सेब व्यापारियों की खुशी दोगुनी, हाईवे जाम से मिलेगी राहत, कश्मीर से दिल्ली तक कार्गो ट्रेन शुरू
भारतीय रेल ने कश्मीर और दिल्ली के बीच कार्गो ट्रेन (मालगाड़ी सेवा) शुरू करने की मंजूरी दे दी है. इससे सेब सहित अन्य फलों और सामान का परिवहन न सिर्फ तेज होगा, बल्कि लागत भी कम आएगी.
कश्मीर को अक्सर “भारत का सेब बागान” कहा जाता है. यहां के हरे-भरे बगीचों में उगने वाले सेब देशभर के बाजारों में अपनी मिठास और गुणवत्ता के लिए मशहूर हैं. लेकिन अब तक एक बड़ी समस्या यह थी कि इन सेबों को घाटी से बाहर ले जाना महंगा और मुश्किल काम था. जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अक्सर भूस्खलन और ट्रैफिक जाम के कारण ट्रक समय पर दिल्ली और अन्य राज्यों तक नहीं पहुंच पाते थे. इस देरी की वजह से किसानों और व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता था.
अब किसानों और व्यापारियों के चेहरे पर मुस्कान लौटी है. भारतीय रेल ने कश्मीर और दिल्ली के बीच कार्गो ट्रेन (मालगाड़ी सेवा) शुरू करने की मंजूरी दे दी है. इससे सेब सहित अन्य फलों और सामान का परिवहन न सिर्फ तेज होगा, बल्कि लागत भी कम आएगी.
किसानों के लिए बड़ी राहत
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, बारामूला के एक किसान गुलाम मोहम्मद भट कहते हैं, “यह हमारे लिए बहुत बड़ी राहत है. हर साल सड़क बंद होने से सेब बाजार तक नहीं पहुंच पाते थे. अब ट्रेन से यह परेशानी काफी कम हो जाएगी.”
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह मालगाड़ी बडगाम (कश्मीर) से दिल्ली के आदर्श नगर स्टेशन तक चलेगी और इसमें 8 पार्सल वैन होंगे. अनुमान है कि यह सेवा अगले हफ्ते से शुरू हो जाएगी.
सही समय पर लिया गया फैसला
कश्मीर वैली फ्रूट ग्रोवर्स यूनियन के अध्यक्ष बशीर अहमद बशीर ने कहा कि यह फैसला बिल्कुल सही समय पर लिया गया है, क्योंकि कुछ ही हफ्तों में सेब की तुड़ाई का मौसम शुरू होने वाला है. उनका कहना है,
“अब हमारी फसल समय पर दिल्ली के थोक बाजारों तक पहुंचेगी और परिवहन लागत भी कम होगी. किसानों की आमदनी बढ़ेगी और घाटी की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.”
कश्मीर सेब की अहमियत
कश्मीर हर साल करीब 22 लाख टन सेब पैदा करता है, जो देश की कुल उत्पादन का लगभग 75 फीसदी है. सीजन के दौरान रोजाना 2,000 से 3,000 ट्रक सेब लेकर घाटी से बाहर निकलते हैं. लेकिन अब मालगाड़ी की वजह से हजारों टन सेब सीधे दिल्ली तक पहुंच पाएंगे.
नई शुरुआत
हाल ही में 9 अगस्त को पंजाब से सीमेंट लेकर आई पहली मालगाड़ी जब अनंतनाग स्टेशन पहुंची तो इसे घाटी के लिए एक “नई शुरुआत” माना गया. इससे यह साफ हो गया कि अब न सिर्फ निर्माण सामग्री बल्कि सेब और दूसरे कृषि उत्पाद भी रेलवे के जरिए आसानी से घाटी से बाहर भेजे जा सकेंगे.