गन्ना भारत की एक बेहद अहम नकदी फसल है, जिससे चीनी और गुड़ जैसे उत्पाद तैयार होते हैं. खासकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में गन्ने की खेती किसानों की आमदनी का बड़ा जरिया है. लेकिन अच्छी उपज पाने के लिए सिर्फ बुवाई ही नहीं, बल्कि खेत की सही तैयारी, बुवाई का सही समय और देखभाल के तरीके भी बेहद जरूरी होते हैं. उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग ने किसानों के लिए गन्ने की खेती से जुड़ी जरूरी जानकारी दी गई है
खेत की तैयारी कैसे करें?
उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के अनुसार गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए खेत का तैयार होना बेहद जरूरी होता है. जब मिट्टी में 12 से 15 प्रतिशत नमी हो, तभी गन्ना बोया जाए तो पौधा जमाव अच्छा होता है. अगर मिट्टी सूखी है, तो बुवाई से पहले हल्का पानी देकर नमी बढ़ाई जा सकती है. इसके बाद 2-3 बार गहरी जुताई कर पाटा चलाना चाहिए. यदि आप खेत में हरी खाद डाल रहें हैं तो उसे एक से डेढ़ महीने तक सड़ने का समय देना जरूरी है.
गन्ना बोने की तीन मुख्य विधियां है जिनमें
समतल विधि: इसमें 90 सेंटीमीटर की दूरी पर 7-10 सेंटीमीटर गहरे गड्ढे बनाकर गन्ना बोया जाता है. यह तरीका उन किसानों के लिए बेस्ट हैं जिनके पास सीमित सुविधा वाले किसानों के लिए बेस्ट हैं, जिनके पास सिंचाई, खाद तथा श्रम के सामान्य साधन उपलब्ध न हो.
नाली विधि
इस विधि में बुवाई के एक या डेढ़ माह पूर्व 90 सेंटीमीटर के अन्तराल पर लगभग 20-25 सेंटीमीटर गहरी नालियां बना ली जाती हैं. इस प्रकार तैयार नाली में गोबर की खाद डालकर सिंचाई और गुडई कर मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार कर लिया जाता है. जमाव के उपरान्त फसल के क्रमिक बढ वार के साथ मेड की मिट्टी नाली में पौधे की जड पर गिराते हैं जिससे अन्ततः नाली के स्थान पर मेड तथा मेड के स्थान पर नाली बन जाती हैं जो सिंचाई नाली के साथ-साथ वर्षाकाल में जल निकास का कार्य करती है. यह विधि दोमट भूमि तथा भरपूर निवेश-उपलब्धता के लिये उपयुक्त है. इस विधि से अपेक्षाकृत उपज होती है, परन्तु श्रम अधिक लगता है.
दोहरी पंक्ति विधि
इस विधि में 90-30-90 सेंटीमीटर के अन्तराल पर अच्छी प्रकार तैयार खेत में लगभग 10 सेंटीमीटर गहरे कूंड बना लिये जाते हैं. यह विधि भरपूर खाद पानी की उपलब्धता में अधिक उपजाऊ भूमि के लिये उपयुक्त है. इस विधि से गन्ने की अधिक उपज प्राप्त होती है.
गुड़ाई
गन्ने में पौधों की जड़ों को नमी व वायु उपलब्ध कराने तथा खर-पतवार नियंत्रण के दृष्टिकोण से गुड़ाई अति आवश्यक है. सामान्यत: प्रत्येक सिंचाई के पश्चात एक गुड़ाई की जानी चाहिए. गुड़ाई करने से उर्वरक भी मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाता है. गुड़ाई के लिए कस्सी/ फावड़ा/कल्टीवेटर का प्रयोग किया जा सकता है.
सूखी पत्ती बिछाना
ग्रीष्म ऋतु में मृदा नमी के संरक्षण एवं खर-पतवार नियंत्रण के लिए गन्ने की पंक्तियों के मध्य गन्ने की सूखी पत्तियों की 8-10 से.मी. मोटी तह बिछाना लाभदायक होता है. फौजी कीट आदि से बचाव के लिये सूखी पत्ती की तह पर मैलाथियान 5 प्रतिशत या लिण्डेन धूल 1.3 प्रतिशत का 25 कि ०ग्रा०/हे० या फेनवलरेट 0.4 प्रतिशत धूल को 25 कि०ग्रा० प्रति हेक्टेयर बुरकाव करना चाहिए. वर्षा ऋतु में सूखी पत्ती सड कर कम्पोस्ट खाद का काम भी करती है. सूखी पत्ती बिछाने से अंकुरवेधक का आपतन भी कम होता है.