मध्यप्रदेश सरकार ने हरियाली और मातृत्व को जोड़ते हुए एक नई पहल की शुरुआत की है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ‘एक बगिया मां के नाम’ अभियान का शुभारंभ करते हुए कहा कि अब 30 हजार महिलाओं को एक-एक एकड़ जमीन पर फलदार बगिया लगाने के लिए 3 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी. ये योजना सिर्फ पर्यावरण को नहीं, ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करेगी. इस पहल के साथ-साथ जल गंगा संरक्षण और धार्मिक स्थलों के विकास पर भी सरकार ने कई बड़े ऐलान किए हैं.
30 हजार महिलाओं को मिलेगा ग्रीन गिफ्ट
मध्य प्रदेश के कृषि विभाग के मुताबिक, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि ‘एक बगिया मां के नाम’ योजना के तहत 30 हजार महिलाओं को एक-एक एकड़ भूमि पर फलदार पेड़ लगाने के लिए 3 लाख रुपये की मदद दी जाएगी. यह राशि तीन चरणों में दी जाएगी. जिससे पौधारोपण, फेंसिंग और सिंचाई जैसी जरूरी व्यवस्थाएं की जा सकें. इसके अलावा, तीन साल में 30 हजार एकड़ भूमि हरियाली से भर जाएगी और यह काम राज्य सरकार के उद्यानिकी और पंचायत विभाग मिलकर करेंगे.
दो चरणों में होगा पौधारोपण अभियान
सरकार ने पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर पौधारोपण का लक्ष्य रखा है. 30 जून से 15 अगस्त तक शासकीय भूमि पर पौधे लगाए जाएंगे. इसके बाद 15 अगस्त से 15 सितंबर तक निजी भूमि पर पौधारोपण होगा. यह अभियान ‘एक पेड़ मां के नाम’ की भावना से जोड़ा गया है, ताकि हर पौधा मातृत्व और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक बन सके.
जल गंगा संरक्षण को नया रूप
सीएम डॉ. मोहन यादव का कहाना है कि अब जल गंगा संरक्षण अभियान नए रूप में चलेगा. नर्मदा, चंबल, सोन और ताप्ती जैसी नदियों को बचाने के लिए घाटों का दोबारा निर्माण किया जा रहा है. नर्मदा देश की ऐसी अकेली नदी है, जिसकी परिक्रमा होती है. मुख्यमंत्री ने साधु-संतों के जीवन और नर्मदा के आध्यात्मिक महत्व को याद करते हुए कहा कि ये परंपराएं हमारी संस्कृति की जड़ हैं.
ओंकारेश्वर को मिलेगा महाकाल लोक जैसा रूप
मुख्यमंत्री ने सिंहस्थ 2028 से पहले ओंकारेश्वर स्थित एकात्म धाम को महाकाल लोक की तर्ज पर विकसित करने की घोषणा की. इतना ही नहीं, ट्रेन कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए ओंकारेश्वर तक रेलवे ट्रैक का विस्तार किया जाएगा. आने वाले समय में यहां हेलीकॉप्टर सेवा भी शुरू होगी, जिससे श्रद्धालुओं और पर्यटकों को फायदा होगा.
रेल प्रोजेक्ट से बढ़ेगा विकास
प्रदेश को 18,500 करोड़ रुपये की लागत से इंदौर-मनवाड़ रेल लाइन का तोहफा मिला है. इससे ट्रांसपोर्ट, व्यापार और धार्मिक पर्यटन को नई रफ्तार मिलेगी. सरकार के मुताबिक, ये सभी योजनाएं मिलकर न सिर्फ पर्यावरण, बल्कि समाज, आस्था और अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देंगी.