PMFBY claims 2025: महाराष्ट्र के कपास किसान पिछले पांच सालों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत कुल 3,653 करोड़ रुपये का बीमा भुगतान प्राप्त कर चुके हैं. यह योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, असमय बारिश और अन्य जलवायु जोखिमों से होने वाले फसल नुकसान से सुरक्षा प्रदान करती है. विशेष रूप से विदर्भ क्षेत्र के कपास उत्पादकों को यह योजना काफी लाभ पहुंचा रही है, क्योंकि यहां असमय बारिश और मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण फसल अक्सर प्रभावित होती रही है.
वर्षवार बीमा क्लेम में बढ़ती सहायता
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र के कपास किसानों को PMFBY के तहत बीमा क्लेम इस प्रकार मिले हैं:
2020: 55.26 करोड़ रुपये
2021: 441.10 करोड़ रुपये
2022: 456.84 करोड़ रुपये
2023: 1,941.09 करोड़ रुपये
2024: 758.95 करोड़
यह आंकड़े दिखाते हैं कि योजना ने समय के साथ किसानों को लगातार वित्तीय सहायता प्रदान की है. 2023 में अचानक बढ़े क्लेम ने यह स्पष्ट किया कि असमय बारिश और जलवायु परिवर्तन के समय प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किस हद तक किसानों के लिए सहारा बन सकता है.
2024–25 में रिकॉर्ड कपास उत्पादन
2024–25 में महाराष्ट्र ने 92.32 लाख बैले कपास का उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष के 80.45 लाख बैले से बढ़कर हुआ. प्रत्येक बैले का वजन लगभग 170 किलो है. यह बढ़ोतरी न केवल किसानों की आय में इजाफा करेगी, बल्कि राज्य की कपास निर्यात क्षमता और उद्योगों को भी मजबूती देगी.
सीसीआई ने 144.55 लाख क्विंटल कपास की खरीद की
कपास किसानों का समर्थन करने के लिए कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) ने प्रमुख उत्पादन जिलों जैसे जलगांव और यवतमाल में 128 क्रय केंद्र खोले हैं. ये केंद्र औरंगाबाद और अकोला शाखाओं के अंतर्गत आते हैं, और 19 जिलों में फैले हैं.
CCI ने 144.55 लाख क्विंटल कपास खरीदी है, जिसकी कुल कीमत 10,714 करोड़ रुपये है. इस खरीद में 6.27 लाख लेन-देन शामिल हैं. यवतमाल जिले से 21.39 लाख क्विंटल और जलगांव से 4.79 लाख क्विंटल कपास खरीदी गई. इससे किसानों को सीधे लाभ मिला और उनकी आय में वृद्धि हुई.
विदर्भ और महाराष्ट्र के किसानों के लिए PMFBY का महत्व
विदर्भ के कपास किसान पिछले वर्षों में मौसम के अनिश्चित व्यवहार और असमय बारिश के कारण अक्सर आर्थिक नुकसान झेलते रहे हैं. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की मदद से किसानों को नुकसान का मुआवजा मिल रहा है और वे नई फसल बोने में सक्षम हो रहे हैं.
महाराष्ट्र में कपास उत्पादन की यह बढ़ोतरी और बीमा सुरक्षा किसानों को आत्मनिर्भर बनाती है और राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है. योजना ने साबित किया है कि यदि सरकार समय पर बीमा और क्रय सहायता प्रदान करे तो किसानों की आय और जीवन स्तर में सुधार संभव है.
 
 
                                                             
                             
                             
                             
                             
 
 
                                                     
                                                     
                                                     
                                                    