड एकत्र किया जा रहा है, जिससे राज्य सरकारें योजनाएं बेहतर तरीके से किसानों तक पहुंचा सकेंगी.
कब शुरू हुई डिजिटल आईडी देने की प्रक्रिया
सितंबर 2024 में 2,817 करोड़ रुपये की लागत से शुरू की गई इस योजना के तहत किसानों को डिजिटल ID देना एक अहम कदम है. इस मिशन का उद्देश्य एक मजबूत डिजिटल एग्रीकल्चर इकोसिस्टम तैयार करना है, जिसमें AgriStack, कृषि निर्णय समर्थन प्रणाली (Krishi DSS) और मिट्टी की उर्वरता और प्रोफाइल की मैपिंग जैसी तकनीकों को शामिल किया गया है. AgriStack के तहत देशभर के गांवों के जियो-रेफरेंस मैप, फसल बोने का रिकॉर्ड और किसान रजिस्ट्रेशन ID जैसे डेटाबेस तैयार किए जा रहे हैं. अब तक 30 राज्यों ने इन डिजिटल टूल्स को अपनाने पर सहमति दे दी है.
कहा जा रहा है कि अब किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) से कर्ज लेते समय या फसल बीमा के लिए आवेदन करते वक्त, DCS के जरिए यह जांचा जा रहा है कि किसान ने वही फसल बोई है या नहीं, जो उसने दावा किया है. यह पहल किसानों तक योजनाओं का सही लाभ पहुंचाने और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
डेटा का स्वामित्व संबंधित राज्यों के पास ही रहेगा
कृषि मंत्रालय ने संसद में दी गई एक जानकारी में बताया है कि किसान डेटा का स्वामित्व संबंधित राज्यों के पास ही रहेगा. किसानों की डिजिटल रजिस्ट्री में बटाईदार और लीज पर खेती करने वाले किसानों को भी शामिल करने का प्रावधान है. मंत्रालय के अनुसार, राज्य और केंद्रशासित प्रदेश अपनी नीति के अनुसार इन किसानों को रजिस्ट्री में शामिल कर सकते हैं.