1,000 करोड़ का भेड़ घोटाला: मृत लोगों को आवंटित की गई भेड़ें, ईडी ने की बड़ी कार्रवाई

ED ने 200 से ज्यादा संदिग्ध बैंक खातों से जुड़े दस्तावेज जब्त किए हैं जिनमें पासबुक, डेबिट कार्ड, चेकबुक और मोबाइल सिम शामिल हैं. इतना ही नहीं, इन खातों का कनेक्शन एक अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप से भी जुड़ा मिला है, जिससे मामला और गंभीर हो गया है.

नई दिल्ली | Published: 2 Aug, 2025 | 08:58 AM

तेलंगाना में गरीब पशुपालकों की मदद के लिए शुरू की गई भेड़ पालन योजना अब घोटाले की तस्वीर पेश कर रही है. जो योजना गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लाई गई थी, वो अब भ्रष्टाचार का अड्डा बनती दिख रही है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ताजा कार्रवाई में सामने आया है कि इस योजना के नाम पर सरकारी फंड को फर्जी खातों में ट्रांसफर कर बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया.

ED ने 200 से ज्यादा संदिग्ध बैंक खातों से जुड़े दस्तावेज जब्त किए हैं जिनमें पासबुक, डेबिट कार्ड, चेकबुक और मोबाइल सिम शामिल हैं. इतना ही नहीं, इन खातों का कनेक्शन एक अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप से भी जुड़ा मिला है, जिससे मामला और गंभीर हो गया है.

सरकार द्वारा चलाई गई इस योजना में न केवल फर्जी विक्रेताओं को भुगतान किया गया, बल्कि कई मृत या अस्तित्वहीन लोगों के नाम पर भी लाभ दिखाया गया. इस घोटाले से जुड़ी जांच अब मनी लॉन्ड्रिंग कानून (PMLA) के तहत आगे बढ़ाई जा रही है और आने वाले दिनों में इसमें और बड़े खुलासे हो सकते हैं.

भेड़ पालन योजना थी गरीबों के लिए, बन गई भ्रष्टाचार का जरिया

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, 2017 में तत्कालीन BRS सरकार ने “Sheep Rearing Development Scheme (SRDS)” शुरू की थी, ताकि गरीब पशुपालक परिवारों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके. इस योजना के तहत राज्य सरकार ने लाभार्थियों को भेड़ खरीदने के लिए आर्थिक सहायता दी. लेकिन अब सामने आ रहा है कि इस योजना के नाम पर नकली विक्रेताओं और फर्जी लाभार्थियों को करोड़ों रुपये बांटे गए.

क्या-क्या मिला ED को?

रिश्वत से जुड़े दस्तावेज और डिजिटल सबूत

ED ने बताया कि इन खातों में सरकारी पैसे को ट्रांसफर कर, फर्जी बिलों और फर्जी कंपनियों के नाम पर निकाल लिया गया. ये खाते असल में ‘म्यूल अकाउंट्स’ (दूसरों के नाम पर खोले गए फर्जी खाते) थे.

क्या कहती है ऑडिट रिपोर्ट?

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ 7 जिलों में ही 254 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया गया है. अगर पूरे राज्य के 33 जिलों को आधार मानें, तो कुल घोटाले की रकम 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकती है.

रिपोर्ट में ये गंभीर अनियमितताएं पाई गईं

कौन-कौन फंसा?

पूर्व पशुपालन मंत्री तलसानी श्रीनिवास यादव के विशेष कार्य अधिकारी (OSD) जी. कल्याण पर आरोप है कि उन्होंने दफ्तर में घुसकर रिकॉर्ड हटा दिए. इसके साथ ही ACB ने पहले ही फरवरी 2024 में चार सरकारी अधिकारियों को गिरफ्तार किया था. अब ED को कई ऐसे दस्तावेज भी मिले हैं जो दर्शाते हैं कि कुछ अधिकारियों को ‘किकबैक’ यानी रिश्वत भी दी गई थी.

एक भेड़ व्यापारी ने FIR दर्ज कराई है कि उसे 2.1 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया, जबकि उसका सामान विभाग को मिल चुका था. व्यापारी का दावा है कि यह पैसा विभागीय अधिकारियों ने धोखाधड़ी से हड़प लिया.

अब आगे क्या?

ED की जांच अभी जारी है और अब यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग कानून (PMLA) के तहत देखी जा रही है. आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे हो सकते हैं. इस घोटाले ने न सिर्फ भ्रष्टाचार की परतें खोली हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि कैसे गरीबों के नाम पर चलाई जा रही योजनाएं भ्रष्टाचारियों की कमाई का जरिया बन जाती हैं.

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