भारत ने दूध उत्पादन में नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक का डेयरी बाजार खड़ा कर लिया है. यह उपलब्धि न केवल देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत कर रही है, बल्कि करोड़ों ग्रामीण किसानों की आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ बना रही है. भारत विश्व का 25 फीसदी दूध उत्पादन करता है और इसका सीधा लाभ गांवों में रहने वाले 1.7 करोड़ पशुपालकों को मिल रहा है, जिनमें 35 प्रतिशत महिलाएं भी सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं. यह आंकड़ा इस बात का प्रमाण है कि डेयरी उद्योग ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण का एक सशक्त माध्यम बन चुका है.
केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही राष्ट्रीय डेयरी योजना और डेयरी प्रसंस्करण कोष जैसी योजनाएं इस क्षेत्र को और गति दे रही हैं. इससे न केवल पशुपालकों की आय में वृद्धि हो रही है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है और रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं.
तेजी से बढ़ रहा फूड प्रोसेसिंग और टेक्नोलॉजी सेक्टर
भारत बना इनोवेशन और ग्लोबल मार्केट का केंद्र
कार्यक्रम में भारत, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड और डीआर कांगो के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. कोलनमेसे इंडिया और कोलनमेसे जीएमबीएच के प्रमुखों ने भारत को ग्लोबल फूड इनोवेशन हब बताया. कोलनमेसे प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मिलिंद दीक्षित ने कहा कि इस तरह के आयोजन नई तकनीकों, टिकाऊ समाधानों और लंबे समय तक चलने वाले सहयोग का मंच बनते जा रहे हैं. इससे भारतीय उद्योगों को वैश्विक पहचान मिल रही है और विदेशी कंपनियां भारत में निवेश के लिए उत्साहित हो रही हैं.
उपभोक्ता खर्च और बाजार की मांग बढ़ी
भारत की 180 मिलियन हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि और 7.5 लाख करोड़ रुपये के फूड प्रोसेसिंग बाजार ने डेयरी सेक्टर की नींव मजबूत की है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में उपभोक्ता खर्च का 40 फीसदी से ज्यादा हिस्सा भोजन पर खर्च होता है, जिससे इस क्षेत्र की बढ़ती मांग का अंदाजा लगाया जा सकता है. इस मांग को पूरा करने के लिए सरकार और उद्योग मिलकर काम कर रहे हैं. नए उपकरण, पैकेजिंग तकनीक और प्रसंस्करण सुविधा केंद्र भारत को दुनिया के सबसे बड़े डेयरी बाजारों में शुमार कर रहे हैं.