अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को घोषणा की कि भारत को 1 अगस्त से 25 फीसदी टैरिफ देना होगा. इससे भारतीय कृषि समेत अन्य उत्पादों की कीमतें अमेरिकी बाजार में बढ़ेंगी, जिससे उनकी मांग में कमी आएगी और भारतीय निर्यातकों को नुकसान होगा. कृषि उत्पादों में भारत सर्वाधिक चावल का निर्यात अमेरिका को करता है. ऐसे में बासमती समेत अन्य चावल, चुनिंदा प्रॉसेस्ड फूड आइटम्स और कृषि उत्पाद टैरिफ के दायरे में हैं और इनके कारोबार को नुकसान पहुंचने की आशंका है. कृषि तकनीकी क्षेत्र के विशेषज्ञ और एग्रीटेक कंपनी सलाम किसान के सीईओ अक्षय खोब्रागड़े ने ‘किसान इंडिया’ को बताया कि अमेरिकी टैरिफ से कृषि कारोबार की चुनौतियां बढ़ेंगी. हालांकि उन्होंने अन्य बाजारों के रूप में नए दरवाजे खुलने की संभावना भी जताई.
1 अगस्त से लागू होंगे 25 फीसदी टैरिफ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को घोषणा की कि भारत को 1 अगस्त से 25 फीसदी टैरिफ देना होगा. ट्रंप ने यह भी कहा कि रूस से ऊर्जा और हथियार खरीदने पर भारत को अतिरिक्त जुर्माना देना होगा. भारत के लिए घोषित 25 फीसदी टैरिफ दर ट्रंप की ओर से 2 अप्रैल को सम्मेलन में घोषित 26 फीसदी से 1 फीसदी कम है. ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, याद रखें, भारत हमारा मित्र है, लेकिन हमने पिछले कुछ वर्षों में उनके साथ अपेक्षाकृत कम व्यापार किया है क्योंकि उनके टैरिफ बहुत ज्यादा हैं, दुनिया में सबसे ज्यादा हैं.
रूस से ऊर्जा और हथियार खरीदने पर भड़के ट्रंप
ट्रंप ने आगे कहा कि इसके अलावा उन्होंने हमेशा अपने अधिकांश सैन्य उपकरण रूस से ही खरीदे हैं और वे रूस के ऊर्जा के सबसे बड़े खरीदार हैं. ऐसे समय में जब हर कोई चाहता है कि रूस यूक्रेन में हत्याएं रोके – सब कुछ ठीक नहीं है! इसलिए भारत को 1 अगस्त से 25 फीसदी टैरिफ और जुर्माना देना होगा. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा है कि देशों के लिए ट्रम्प के पारस्परिक टैरिफ बिना किसी और देरी के 1 अगस्त, 2025 से प्रभावी होंगे. इसलिए कोई विस्तार नहीं, कोई और रियायती अवधि नहीं है. 1 अगस्त से कस्टम्स पैसा वसूलना शुरू कर देगा.
अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे भारतीय उत्पाद
कृषि एक्सपर्ट का मानना है कि अमेरिका के टैरिफ लगाने से भारतीय कृषि उत्पादों की कीमतें अमेरिकी बाजार में बढ़ेंगी, जिससे उनकी मांग में कमी आने की आशंका है. इससे भारतीय कृषि निर्यातकों को नुकसान होगा. खासकर उन उत्पादों के लिए जो अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं. कीमतें बढ़ने पर भारतीय उत्पादों की अमेरिकी बाजारों में मांग में गिरावट आएगी. इससे भारतीय कारोबारियों, निर्यातकों को भारी नुकसान होगा.
13 हजार करोड़ के कृषि बिजनेस पर असर पड़ेगा
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स (DGCIS) के आंकड़ों के अनुसार भारत अमेरिका को सालाना 12,435 करोड़ रुपये के खाद्यान्न, फल-सब्जियों समेत मीट, डेयरी और दलहन उत्पादों का निर्यात करता है. निर्यात किए गए अन्य कृषि उत्पादों में 1,489 करोड़ के डेयरी प्रोडक्ट, 1,129 करोड़ रुपये के प्रॉसेस फ्रूट और जूस, 758 करोड़ की प्रॉसेस सब्जियां, 478 करोड़ रुपये की दालें, 434 करोड़ रुपये के ताजा फल समेत कई उत्पाद शामिल हैं. इन सभी सेलेक्ट प्रॉसेस्ड फूड और कृषि उत्पादों पर टैरिफ लागू होगा.
चावल कारोबार को नुकसान की आशंका
साल 2023-24 में भारत ने अमेरिका को सबसे ज्यादा चावल का निर्यात किया है. 2023-24 में भारत ने अमेरिका को 2,527 करोड़ रुपये का 2.34 लाख मीट्रिक टन बासमती चावल बेचा. जबकि, 373 करोड़ रुपये का 53,630 मीट्रिक टन गैर बासमती चावल निर्यात किया है. टैरिफ लगने से चावल निर्यात प्रभावित होने से कारोबार पर असर पड़ सकता है.
क्या बोले एक्सपर्ट
कृषि तकनीकी क्षेत्र के विशेषज्ञ और एग्रीटेक कंपनी सलाम किसान के सीईओ अक्षय खोब्रागड़े ने ‘किसान इंडिया’ को बताया कि अमेरिकी परस्पर शुल्कों (reciprocal tariffs) के लागू होने से भारतीय कृषि निर्यातों पर कुछ चुनौतियां होंगी. हालांकि कुछ नई संभावनाओं और वैश्विक बाजारों के दरवाजे भी खुलेंगे. उन्होंने कहा कि टैरिफ लगने से भारतीय उत्पादों की कीमतों में बढ़ोत्तरी हो सकती है, जिससे अमेरिकी बाजार में उनकी मांग घट सकती है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए भारतीय कृषि उत्पादों की कीमत बढ़ने से इन उत्पादों की मांग में कमी हो सकती है. इससे भारतीय निर्यातकों को निर्यात वॉल्यूम में गिरावट का सामना करना पड़ सकता है, जो सीधे तौर पर उनकी आय को प्रभावित करेगा.