आज के समय में किसान अपनी फसलों से अच्छी पैदावार पाने के लिए केमिकल खाद का इस्तेमाल करते हैं. बाजार में मिलने वाली ये केमिकल खाद फसल को अच्छी पैदावार देने में मदद करती है लेकिन जितना आगे जाकर यही केमिकल फसस, वातावरण और लोगों की सेहत पर भी बुरा असर डालती हैं. ऐसे में किसानों को अपने खेतों में जैविक खाद इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. जैविक खाद को आराम से घर पर ही बनाया जा सकता है और ये फसलों को केमिकल खाद के मुकाबले कई गुना ज्यादा फायदा देती हैं. ऐसी ही एक जैविक खाद है जो मछली से बनती हैं. अगर आप खेती के साथ-साथ मछली पालन भी करते हैं तो ये खबर आपके लिए है.
क्या है फिश अमीनो एसिड
फिश अमीनो एसिड (Fish Amino Acid) एक तरह की खाद है जिसे मछली को सड़ाकर तैयार किया जाता है. ये जैविक खाद फसलों के लिए टॉनिक का काम करती है. बता दें कि इस खाद में पहले से ही अमीनो एसिड, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, एंजाइम और माइक्रो न्यूट्रिएंट्स मौजूद होते हैं, जो कि फसलों के विकास के लिए बेहद ही जरूरी होते हैं. मछलियों से बनी ये जैविक खाद फसल के विकास, उन्हें जड़ से मजबूत बनाने, पत्तियों को ज्यादा हरा करने और फूल-फल के ज्यादा उत्पादन में मदद करती है.
मछलियों से ऐसे बनाएं खाद
फिश अमीनो एसिड बनाने के लिए 1 किग्रा मछली को बारिक काट लें या पीस लें. इसमें बराबर मात्रा में गुण मिलाएं. इसके बाद इस मिश्रण को किसी कांच या प्लास्टिक के एयर टाइट बर्तन में डालकर ढक्कन से ढककर सड़ने के लिए छोड़ दें. बीच-बीच में ढक्कन को खोल दें ताकि ऑक्सीजन पास होती रहे. इस मिश्रण को करीब 15 से 20 दिन के लिए छोड़ दें. 15-20 दिन बाद इस मिश्रण को छान लें. मिश्रण को छानने के बाद जो लिक्विड निकलेगा उसे ही फिश अमीनो एसिड कहते हैं.
फसलों पर कैसे करें इस्तेमाल
इस जैविक खाद का इस्तेमाल पत्तियों पर छिड़काव करके भी किया जा सकता है. पत्तियों पर छिड़काव के लिए 1 लीटर पानी में 2 से 4 मिली लीटर फिश अमानो एसिड मिलाकर छिड़काव करें. जड़ों पर इस खाद के इस्तेमाल के लिए हर पौधे के लिए 10 से 20 मिली लीटर खाद को पानी में मिलाकर इस्तेमाल करें. इसके साथ ही आप हर 15 से 20 दिन में एक बार फसलों पर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
फिश अमीनो एसिड के फायदे
इस जैविक खाद के इस्तेमाल से फसलों की जड़े मजबूत होती है साथ ही फसल तेजी से बढ़ती है. फूल और फल भी ज्यादा मात्रा में आते हैं और पत्तियां हरी-भरी होती हैं. यह फसलों में जाकर नाइट्रोजन की मात्रा को पूरा करता है. इसके साथ ही मछली से बनी ये खाद पूरी तरह से वातावरण के अनुकूल होती है.