यूपी में प्राकृतिक खेती बढ़ाएगी सरकार, 2.5 लाख किसानों को जोड़ा जाएगा

योगी सरकार ने रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक इस्तेमाल से मिट्टी में भारी धातुओं की मात्रा बढ़ने की समस्या को हल करने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की योजना शुरू की है. इसके तहत 282 ब्लॉकों और 2144 ग्राम पंचायतों में 2.5 लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 23 Apr, 2025 | 11:33 AM

आज के दौर में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक इस्तेमाल से मिट्टी में भारी धातुओं की मात्रा तेजी से बढ़ रही है. एक वैश्विक रिपोर्ट बताती है कि करीब 15% खेती लायक जमीन अब इन धातुओं से प्रदूषित हो चुकी है. इससे करीब 1.4 अरब लोगों की सेहत पर सीधा असर पड़ रहा है. आर्सेनिक, कैडमियम, लेड, क्रोमियम जैसी खतरनाक धातुएं न केवल मिट्टी बल्कि भोजन, पानी और हवा के जरिए इंसानों, जानवरों और मछलियों तक पहुंच रही हैं. इसी कड़ी में योगी सरकार ने इस समस्या को हाल करते हुए प्राकृतिक खेती को एकमात्र समाधान बताया है.

प्राकृतिक खेती के लिए बनेंगे क्लस्टर

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस खतरे को समय रहते पहचान लिया है और अब प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं. सरकार की योजना है कि 282 ब्लॉकों और 2144 ग्राम पंचायतों के 2.5 लाख किसानों को इस मिशन से जोड़ रही हैं. हर ग्राम पंचायत में 50 हेक्टेयर का एक क्लस्टर बनाकर खेती कराई जाएगी. जिसके लिए हर जिले में दो बायो इनपुट रिसर्च सेंटर (BRC) खोले जाएंगे और किसानों को 2 हेक्टेयर तक के लिए वित्तीय सहायता भी दी जाएगी. यह खेती पूरी तरह से रासायनिक रहित और गो आधारित होगी, जो मिट्टी, जल और मानव स्वास्थ्य तीनों के लिए फायदेमंद है.

कृषि सखियों को मिली जिम्मेदारी

किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करने और सही दिशा दिखाने के लिए सरकार प्रति माह 5000 रुपए मानदेय पर कृषि सखियों की नियुक्ति करेगी. जिन्हें कृषि विज्ञान केंद्रों के एक्सपर्ट्स ट्रेनिंग देंगे. इन सखियों की मदद से गांव-गांव तक खेती का नया मॉडल पहुंचेगा.

21,934 किसानों को मिशन से जोड़ा

इस दिशा में योगी सरकार बुंदेलखंड (झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा और चित्रकूट) में गो आधारित प्राकृतिक खेती मिशन चला रही है. जहां किसान गोबर और गोमूत्र से बनी खाद और कीटनाशक जैसे जीवामृत, बीजामृत आदि जैसे मिश्रण बनाने के तरीके सिखाया जा रहा हैं. किसान इसे बनाकर अपने खेत और फसल में प्रयोग कर सकते हैं. प्राकृतिक खेती मिशन के पहले और दूसरे चरण के लिए सरकार ने 13.16 करोड़ रुपए जारी भी किए हैं. जिसमें अब तक 470 क्लस्टर बनाए गए हैं और 21,934 किसान भी इससे जुड़ चुके हैं. इसके साथ ही हर ग्राम पंचायत में 50 हेक्टेयर का एक क्लस्टर बनाया जा रहा है और किसानों को दो हेक्टेयर तक के लिए वित्तीय सहायता के साथ फार्मर्स फील्ड स्कूल के 2535 सत्र भी आयोजित किए गए हैं.

10 लाख के लोन पर 3 लाख का अनुदान

योगी सरकार ने 7700 से ज्यादा गो आश्रय केंद्र बनवाकर 12.5 लाख गोवंश को संरक्षित किया है. अब इन केंद्रों को ही प्राकृतिक खेती के मॉडल हब के रूप में विकसित किया जा रहा है. यहां वर्मी कंपोस्ट इकाइयां लगाई जा रही हैं और किसानों को गोबर व गोमूत्र के उपयोग की प्रशिक्षण भी दिए जाएंगे. जिससे न केवल खेती में सुधार होंगी बल्कि गो आश्रय केंद्र भी आत्मनिर्भर बन सकेंगे. इसके साथ ही गोवंश पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ‘नंदिनी कृषक समृद्धि योजना’ और ‘अमृत धारा योजना’ लागू की है. इससे किसानों को बैंक से लोन पर 50 प्रतिशत सब्सिडी और 10 लाख तक का लोन आसान शर्तों पर और छोटे किसानों को 3 लाख तक का अनुदान बिना गारंटर के दिया जाएगा.

गो आश्रय केंद्रों की निर्माण लागत बढ़ेगी

हाल ही प्रस्तुत बजट में सरकार ने छुट्टा गोवंश के संरक्षण के लिए 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया. इसके पहले अनुपूरक बजट में भी इस बाबत 1001 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. यही नहीं बड़े गो आश्रय केंद्र के निर्माण की लागत को बढ़ाकर 1.60 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इसके साथ ही 543 गो आश्रय केंद्रों के निर्माण, मनरेगा के तहत भी पशुपालकों को सस्ते में कैटल शेड और गोबर गैस लगाने की सहूलियत भी दी जा रही.

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Published: 23 Apr, 2025 | 11:33 AM

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