बारिश ने कपास की फसल को किया बर्बाद, CCI की सख्त नीति से परेशान किसानों ने की ये मांग
केंद्र सरकार ने 2025–26 सीजन के लिए कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मध्यम रेशे वाली कपास के लिए 7,710 रुपये प्रति क्विंटल और लंबे रेशे वाली कपास के लिए 8,110 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. लेकिन खुले बाजार में कीमतें 3 से 5.60 रुपये प्रति किलो के बीच चल रही हैं, जो MSP से काफी कम हैं.
महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र के कपास किसान इन दिनों गहरी मुश्किल में हैं. लगातार हो रही बारिश ने कपास की फसल को नुकसान पहुंचाया है और तुड़ाई तोड़ाई में देरी कर दी है. इससे कपास के रेशों में नमी की मात्रा सामान्य से अधिक हो गई है. नतीजतन, किसानों को भारतीय कपास निगम (CCI) के खरीद मानकों के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसल बेचने में दिक्कत आ रही है.
बारिश ने बढ़ाई किसानों की परेशानी
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, पिछले कुछ हफ्तों से विदर्भ और आसपास के इलाकों में लगातार बारिश हो रही है. इस वजह से खेतों में कपास की फसल भीग गई और उसकी गुणवत्ता पर असर पड़ा. सामान्य रूप से कपास में 12 प्रतिशत तक नमी स्वीकार्य होती है, लेकिन अब कई जिलों में यह स्तर 18 से 20 प्रतिशत तक पहुंच गया है. ऐसे में भारतीय कपास निगम ने इस फसल को खरीदने से मना कर दिया है, क्योंकि मौजूदा नियमों के तहत वह 12 प्रतिशत से अधिक नमी वाला कपास नहीं खरीद सकता.
किसानों का कहना है कि यह स्थिति उनके नियंत्रण से बाहर है. अगर कपास की नमी के कारण खरीदी नहीं होगी, तो उन्हें मजबूरी में निजी व्यापारियों को औने-पौने दामों पर कपास बेचना पड़ेगा, जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार की स्थिति
केंद्र सरकार ने 2025–26 सीजन के लिए कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मध्यम रेशे वाली कपास के लिए 7,710 रुपये प्रति क्विंटल और लंबे रेशे वाली कपास के लिए 8,110 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. लेकिन खुले बाजार में कीमतें 3 से 5.60 रुपये प्रति किलो के बीच चल रही हैं, जो MSP से काफी कम हैं. इससे किसानों की आमदनी पर सीधा असर पड़ रहा है.
पिछले सीजन में भारतीय कपास निगम ने महाराष्ट्र में करीब 144.55 लाख क्विंटल कपास खरीदी थी, जिसकी कुल कीमत 10,700 करोड़ रुपये से अधिक थी. उस समय समय पर खरीदी होने से किसानों को राहत मिली थी, लेकिन इस बार बारिश और सख्त मानकों ने स्थिति को कठिन बना दिया है.
किसान संगठनों की मांग
शेतकरी संगठन (Shetkari Sanghatana) और अन्य किसान समूहों ने सरकार से मांग की है कि CCI अपने खरीद नियमों में तत्काल बदलाव करे. किसानों का कहना है कि नमी की सीमा को अस्थायी रूप से 20 प्रतिशत तक बढ़ाया जाए ताकि बारिश से प्रभावित किसान भी अपनी उपज बेच सकें.
इसके अलावा, कई किसानों ने यह भी शिकायत की है कि CCI फिलहाल प्रति एकड़ केवल 5 क्विंटल कपास ही खरीद रही है. इस सीमा को हटाने की मांग भी की जा रही है, क्योंकि कई किसानों के पास इससे अधिक उपज है.
संगठन के नेता अविनाश पाटिल ने कहा, “बारिश ने फसल को बहुत नुकसान पहुंचाया है, और खरीदी में देरी से किसानों की चिंता बढ़ रही है. अगर जल्द कदम नहीं उठाए गए तो हजारों किसान मजबूरी में निजी व्यापारियों को नुकसान में कपास बेच देंगे.”
सरकार से राहत की उम्मीद
किसानों की उम्मीद अब राज्य और केंद्र सरकार से है. महाराष्ट्र के कृषि अधिकारियों ने कहा है कि वे केंद्र सरकार से नियमों में ढील देने और खरीदी केंद्रों की संख्या बढ़ाने की सिफारिश करेंगे. वहीं, किसान चाहते हैं कि खरीदी जल्द शुरू की जाए ताकि फसल खराब होने से पहले उसे बेचा जा सके.
अगर समय रहते कपास खरीदी नीति में लचीलापन नहीं दिया गया, तो न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी बल्कि महाराष्ट्र में कपास उत्पादन भी अगले साल घट सकता है.