मंडी में गिरा कपास का रेट, MSP से 1000 रुपये कम कीमत पर उपज बेचने को मजबूर हुए किसान.. जानें ताजा भाव

किसानों का कहना है कि इस साल कपास सीजन की शुरुआत अच्छी रही. शुरुआती मॉनसून की अच्छी बारिश से किसानों ने अगस्त के मध्य तक सामान्य क्षेत्र के लगभग 99 प्रतिशत हिस्से की बुआई कर ली. लेकिन अगस्त के अंत में हुई बारिश ने बॉल रॉट (एक फफूंद जनित रोग) को जन्म दिया.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 24 Sep, 2025 | 05:30 PM

Telangana News: तेलंगाना में अक्टूबर से कपास की पूरी तरह से कटाई शुरू हो जाएगी. इस साल बंपर पैदावार की उम्मीद है. लेकिन किसानों को मार्केट में कपास का उचित रेट नहीं मिल रहा है. वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम कीमत में उपज बेचने को मजबूर हैं. खास कर वारंगल जिले की मंडियों में कपास किसान MSP से 900 रुपये से 1,000 रुपये कम पर कपास बेच रहे हैं. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. ऐसे में किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि इस साल कपास के उत्पादन  में 5 से 10 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है. पिछले साल 50-51 लाख गांठों का उत्पादन हुआ था. लेकिन इस बार 53-55 लाख गांठ की उम्मीद है. ऐसे में कहा जा रहा है कि तेलंगाना इस बार देश का तीसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक बन जाएगा. लेकिन बारिश और कीटों के हमलों ने फसल को नुकसान पहुंचाया है. गिरती कीमतों से भी किसान चिंतित हैं. खास बात यह है कि वारंगल जिले के बाजारों में कपास की आवक  शुरू भी हो गई है. किसान 8,110 रुपये प्रति क्विंटल के MSP से 900 रुपये से 1,000 रुपये कम पर कपास बेच रहे हैं. ऐसे वारंगल के एनुमामुला मार्केट यार्ड में कपास की कीमतें लगभग 7,440 रुपये प्रति क्विंटल हैं.

मार्केट में कितनी है कपास की कीमत

भारतीय कपास निगम (CCI) द्वारा अभी तक खरीद शुरू न किए जाने के कारण, किसान बाजार भाव  पर कपास बेच रहे हैं. कई लोग नुकसान के खतरे के कारण कपास रोककर रखने से डरते हैं. तेलंगाना में कपास की खेती व्यापक रूप से की जाती है. नलगोंडा, आदिलाबाद, संगारेड्डी, नागरकुरनूल, वारंगल, निर्मल, आसिफाबाद, महबूबाबाद, जयशंकर भूपालपल्ली और कामारेड्डी बड़े कपास उत्पादक जिले हैं.

99 प्रतिशत रकबे में बुआई

साउथ फर्स्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों का कहना है कि इस साल कपास सीजन की शुरुआत अच्छी रही. शुरुआती मॉनसून की अच्छी बारिश से किसानों ने अगस्त के मध्य तक सामान्य क्षेत्र के लगभग 99 प्रतिशत हिस्से की बुआई कर ली. लेकिन अगस्त के अंत में हुई बारिश ने बॉल रॉट (एक फफूंद जनित रोग) को जन्म दिया. किसानों को डर है कि इससे प्रभावित क्षेत्रों में पैदावार 20 से 30 प्रतिशत तक कम हो सकती है. ऐसे तेलंगाना किसान मध्यम-प्रधान बीटी संकर उगाए जाते हैं, जिनकी रेशे की लंबाई 20-25 मिमी होती है. अच्छी परिस्थितियों में, ये प्रति एकड़ 10-12 क्विंटल उपज देते हैं. लेकिन आदिलाबाद और वारंगल जैसे कुछ इलाकों में, पैदावार घटकर 6-9 क्विंटल प्रति एकड़ रह गई है. कीटों के हमले और विकास में रुकावट ने नुकसान को और बढ़ा दिया है.

कपास का एमएसपी

इस साल मध्यम-प्रधान कपास का एमएसपी  पिछले सीजन के 7,121 रुपये से बढ़ाकर 8,110 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. लेकिन वारंगल में कपास का रेट 7,500 रुपये प्रति क्विंटल और जम्मीकुंटा में 5,500 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है. तेलंगाना के कृषि मंत्री थुम्माला नागेश्वर राव ने सीसीआई से एमएसपी पर खरीद सख्ती से सुनिश्चित करने को कहा है. उन्होंने आधार सत्यापन के जरिए सीधे बैंक भुगतान की घोषणा की. उन्होंने जोर देकर कहा कि तेलंगाना के कपास की गुणवत्ता अद्वितीय है और उसे उचित मूल्य मिलना चाहिए.

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Published: 24 Sep, 2025 | 05:29 PM

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