बेसहारा गोवंश से मिलेगी गरीबों को राह, हर महीने 1500 रुपये देगी सरकार

निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना के तहत उत्तर प्रदेश सरकार बेसहारा गोवंश सुपुर्द करने पर पशुपालकों को हर माह 1500 रुपये की सीधी सहायता देती है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 4 May, 2025 | 08:00 AM

उत्तर प्रदेश की सड़कों पर बेसहारा घूमते गोवंश अब किसी समस्या का हिस्सा नहीं, समाधान का केंद्र बन चुके हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी ‘निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना’ न सिर्फ इन गोवंशों को नया जीवन दे रही है, बल्कि प्रदेश के गरीब पशुपालकों, किसानों और कुपोषित परिवारों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर रही है. वहीं इस योजना के तहत अब तक 2 लाख से अधिक गोवंश जरूरतमंद ग्रामीणों को सुपुर्द किए जा चुके हैं. हर गोवंश के भरण-पोषण के लिए सरकार सीधे डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से 1500 रुपये प्रतिमाह की सहायता देती है. योजना का उद्देश्य फसलों को छुट्टा पशुओं से बचाना, देशी नस्ल का संरक्षण और दुग्ध उत्पादकता के जरिए ग्रामीण आय में वृद्धि करना है.

2 लाख से अधिक लाभार्थियों को गोवंश से मिला लाभ

इस योजना के अंतर्गत विभिन्न स्थायी और अस्थायी गो आश्रय स्थलों में संरक्षित बेसहारा गोवंशों को इच्छुक पशुपालकों, किसानों और ग्रामीणों को सुपुर्द किया जा रहा है. हर पशु के भरण-पोषण के लिए सरकार द्वारा प्रतिदिन 50 रुपये, यानी 1500 रुपये प्रति माह डीबीटी के ज़रिए उनके बैंक खाते में भेजे जा रहे हैं.निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत अब तक 3619 कुपोषित लाभार्थियों को दूध देने वाली गायें दी गई हैं, जबकि 2,01,143 सामान्य लाभार्थियों को गोवंश सुपुर्द किए जा चुके हैं. यह योजना ग्रामीण गरीब परिवारों के लिए आय का नया साधन बन गई है.

अधिकतम 4 गोवंश मिलेंगे

जिलाधिकारी स्तर पर ऐसे पशुपालकों(कृषकों) की पहचान की जाती है जो न सिर्फ गो पालन का अनुभव रखते हों, बल्कि पर्याप्त स्थान और संसाधन भी हो। चयनित व्यक्ति को अधिकतम 4 गोवंश दिए जाते हैं, और उनके कान में पहचान हेतु छल्ला अनिवार्य होता है. योजना की शर्तों में स्पष्ट कहा गया है कि सुपुर्द किए गए गोवंश को किसी भी हाल में न तो बेचा जाएगा और न ही छुट्टा छोड़ा जाएगा.

योजना के तीन बड़े उद्देश्य

निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के पीछे तीन बड़े उद्देश्य हैं, जो ग्रामीण जीवन और कृषि को सीधा प्रभावित करते हैं. पहला उद्देश्य यह है कि छुट्टा पशुओं से फसलों और आमजन को होने वाले नुकसान से सुरक्षा देना. दूसरा, देशी नस्ल के गोवंश का संरक्षण कर देसी दूध और कृषि उपयोग को बढ़ावा देना. तीसरा, उन गरीब और कुपोषित परिवारों को दूध उपलब्ध कराना जो पोषण की कमी से जूझ रहे हैं. इस योजना के ज़रिए सरकार गोवंश संरक्षण के साथ-साथ ग्रामीण आजीविका, पोषण और खेती की सुरक्षा को मजबूत कर रही है.

लाभ क्या हैं?

इस योजना से न केवल निराश्रित गोवंशों को सुरक्षा मिली है, बल्कि पशुपालकों की आय में इजाफा हुआ है और दुग्ध उत्पादन को भी बढ़ावा मिला है. साथ ही, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया संबल मिला है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 4 May, 2025 | 08:00 AM

भारत में सबसे पहले सेब का उत्पादन किस राज्य में शुरू हुआ.

Side Banner

भारत में सबसे पहले सेब का उत्पादन किस राज्य में शुरू हुआ.