पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कोरपुट कॉफी की चर्चा की और कहा कि दुनियाभर हमारी कॉफी खूब पॉपुलर है. अब पूर्वोत्तर के कई इलाकों में भी कॉफी उत्पादन बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि मैंग्रोव वनों को गुजरात में विकसित किया जा रहा है और ये वन पर्यावरण को काफी लाभ पहुंचाते हैं. उन्होंने दीवाली, छठ पूजा का जिक्र भी किया.
40 कुओं और 6 झीलों को पुनर्जीवित करने वाले इंजीनियर की तारीफ की
पीएम मोदी ने कहा कि देश में कई लोग कमाल का काम कर रहे हैं और उनमें शामिल हैं बेंगलुरु के इंजीनियर कपिल शर्मा. बेंगलुरू को झीलों का शहर कहा जाता है और कपिल जी ने यहां झीलों को नया जीवन देने का अभियान शुरू किया है. कपिल जी की टीम ने बेंगलुरु और आसपास के इलाकों में 40 कुंओं और 6 झीलों को फिर से जिंदा कर दिया है. खास बात तो ये है कि उन्होंने अपने मिशन में कॉरपोरेट और स्थानीय लोगों को भी जोड़ रहे हैं. उनकी संस्था पेड़ लगाने के अभियान से भी जुड़ी है. अम्बिकापुर और बेंगलुरू ये प्रेरक उदाहरण बताते हैं कि जब ठान लिया जाए तो बदलाव भी आकर के ही रहता है. पीएम मोदी ने इसके अलावा भी इनोवेटिव काम करने वाले कई युवाओं का भी जिक्र किया.
मैंग्रोव वनों की जरूरत और उनके लिए की जा रही पहल को सराहा
पीएम मोदी ने कहा कि आप सब जानते हैं जैसे पहाड़ों पर और मैदानी इलाकों में जंगल होते हैं ये जंगल मिट्टी को बांधे रहते हैं, कुछ वैसी ही अहमियत समंदर के किनारे मैंग्रोव (Mangrove) की होती है. मैंग्रोव वन समुद्र के खारे पानी और दलदली जमीन में उगते हैं और समुद्री इको सिस्टम का एक अहम हिस्सा होते हैं. सुनामी या चक्रवात जैसी आपदा आने पर ये मैंग्रोव वन बहुत मददगार साबित होते हैं.
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गुजरात के वन विभाग ने Mangrove के इस महत्व को समझते हुए खास मुहिम चलाई हुई है. 5 साल पहले वन विभाग की टीमों ने अहमदाबाद के नजदीक धोलेरा में Mangrove लगाने का काम शुरू किया था, और आज, धोलेरा तट पर साढ़े तीन हजार हेक्टेयर में Mangrove फैल चुके हैं. इन Mangrove का असर आज पूरे क्षेत्र में देखने को मिल रहा है. वहां के eco system में dolphins की संख्या बढ़ गई है. केकड़े और दूसरे जलीय जीव भी पहले से ज्यादा हो गए हैं. यही नहीं, अब यहां प्रवासी पक्षी भी काफी संख्या में आ रहे हैं. इससे वहां के पर्यावरण पर अच्छा प्रभाव तो पड़ा ही है, धोलेरा के मछली पालकों को भी फायदा हो रहा है.
धोलेरा के अलावा गुजरात के कच्छ में भी इन दिनों Mangrove Plantation बहुत जोरों पर हो रहा है, वहां कोरी क्रीक में मैंग्रोव लर्निंग सेंटर (Mangrove Learning Centre) भी बनाया गया है. पेड़-पौधों की, वृक्षों की यही तो खासियत होती है। जगह चाहे कोई भी हो, वो हर जीव मात्र की बेहतरी के लिए काम आते हैं.
कोरापुट कॉफी की चर्चा और पूर्वोत्तर में बढ़ती खेती का जिक्र
पीएम मोदी ने कहा कि आपको याद होगा, बीते साल हमने ‘मन की बात’ में अराकू कॉफी पर बात की थी. कुछ समय पहले ओडिशा के कई लोगों ने मुझसे कोरापुट कॉफी को लेकर भी अपनी भावनाएं साझा की. उन्होंने मुझे पत्र लिखकर कहा कि ‘मन की बात’ में कोरापुट कॉफी पर भी चर्चा हो. मुझे बताया गया है कि कोरापुट कॉफी का स्वाद गजब होता है, और इतना ही नहीं, स्वाद तो स्वाद, कॉफी की खेती भी लोगों को फायदा पहुंचा रही है. कोरापुट में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपने पैशन की वजह से कॉफी की खेती कर रहे हैं. कॉरपोरेट वर्ल्ड में अच्छी-खासी नौकरी करते थे. लेकिन वो कॉफी को इतना पसंद करते हैं कि इस फील्ड में आ गए और अब सफलता से इसमें काम कर रहे हैं. ऐसी कई महिलाएं भी हैं, जिनके जीवन में कॉफी से सुखद बदलाव हुआ है.
दुनियाभर में भारत की कॉफी बहुत लोकप्रिय हो रही है. चाहे कर्नाटका में चिकमंगलुरु, कुर्ग और हासन हो. तमिलनाडु में पुलनी, शेवरॉय, नीलगिरी और अन्नामलाई के इलाके हों, कर्नाटक–तमिलनाडु सीमा पर बिलिगिरि क्षेत्र हो या फिर केरला में वायनाड, त्रावणकोर और मालाबार के इलाके – भारत की कॉफी की diversity देखते ही बनती है. मुझे बताया गया है कि हमारा पूर्वोत्तर भी कॉफी की खेती में आगे बढ़ रहा है. इससे भारतीय कॉफी की पहचान दुनियाभर में और मजबूत हो रही है.