Mandi Bhav: एशिया की सबसे बड़ी मंडी में टमाटर हुआ महंगा, 20 रुपये किलो बढ़ी कीमत
मदनपल्ले मंडी में टमाटर की कीमतें 9 अगस्त को 54 रुपये प्रति किलो पहुंच गईं, जो एक महीने में 20 रुपये की बढ़त है. आवक घटकर 106 मीट्रिक टन रह गई है, जो 10 साल में सबसे कम है.
आंध्र प्रदेश स्थित एशिया की सबसे बड़ी मंडी मदनपल्ले में टमाटर बहुत महंगा हो गया है. मंडी में टमाटर की कीमतें शनिवार यानी 9 अगस्त को 54 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गईं. खास बात यह है कि एक महीने में टमाटर की कीमत में 20 रुपये किलो की बढ़ोतरी हुई है. 9 जुलाई को यही कीमत 34 प्रति किलो थी. वहीं, सेकंड ग्रेड के टमाटर की कीमत भी 27 रुपये से बढ़कर 42 रुपये प्रति किलो हो गई है. अब इसका असर रिटेल मार्केट में भी देखने को मिल रहा है.
द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, मदनपल्ले मंडी में टमाटर की आवक सिर्फ 106 मीट्रिक टन रही, जबकि एक महीने पहले यह 1098 मीट्रिक टन थी. खास बात यह है कि मौजूदा आवक पिछले 10 सालों में सबसे कम है. व्यापारियों और किसानों के मुताबिक, कम बारिश और खराब मौसम के कारण फसल को भारी नुकसान हुआ है. मदनपल्ले राजस्व मंडल को एशिया का सबसे बड़ा टमाटर उत्पादक क्षेत्र माना जाता है, जहां परंपरागत रूप से 15,000 एकड़ में खेती होती थी. लेकिन बीते दशक में जलवायु अस्थिरता के कारण यह क्षेत्र घटकर 6,000 से 10,000 एकड़ तक सिमट गया है.
इन इलाकों में होती है टमाटर की खेती
इसके बावजूद, मदनपल्ले, मुलाकलचेरुवु, तंबल्लपल्ले, निम्मनपल्ले, गुर्रमकोंडा और वाल्मीकि पुरम (अननामय्या जिला) तथा पुथनूर, पामनूर, गंगावरम और वी.कोटा (चित्तूर ज़िला) के मंडलों में टमाटर की खेती अब भी प्रमुख रूप से की जा रही है. इस साल पूरे इलाके में कम बारिश की वजह से खरीफ की बुवाई बहुत ही कम स्तर पर रह गई. ऊपर से लंबे समय तक सूखा पड़ा, जिससे किसानों की मुश्किलें और बढ़ गईं. टमाटर किसानों का कहना है कि मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के समय पर आने की उम्मीद में उन्होंने जून में ही खेत तैयार करने के लिए प्राइवेट लोन ले लिए. कई युवाओं ने भी लीज पर जमीन लेकर टमाटर की खेती शुरू की है.
किसानों को हो रहा नुकसान
गुर्रमकोंडा मंडल के 32 वर्षीय किसान गोवर्धन ने कहा कि एक एकड़ में उत्पादन लागत लगभग 32,000 रुपये आती है, जिसमें बीज, खाद, कीटनाशक और मजदूरी शामिल है. लेकिन जब कीमतें स्थिर नहीं रहतीं, तो हमें अपनी लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है. जून से अब तक इलाके में कुल बारिश काफी कम हुई है. हालांकि अगस्त के पहले हफ्ते में थोड़ी बारिश जरूर हुई, लेकिन अब तक 50 फीसदी खेतों में बुवाई शुरू ही नहीं हुई है. इस बीच मदनपल्ले के व्यापारियों ने कहा कि उत्तर भारत में अच्छी बारिश और अच्छी फसल की वजह से इस बार टमाटर निर्यात की उनकी योजना सफल नहीं हो सकी. जून तक वहां मिट्टी में पर्याप्त नमी और बंपर पैदावार रही, जिससे बाहर से टमाटर मंगाने की जरूरत नहीं पड़ी.