Tamil Nadu News: तमिलनाडु के तिरुनलवेली जिला स्थित चेरनमहाड़ेवी तालुक में शुक्रवार रात हुई अचानक भारी बारिश और तेज हवाओं ने किसानों को बड़ा नुकसान पहुंचाया. करीब 60,000 केले के पेड़ तबाह हो गए, जिनमें से ज्यादातर पेड़ फसल के लिए तैयार थे. अगले दिन कलेक्टोरेट की एक प्रेस नोट में भी केले की बागवानी को हुए नुकसान की पुष्टि की गई है. वहीं, प्रभावित किसानों ने राज्य से फसल के नुकसान का मुआवजा देने की मांग की है.
तिरुनलवेली कलेक्टर आर सुकुमार ने शनिवार को चेरनमहाड़ेवी तालुक के कूनियूर, नॉर्थ कारुकुरिची, साउथ अरियानायगीपुरम, नॉर्थ अरियानायगीपुरम, नॉर्थ वीरावनल्लूर, किरीअम्मलपुरम और थिरुपुदाइमरुथूर गांवों में प्रभावित केले के बागान का निरीक्षण किया. उन्होंने हर्टीकल्चर विभाग और गांव प्रशासन के अधिकारियों को बागानों को हुए कुल नुकसान का आंकलन करने और जल्द रिपोर्ट देने के निर्देश दिए.
कूनियूर के किसान एन देवनथिरन ने कहा कि उन्होंने 1,000 केले के पेड़ लगाए थे, जो दो महीनों में कटाई के लिए तैयार थे, लेकिन तेज हवा ने लगभग सभी पेड़ उखाड़ दिए. उन्होंने कहा कि केले के पेड़ उगाने में उन्होंने कुल 80,000 रुपये खर्च किए थे. एक अन्य किसान एन मरीप्पन ने कहा कि उनके 3,000 केले के पेड़ों में से लगभग 900 पेड़ कूनियूर में तीन एकड़ जमीन पर गल्फ की वजह से नष्ट हो गए.
15,000 से ज्यादा केले के पेड़ उखड़ गए थे
बता दें कि तमिलनाडु में आंधी आने से हर साल किसानों को नुकसान पहुंचता है. बीते मई हमीने में कोयंबतूर जिले के पेरूर तालुक के तीथीपलायम और कुप्पनूर गांवों में तेज आंधी से 15,000 से ज्यादा केले के पेड़ उखड़ गए थे. इससे पहले अन्नूर तालुक के कई गांवों में पिछले हफ्ते तेज हवाओं से 60,000 से ज्यादा केले के पेड़ नष्ट हो गए थे. तब किसानों का कहना था कि सरकार की तरफ से मिलने वाला मुआवजा बहुत कम है. सरकार एक हेक्टेयर के लिए सिर्फ 17,500 रुपये देती है, जो कि प्रति पेड़ 6 रुपये के हिसाब से होता है, जबकि एक पेड़ की वास्तविक लागत 800 रुपये होती है.
किसानों को भारी नुकसान हुआ
तमिलनाडु विवसायीगल संगम के उपाध्यक्ष आर. पेरियासामी ने कहा था कि किसानों को भारी नुकसान हुआ है, क्योंकि ज्यादातर केले की फसल कटाई के लिए तैयार थी. बागवानी विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारी खुद जाकर इन प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करें और आपदा प्रबंधन फंड से किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए. तब बागवानी विभाग के एक अधिकारी ने कहा था कि मुआवजा राशि बढ़ाना सरकार का नीतिगत निर्णय होता है. हम किसानों की मांग सरकार को सिफारिश के रूप में भेज सकते हैं.