Telangana cotton: सर्दियों की शुरुआत और बदलते मौसम ने एक बार फिर किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. खासकर उन किसानों की, जो कपास की खेती करते हैं. बारिश के कारण खेतों में कपास की फसल में नमी बढ़ गई है और ऐसे में कपास बेचने में किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसी समस्या को देखते हुए तेलंगाना सरकार ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि कपास में नमी की ऊपरी सीमा को 12 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी किया जाए.
नमी से नहीं बिक रही फसल
तेलंगाना के कृषि मंत्री तुम्मला नागेश्वर राव ने केंद्र के कपड़ा मंत्री गिरीराज सिंह को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा कि अक्टूबर और नवंबर में राज्य का मौसम काफी नमी वाला रहता है. इसी कारण से कपास (कपास के बीज सहित – कपास या “कपासा“) में नमी की मात्रा स्वाभाविक रूप से 12 फीसदी से 20 फीसदी के बीच होती है.
लेकिन मौजूदा नियमों के अनुसार भारतीय कपास निगम (CCI) केवल 8 फीसदी से 12 फीसदी नमी वाले कपास की ही खरीद करता है. यानी अगर किसान की फसल में नमी थोड़ी भी अधिक है, तो वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर नहीं बिक पाती. इससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है.
MSP बढ़ा, लेकिन परेशानी जस की तस
इस साल सरकार ने कपास का MSP 8,110 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले साल से 589 रुपये ज्यादा है. लेकिन जब किसान अपनी फसल बेच ही नहीं पा रहे, तो बढ़े हुए दाम का फायदा उन्हें कैसे मिलेगा?
राज्य सरकार का कहना है कि मौजूदा परिस्थितियों में केंद्र को नियमों में थोड़ी ढील देनी चाहिए ताकि किसानों को राहत मिल सके. अगर नमी की ऊपरी सीमा 20 फीसदी तक कर दी जाए, तो किसान अपनी उपज को आसानी से बेच पाएंगे.
मौसम बना बड़ी चुनौती
तेलंगाना में अक्टूबर-नवंबर के दौरान लगातार बदलता मौसम कपास की कटाई के समय बड़ा असर डालता है. हल्की बारिश या ओस से कपास के रेशों में नमी बढ़ जाती है. किसान फसल को सुखाने की पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन खेतों में खुले वातावरण में नमी नियंत्रित करना लगभग असंभव होता है.
कई बार किसान कपास को धूप में सुखाते हैं, पर अचानक मौसम बदलने से दोबारा नमी आ जाती है. इस वजह से वे इसे CCI के गोदामों में नहीं बेच पाते और मजबूर होकर निजी व्यापारियों को सस्ते दामों पर बेच देते हैं.
देशभर में कपास उत्पादन की स्थिति
इस बार देश में कपास की खेती का कुल क्षेत्र लगभग 109.90 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल की तुलना में कुछ कम है.
महाराष्ट्र – 38.42 लाख हेक्टेयर
गुजरात – 20.81 लाख हेक्टेयर
तेलंगाना – 18.59 लाख हेक्टेयर
राजस्थान – 6.28 लाख हेक्टेयर
आंध्र प्रदेश – 4.13 लाख हेक्टेयर
तेलंगाना का योगदान देश के कुल उत्पादन में काफी अहम है. राज्य में अनुमानित उत्पादन लगभग 28.29 लाख टन रहने की उम्मीद है.
नियम में लचीलापन
किसानों का कहना है कि अगर केंद्र सरकार कपास में नमी की सीमा बढ़ा देती है, तो लाखों किसानों को राहत मिलेगी. उन्हें अपनी मेहनत का उचित दाम मिल सकेगा और बाजार में कपास की सप्लाई भी सामान्य रहेगी.
तेलंगाना सरकार का कहना है कि यह सिर्फ किसानों के हित में नहीं, बल्कि पूरे कपास उद्योग के लिए फायदेमंद होगा. क्योंकि अगर किसान अपनी उपज नहीं बेच पाएंगे, तो देश के टेक्सटाइल सेक्टर पर भी असर पड़ेगा.