केंद्र सरकार के मनरेगा की जगह लाए गए नए बिल विकसित भारत- गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक 2025 लोकसभा से पारित हो गया है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह ने लोकसभा में विपक्षी नेताओं को भाषण में जवाब देते हुए खूब खरी-खोटी सुनाई है. उन्होंने अपने भाषण में बताया कि नए विधेयक को लाने की जरूरत क्यों पड़ी. उन्होंने नए बिल को गांवों के विकास का विधायक बताया.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने भाषण में कहा कि मैंने रात के डेढ़ बजे तक माननीय सदस्यों की बात सुनी है. अपनी बात सुना देना और फिर जवाब न सुनना ये लोकतांत्रिक परंपराओं को तार-तार करना है. संविधान की धज्जियां उड़ाना है. ये बापू के आदर्शों की हत्या भी कर रहे हैं. अपनी बात सुना दो और हमारी न सुनो. ये भी हिंसा है. यह बापू के आदर्शों की हत्या करने का काम कांग्रेस और बाकी विपक्ष कर रहे हैं.
पूर्ववर्ती सरकारों ने फंड का दुरुपयोग किया, लेकिन हमारी सरकार ने विकास कार्यों पर खर्च करने पर जोर दिया। सरकार किसानों के साथ-साथ गरीबों के कल्याण के लिए विधेयक लाई है, जिसका विरोध किया जा रहा है।
सबसे पहले मैं पूज्य बापू (राष्ट्रपति महात्मा गांधी) के चरणों में प्रणाम करना चाहता हूं। बापू हमारी श्रद्धा हैं। बापू जी हमारे आदर्श हैं। बापू हमारी प्रेरणा हैं। बापू हमारे विश्वास हैं। इसलिए माननीय अध्यक्ष महोदय भारतीय जनता पार्टी ने अपने पंच निष्ठाओं में गांधी के सामाजिक-आर्थिक दर्शन को स्थान दिया है। हम गांधी जी के आदर्शों पर चलने वाले हैं। गांधी जी ने ही कहा था कि गांव भारत की आत्मा है। अगर गांव मर जाएंगे, भारत मर जाएगा।
यह गांवों के विकास का विधायक है। माननीय प्रतिपक्षी सदस्यों ने कई तरह के आरोप लगाए। एक बात यह कही कि हम भेदभाव करते हैं। सारा देश हमारे लिए एक है। चेन्नई हो या गुवाहाटी, अपना देश-अपनी माटी। अलग भाषा-अलग वेष, फिर भी अपना एक देश।
मैं इनको बताना चाहता हूं कि अटल जी ने क्या कहा था। माननीय अध्यक्ष महोदय, हम देश के किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं करते। हमारे नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था – यह देश हमारे लिए जमीन का टुकड़ा नहीं है, जीता-जाता राष्ट्र पुरुष है।
अपने खानदान का महिमामंडन करने के लिए इन्होंने महात्मा गांधी की बजाय केवल नेहरू परिवार के नाम पर सरकारी योजनाओं का नामकरण किया। नेहरू परिवार के नाम पर योजनाओं के नाम रखे गए। 25 नाम स्वर्गीय राजीव गांधी और 27 नाम इंदिरा गांधी के नाम पर रखे गए। इसके अलावा शैक्षणिक संस्थानों, सड़कों, इमारतों, अवार्ड्स के नाम भी इसी खानदान के लोगों के नाम पर रखे गए।
गांधी जी के नाम पर रोने वाले विपक्ष को याद रखना चाहिए कि गांधी जी ने यह भी कहा था कि अब आजादी मिल गई और कांग्रेस को भंग कर देना चाहिए। कांग्रेस की जगह लोक सेवक संघ बनाना चाहिए। लेकिन नेहरू जी ने सत्ता से चिपके रहने और आजादी के आंदोलन का लाभ उठाने के लिए कांग्रेस भंग नहीं की।
बापू जी के आदर्शों की हत्या कांग्रेस ने उसी दिन कर दी, जिस दिन कांग्रेस भंग नहीं की गई। जिस दिन इस देश का बंटवारा स्वीकार किया गया, इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया उसी दिन बापू के आदर्शों की हत्या हो गई। मोदी सरकार ने नरेगा सही तरह से लागू करने का काम किया है। इसमें कई तरह की कमियां थीं और मोदी सरकार ने इन कमियों को दूर किया है.
हम बताना चाहेंगे कि इस नए विधेयक को लाने की जरूरत क्यों पड़ी। अपेक्षाकृत राज्यों के बीच फंड का बटवारा नहीं हो पा रहा था। मनरेगा में कई तरह की समस्याएं आ रही थीं। इस योजना में 60 प्रतिशत पैसा मजदूरी के लिए था और 40 प्रतिशत मैटेरियल के लिए था। मैटेरियल पर तो सिर्फ 26 प्रतिशत पैसा खर्च किया गया। मनरेगा को पूरी तरह से भष्टाचार के हवाले कर दिया गया था.