मछलियां पसंदीदा जगह पर खाती हैं दाना, कतला..रोहू की आदतें जान चौंक जाएंगे आप

मछलियों को अपने अड्डे पर भोजन करना पंसद है. इस खबर में जानें कौन सी मछलियां पानी के किस तल पर खाना खाती हैं और उनकी अजीब आदतें जो किसी को चौंका सकती हैं

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 15 Apr, 2025 | 09:30 AM

मछलियों का अच्छा विकास तभी संभव है, जब उन्हें सही मात्रा में दाना मिले. इसके लिए जरूरी है कि तालाब के हर हिस्से, किनारों से लेकर बीच तक दाना पहुंचे, क्योंकि हर मछली अपनी तय जगह पर ही दाना खाती है. यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन तालाब की मछलियां अपनी आदतों के अनुसार अलग-अलग जगहों पर रहती और खाती हैं. ऐसा क्यों? चलिए जानते हैं.

मछलियों की अलग-अलग आदतें

तालाब में पलने वाली मछलियों की प्रजातियों की आदतें एक-दूसरे से अलग होती हैं. हर मछली का अपना पसंदीदा इलाका होता है, जहां वह रहती है और दाना खाने जाती है. उदाहरण के लिए, अगर तालाब में रोहू, नैनी और कतला जैसी तीन मछलियां हैं, तो ये तीनों अपने-अपने इलाके में ही रहती हैं और एक-दूसरे के क्षेत्र में नहीं जातीं. जब दाना डाला जाता है तो वे उसी जगह पर रहकर उसे खाती हैं.

ड्रोन से दाना डालने की सलाह

फिशरीज विशेषज्ञों का कहना है कि मछलियों को दाना खिलाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे तालाब के हर हिस्से में दाना आसानी से पहुंच जाता है और मछलियों को उनकी पसंदीदा जगह पर ही भोजन मिलता है. अगर हाथ से दाना डाला जाए तो वह ज्यादातर किनारों पर ही रह जाता है, जिससे बीच में रहने वाली मछलियों को भोजन नहीं मिल पाता.

तालाब के बीच में दाना खाने वाली मछली

मछली विशेषज्ञ बताते हैं कि रोहू मछली उत्तर भारत में बहुत पसंद की जाती है. इसका मांस स्वादिष्ट और नरम होता है. उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में इसकी खूब मांग है. उनके अनुसार जब तालाब में दाना डाला जाता है तो रोहू तालाब की तली से दो फुट ऊपर और सतह से दो फुट नीचे, यानी बीच में तैरकर दाना खाती है.

तालाब की तली की शौकीन है नैनी

नैनी मछली, जिसे उत्तर भारत में नरेन भी कहते हैं. यह तालाब की तली में रहना पसंद करती है. एक्सपर्टों की माने तो यह दाना खाने के लिए सतह पर नहीं आती, बल्कि तली पर ही इंतजार करती है. चाहे दाना डालने में कितनी भी देर हो जाए, नैनी अपनी जगह नहीं छोड़ती.

सतह पर दाना खाने वाली कतला

कतला मछली रोहू के बाद उत्तर भारत में दूसरी सबसे पसंदीदा मछली है. इसका चलन फिश फ्राई में भी खूब है. वहीं बाजार में 1 से 1.5 किलो की कतला जल्दी बिक जाती है. यह मछली दाना खाने के लिए तालाब की सतह पर रहती है और वहीं इंतजार करती है.

तालाब सही तरीके से दाना डालना जरूरी

मछलियों की ग्रोथ और उत्पादन के लिए सही दाना वितरण बहुत जरूरी है. अगर दाना सिर्फ किनारों पर डाला गया, तो बीच या तली में रहने वाली मछलियां भूखी रह सकती हैं. ड्रोन जैसी तकनीक से दाना तालाब के हर कोने में पहुंचता है, जिससे सभी मछलियां अपनी जगह पर ही भोजन पा लेती हैं. इससे मछली पालकों को बेहतर उत्पादन और मुनाफा मिलता है.

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Published: 15 Apr, 2025 | 09:30 AM

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