कैसे उगाएं सजावटी केल का पौधा, किन बातों का रखें ध्‍यान

अक्‍सर आपने किसी बगीचे में या फिर नर्सरी में पत्‍तागोभी की तरह नजर आने वाला एक पौधा देखा होगा. इस पौधे को दरअसल केल कहते हैं और यह सजावट के काम में प्रयोग होता है. जानिए कि आप कैसे अपने घर में इस पौधे को उगा सकते हैं.

Kisan India
Noida | Published: 29 Mar, 2025 | 04:30 PM
1 / 7केल की खेती का चलन पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है क्‍योंकि इसकी खेती एक फायदेमंद सौदा है. केल की मांग नर्सरी, होटल, रिसॉर्ट, बागवानी एक्सपर्ट और लैंड स्केप डिजाइनरों की तरफ से काफी ज्‍यादा होती है.

केल की खेती का चलन पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है क्‍योंकि इसकी खेती एक फायदेमंद सौदा है. केल की मांग नर्सरी, होटल, रिसॉर्ट, बागवानी एक्सपर्ट और लैंड स्केप डिजाइनरों की तरफ से काफी ज्‍यादा होती है.

2 / 7भारत में सजावटी केल उगाने का सबसे अच्छा समय सर्दियों के महीनों के दौरान होता है. इस फूल को आमतौर पर अक्टूबर से मार्च के बीच उगाया जा सकता है जब रात का तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है.

भारत में सजावटी केल उगाने का सबसे अच्छा समय सर्दियों के महीनों के दौरान होता है. इस फूल को आमतौर पर अक्टूबर से मार्च के बीच उगाया जा सकता है जब रात का तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है.

3 / 7केल के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है जिसका pH 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए. सूरज की रोशनी केल की खेती के लिए काफी अहम है. पूरी तरह से सूरज की रोशनी या फिर हल्की छाया में पौधा अच्‍छे से बढ़ता है.

केल के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है जिसका pH 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए. सूरज की रोशनी केल की खेती के लिए काफी अहम है. पूरी तरह से सूरज की रोशनी या फिर हल्की छाया में पौधा अच्‍छे से बढ़ता है.

4 / 7नागोया और पीकॉक सीरीज केल की उन्‍नत किस्‍में हैं. नागोया सीरीज में फूल हरी, बैंगनी, गुलाबी और सफेद पत्तियों वाले होते हैं. जबकि पीकॉक सीरीज हल्के और गहरे रंगों वाली खूबसूरत किस्म होती है.

नागोया और पीकॉक सीरीज केल की उन्‍नत किस्‍में हैं. नागोया सीरीज में फूल हरी, बैंगनी, गुलाबी और सफेद पत्तियों वाले होते हैं. जबकि पीकॉक सीरीज हल्के और गहरे रंगों वाली खूबसूरत किस्म होती है.

5 / 7 इसके बीजों को 1-1.5 सेमी गहराई में बोएं. 10-12 दिनों में इनमें अंकुरण हो जाएगा. वहीं रोपाई के लिए  25-30 दिन पुराने पौधों को खेत में 30-40 सेमी की दूरी पर रोपना बेहतर रहेगा.

इसके बीजों को 1-1.5 सेमी गहराई में बोएं. 10-12 दिनों में इनमें अंकुरण हो जाएगा. वहीं रोपाई के लिए 25-30 दिन पुराने पौधों को खेत में 30-40 सेमी की दूरी पर रोपना बेहतर रहेगा.

6 / 7नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश  की संतुलित मात्रा के साथ ही जैविक खाद जैसे गोबर की खाद या वर्मीकंपोस्ट का प्रयोग करें. एफिड्स, केटरपिलर, और स्लग से बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों (नीम तेल) का सही रहेगा.

नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की संतुलित मात्रा के साथ ही जैविक खाद जैसे गोबर की खाद या वर्मीकंपोस्ट का प्रयोग करें. एफिड्स, केटरपिलर, और स्लग से बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों (नीम तेल) का सही रहेगा.

7 / 7बुवाई के 60-90 दिनों बाद पौधा उपयोग के लिए तैयार हो जाता है. अगर आप एक हेक्‍टेयर में इसकी खेती करते हैं तो 30,000 से 40,000 पौधे लगाए जा सकते हैं. वहीं एक पौधे की औसत कीमत 30 रुपये से लेकर 100 रुपये तक हो सकती है. एक हेक्‍टेयर में इसकी खेती करने पर 50 से 70 हजार रुपये की लागत आती है.

बुवाई के 60-90 दिनों बाद पौधा उपयोग के लिए तैयार हो जाता है. अगर आप एक हेक्‍टेयर में इसकी खेती करते हैं तो 30,000 से 40,000 पौधे लगाए जा सकते हैं. वहीं एक पौधे की औसत कीमत 30 रुपये से लेकर 100 रुपये तक हो सकती है. एक हेक्‍टेयर में इसकी खेती करने पर 50 से 70 हजार रुपये की लागत आती है.

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