आज के समय में जब हर कोई ज्यादा दूध देने वाली विदेशी गायों की ओर दौड़ रहा है, तब भी कुछ देसी नस्लें ऐसी हैं जो न केवल अच्छी दूध उत्पादन देती हैं बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं. ऐसी ही एक खास नस्ल की गाय है-गंगातीरी गाय, जो उत्तर प्रदेश और बिहार में बहुत लोकप्रिय है. इसकी खासियतें जानकर आप हैरान रह जाएंगे और शायद खुद भी इसे पालने का मन बना लें.
कहां पाई जाती है गंगातीरी गाय?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गंगातीरी गाय भारत की देसी नस्लों में से एक है, जो मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार में पाई जाती है. यूपी के मिर्जापुर, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया और बिहार के रोहतास, भोजपुर जिलों में यह गाय आम है. उत्तर प्रदेश में इसकी संख्या करीब 2 से 2.5 लाख के बीच है. यह गाय न सिर्फ दूध देने में सक्षम है, बल्कि खेती के काम में भी उपयोगी मानी जाती है. गांवों में आज भी कई किसान इस गाय को पालते हैं और इसके दूध की गुणवत्ता व उपयोगिता के कारण इसे काफी पसंद किया जाता है.
पहचान क्या है गंगातीरी गाय की?
गंगातीरी गाय दिखने में आम गाय जैसी लगती है, लेकिन इसकी पहचान करना आसान होता है. इसका रंग भूरा और सफेद होता है. इसके सिंग छोटे, नुकीले और दोनों ओर फैले होते हैं. कान नीचे की ओर झुके होते हैं. गंगातीरी बैल की ऊंचाई करीब 142 सेंटीमीटर जबकि गाय की ऊंचाई लगभग 124 सेंटीमीटर होती है. इनका वजन औसतन 235 से 250 किलो तक होता है. यह नस्ल दिखने में मजबूत और स्वस्थ होती है. इसके शारीरिक बनावट से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह गाय मेहनती, सक्रिय और अच्छी दूध उत्पादक क्षमता वाली होती है.
दूध देने में किसी से कम नहीं
गंगातीरी गाय की सबसे बड़ी खासियत उसका दूध है. यह गाय रोजाना लगभग 10 से 16 लीटर तक दूध देती है, जो देसी गायों में एक बेहतरीन उत्पादन माना जाता है. इसके दूध में लगभग 4.9 फिसदी फैट होता है, जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. इसी वजह से इसका दूध बाजार में ऊंची कीमत पर बिकता है. लोग इसे अधिक पौष्टिक और शुद्ध मानते हैं. मौजूदा समय में जब मिलावटी दूध की समस्या बढ़ रही है, ऐसे में गंगातीरी गाय का दूध एक प्राकृतिक, शुद्ध और सेहतमंद विकल्प बनता जा रहा है.
कीमत और देखभाल-थोड़ा महंगा लेकिन फायदेमंद सौदा
गंगातीरी गाय बाजार में लगभग 40 से 60 हजार रुपये तक बिकती है, जो अन्य देसी नस्लों की तुलना में थोड़ी महंगी जरूर है, लेकिन पशुपालकों के लिए यह एक लाभकारी निवेश साबित हो सकती है. इसकी देखभाल में थोड़ी सावधानी जरूरी है. इस गाय को पर्याप्त और पौष्टिक आहार देना होता है, वरना यह जल्दी बीमार पड़ सकती है. समय-समय पर इसका टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच भी आवश्यक है. अगर इन बातों का सही तरीके से पालन किया जाए, तो गंगातीरी गाय कई वर्षों तक अच्छा दूध देती है और सेहत के लिए भी लाभकारी साबित होती है.
खेती-बाड़ी में भी है इसका योगदान
गंगातीरी नस्ल के बैल खेती के काम में बेहद उपयोगी माने जाते हैं. ये शारीरिक रूप से मजबूत होते हैं और लंबे समय तक बिना थके काम कर सकते हैं. गांवों में आज भी कई किसान हल जोतने जैसे पारंपरिक कृषि कार्यों में इन बैलों का उपयोग करते हैं. खास बात यह है कि ये बैल कम चारा खाने पर भी ज्यादा काम कर लेते हैं, जिससे पालन में खर्च कम आता है. गंगातीरी गाय और इसके बैल, दोनों ही किसानों के लिए लाभकारी साबित होते हैं-दूध के साथ-साथ खेती में भी पूरा सहयोग देते हैं.
सरकार की ओर से मिल रहा है समर्थन
गंगातीरी गाय को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है. देसी नस्लों के संरक्षण और संवर्धन के लिए सब्सिडी दी जा रही है, जिससे पशुपालकों को आर्थिक सहायता मिल सके. कुछ राज्यों में नस्ल सुधार कार्यक्रम भी चल रहे हैं ताकि गायों की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा सके. ग्रामीण क्षेत्रों में डेयरी यूनिट्स और पशुपालन केंद्र खोले जा रहे हैं, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. यदि सरकार और किसान मिलकर इस देसी नस्ल को प्रोत्साहित करें, तो इससे कृषि, पशुपालन और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी
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